वर्ष - 29
अंक - 10
29-02-2020

विगत 24 फरवरी 2020 से शुरू हुए बिहार विधानसभा के बजट सत्रा के का. महबूब आलम, का. सत्यदेव राम और का. सुदामा प्रसाद के के तीन-सदस्यीय विधायक दल ने बहुत ही महत्वपूर्ण पहलकदमियां लेते हुए सदन के भीतर विपक्ष की धुरी के रूप में खुद को स्थापित कर लिया. उन्होंने 25 फरवरी को एनपीआर के सवाल पर उनके जरिए रखे गए कार्यस्थगन प्रस्ताव के लिए उन्होंने राजद, कांग्रेस और हम समेत पूरे विपक्ष को एकजुट जदयू-भाजपा सरकार को एनआरसी व एनपीआर के सवाल पर पीछे हटने और विधानसभा से प्रस्ताव पारित करने को बाध्य कर दिया. यह एनडीए गठबंधन शासित राज्य की किसी विधानसभा द्वारा ऐसा प्रस्ताव स्वीकार व पारित करने की पहला दृष्टांत बना.

भाकपा(माले) विधयक का. सत्यदेव राम ने इस सत्र में नीतीश कुमार सरकार द्वारा अपनी जल-जमीन-हरियाली योजना के तहत आहर-पोखर व चौर की जमीन पर बसे हजारों भूमिहीन गरीबों को उजाड़ने की दी गई नोटिस को सदन के ध्यानार्थ लाया. उन्होंने बताया कि भोजपुर के तिलाठ में इस योजना के नाम पर लगभग 200 साल से रह रहे परिवारों को जमीन का पर्चा देने की बजाए उजाड़ने की नोटिस थमा दी गई है. इसी जिले के तरारी प्रखंड के सेदहां में 18 परिवारों तथा पूर्वी चंपारण के छौड़ादानो के एकडरी पोखरा में भी 22 भूमिहीन परिवार व बनजरिया प्रखंड के सुखीडीह पोखर में भी दर्जन भर घरों को ढाह दिया गया है. अरवल के बंशी प्रखंड के महादेव बिगहा के 40 परिवारों को नोटिस दी गई है तथा कनसुआ मुसहर टोली, मिचाईचक, रतनी के 29 परिवारों का घर ढाह दिया गया है. इस प्रश्न से बिफरे नीतीश कुमार ने अपने बजट भाषण के दौरान असंयत होकर भाकपा(माले) पर प्रहार करते हुए भाकपा(माले) द्वारा भूमिहीन गरीबों के लिए आवास व खेती की जमीन की मांग पर चलाए जानेवाले आंदोलनों व मांगों को ‘बकवास’ तक कह डाला और राज्य में भूमि की कमी का झूठा रोना रोकर लोगों को गुमराह करना चाहा. भाकपा(माले) विधायकों समेत विपक्ष ने इस पर कड़ा ऐतराज जताया. सरकार को यह घोषणा करनी पड़ी कि वैकल्पिक व्यावस्था के बगैर किसी भी भूमिहीन को उजाड़ा नहीं जाएगा.

MLA bihar

 

भाकपा(माले) राज्य सचिव कुणाल नेे इसे मुख्यमंत्री द्वारा दलित-गरीबों का अपमान बताया. उन्होंने याद दिलाया कि 2008 में नीतीश कुमार द्वारा गठित भूमि सुधार आयोग (डी वंद्योपाद्याय आयोग) ने बिहार में 21 लाख एकड़ से ज्यादा सीलिंग की जमीन की शिनाख्त की थी, लेकिन मुख्यमंत्री ने उसकी सिफारिशों को लागू करने की बजाए रद्दी की टोकरी में फेंक दिया. भूमि आयोग ने कहा था कि उक्त जमीन से बिहार के न सिर्फ 17 लाख भूमिहीनों को खेती के लायक जमीन मुहैया की जा सकती है, बल्कि वासभूमि विहीन लोगों को 10-10 डिसमिल जमीन भी दी जा सकती है. इसके अलावा भी बहुत सारी जमीन दबंगों के कब्जे में है. गैरमजरूरआ जमीन तो अलग है ही.

सदन में माले विधायकों ने राज्य के शिक्षकों की जारी हड़ताल पर भी हस्तक्षेप किया और कहा कि बिहार बजट के बारे में कहा जा रहा है कि इसमें शिक्षा पर सर्वाधिक जोर है. तब, क्या मुख्यमंत्री बताना चाहेंगे कि आज बिहार के हजारों शिक्षक क्यों हड़ताल पर हैं? समान काम के लिए समान वेतन की मांग पर हड़ताली शिक्षकों के प्रति सरकार क्यों दमनात्क रूख अपनाए हुए है? भाकपा(माले) विधायकों ने सोन कमांड के 8 जिलों में सिंचाई की समुचित व्यवस्था के लिए बननेवाले इंद्रपुरी जलाशय के सावाल को भी प्रमुखता से उठाते हुए इस पर तुरत काम शुय करने की मांग की तथा सोन नहरों के आधुनिकीकरण और किसानों की धान खरीद, बागमती नदी पर पुल बनाने समेत जनहित के कई मुद्दों को सदन के सामने रखा.

विधायक दल ने दिल्ली में भाजपा-आरएसएस के गुंडों द्वारा दिल्ली पुलिस की खुलेआम सरपरस्ती में चल रहे हिंसक अभियान और आगजनी जिसमें तीन दर्जन से भी अधिक लेागों को अपनी जