वर्ष - 29
अंक - 7
07-02-2020
• भाजपा को वोट दो, नहीं तो तुम्हारे साथ बलात्कार होगा – दिल्ली की महिलाओं के लिए क्या आपका यही संदेश है?
• आपकी पार्टी भी महिलाओं और बच्चों को गोली का निशाना बनाने के लिए भीड़ को उकसा रही है.
• कृपया अपनी पार्टी को रोकें कि वह महिलाओं को हिंसा की धमकियां देना बंद करें; हमारे संविधन की मर्यादा को बुलंद रखते हुए चुनाव लड़िए
प्रिय श्री प्रधान मंत्री,

हम इस देश की और दिल्ली की महिलाओं – हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख, आदिवासी और दलित महिलाओं – के नाते आपसे बोल रहे हैं, जो इस बात से डरी हुई हैं कि आपकी पार्टी के सदस्यों ने महज चुनाव लड़ने और जीतने के लिए महिलाओं के खिलाफ दहशत का माहौल तैयार कर दिया है.

जब केंद्र सरकार के एक वर्तमान मंत्री श्री अनुराग ठाकुर ‘गोली मारो सालों को’ बोलने के लिए भीड़ को उकसाते हैं, तो कृपया याद रखें कि यहां ‘सालों’ का मतलब शांतिपूर्वक प्रतिवाद करने वाली वे लाखों महिलाएं हैं जो अपनी गोद में बच्चों को लिए शहर भर के पार्कों व मौदानों में धरना पर बैठी हुई हैं.

आपकी पार्टी के एक दूसरे प्रचारक, उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री, अजय सिंह बिष्ट उर्फ ‘योगी आदित्यनाथ’ ने ‘बोली से नहीं, तो गोली से मानेंगे’ कहते हुए दिल्ली में अपना चुनावी अभियान शुरू किया.

जब माननीय गृह मंत्री श्री अमित शाह लोगों से 8 फरवरी को इतने जोर से ईवीएम का बटन दबाने को कहते हैं कि “प्रतिवादकारियों को करंट लगे”, तो क्या वे उन महिलाओं को बिजली का झटका देना चाहते हैं?

क्या भाजपा अब खुलेआम भारत की महिलाओं और बच्चों की जिंदगी खतरे में डालना चाहती है ? क्या इतिहास में यही दर्ज होगा और जिसे भारत कभी माफ नहीं करेगा, श्री प्रधान मंत्री? क्योंकि इस राष्ट्र ने आपकी पार्टी द्वारा निर्मित इस हिंसक माहौल के नतीजे को देखा है कि किस तरह 30 जनवरी के दिन ‘रामभक्त’ गोपाल इससे प्रेरित होकर जामिया में निर्दोष छात्रों पर गोली चलाता है, और एक दूसरा आतंकवादी आपकी पार्टी द्वारा फैलाई गई नफरतों से भरकर 1 फरवरी को शाहीनबाग में महिलाओं पर गोली दागता है.

आपकी पार्टी के सांसद श्री प्रवेश वर्मा ने कहा, “लाखों लोग वहां (शाहीनबाग में) इकट्ठा होते हैं, दिल्ली के लागों को सोचना होगा और फैसला करना होगा. वे आपके घरों में घुसेंगे, आपकी माताओं-बहनों के साथ बलात्कार करेंगे, उनकी हत्या करेंगे.”

सरकार के मुखिया होने के नाते आप यह किस किस्म की सांप्रदायिक नफरत और खौफ पैदा कर रहे हैं, जिसमें सभी समुदायों की महिलाएं और ज्यादा असुरक्षित व खतरा महसूस कर रही हैं ? भाजपा को वोट दो, नहीं तो तुम्हारे साथ बलात्कार होगा ! दिल्ली की महिलाओं के लिए क्या आपका यही संदेश है ? क्या आपकी पार्टी इतना नीचे तक गिर चुकी है ?

प्रधान मंत्री जी, महिलाएं बलात्कार का मतलब समझती हैं. हम लंबे समय से अपने शरीर पर यह हिंसा झेलती आ रही हैं, और आपकी पार्टी के ‘बेटी बचाओ’ नारे के बावजूद हमें कोई न्याय नहीं मिल पाता है. सस्ती विभाजनकारी चुनावी मुहिम के लिए हमारी पीड़ा और भय का इस्तेमाल करने के जरिये इसके इतिहास को हल्का बना देने के इस प्रयास की हम भर्त्सना करती हैं.

हमें दिल्ली के शाहीन बागों से डर नहीं लगता है, प्रधान मंत्री जी. हमें तो ऐसी सरकार से भय लगता है जो शांतिपूर्वक प्रतिवाद कर रहे छात्रों, महिलाओं और पुरुषों पर हमला करने के लिए सुरक्षा बलों को भेज देती है. उन निर्वाचित सदस्यों से डर लगता है जो खुलेआम साधारण नागरिकों को धमकाते फिरते हैं, और उस पुलिस बल से जो इन नफरत-भरी बोलियों से प्रेरित होकर हिंसक कार्रवाइयों में लिप्त हुए लोगों को खड़े देखते रहते हैं.

आपकी सरकार एनपीआर-एनसीआर-सीएए के खिलाफ राष्ट्रवपी उभार के कारणों से असहमत हो सकती है. लेकिन, शांतिपूर्ण प्रतिवाद हमारा संवैधानिक अधिकार है. और, इतना ही हम कर रहे हैं. दिल्ली की लाखों महिलाएं इस आन्दोलन की महज हिस्सा नहीं हैं, वे इसका नेतृत्व कर रही हैं. सशक्तीकृत महिलाएं अगली पांत में खड़ी हैं. इन महिलाओं को आतंकवादी और गद्दार कह देने से हम खामोश नहीं हो जाएंगी, क्योंकि वे तो हमारे संविधान की रक्षा के लिए और उसे बरकरार रखने के लिए संघर्ष कर रही हैं.

प्रधान मंत्री जी, आप भाजपा के सदस्य हो सकते हैं, लेकिन आप इस देश के प्रधन मंत्री हैं और तमाम नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना आपका संवैधानिक दायित्व है. जब आपकी पार्टी के सदस्य हिंसा और गोली बरपा करने के लिए भीड़ को उकसाते हैं और आप खामोश रह जाते हैं या उनका समर्थन करते हैं तो याद रखें, इस सबके लिए आप ही जिम्मेदार हैं.

  • निशाना बनाकर की जाने वाली ऐसी हिंसा और नफरत-भरे भाषणों के खिलाफ आपको बोलने की जरूरत है.
  • आपको हिंसा का माहौल बनाने वाले अपनी पार्टी के सदस्यों के खिलाफ दंड संहिता में तमाम प्रासंगिक अपराध-प्रावधानों समेत  हर किस्म की कार्रवाई फौरन करनी चाहिए.
  • आपको दिल्ली का चुनाव इस ढंग से लड़ना चाहिए कि जिससे हमारे संविधान की मर्यादा बुलंद रहे और भारत की महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित रहे.

यह खुला पत्र इन संगठनों द्वारा जारी किया गया है:
1. सहेली महिला संसाधन केंद्र
2. अजिता, निशा, रिनचिन और शालिनी (संयोजिकाएं, यौन हिंसा और राज्य दमन के खिलाफ महिला)
3. ऑल इंडिया डेमोक्रैटिक वुमेंस एसोसिएशन (ऐडवा)
4. नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन (एनएफआइडब्लू)
5. अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा)
6. मुस्लिम वुमेन फोरम
7. पिंजरा तोड़
8. सेंटर फाॅर स्ट्रग्लिंग वुमेन
9. ऑल इंडिया क्वीयर एसोसिएशन
10. जामिया क्वीयर कलेक्टिव
11. मकाम – महिला किसान अधिकार मंच
12. अमन बिरादरी
13. कारवां-ए-मोहब्बत

प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार जिन महिलाओं ने व्यक्तिगत रूप से इस परन दस्तखत किए हैं, उनमें से कुछ के नाम इस प्रकार हैं:

देवकी जैन (महिलावादी अर्थशास्त्री)
लैला तैयबजी (शिल्नप कार्यकर्ता और ‘दस्तकार’ की अध्यक्ष)
मधु भादुरी (भारत की पूर्व राजदूत)
नवरेखा शर्मा (भारत की पूर्व राजदूत)
जोया हसन (पूर्व प्राध्यापिका और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की सदस्य)
उमा चक्रवर्ती (महिलावादी इतिहासकार और फिल्मनिर्माता)
साइदा हमीद (भरतीय योजना आयोग की पूर्व सदस्य)
कमला भसान (जेंडर अधिकार कार्यकर्ता)
फराह नकवी (लेखिका और कार्यकर्ता)
नताशा बधवार (लेखिका और फिल्मनिर्माता) आदि.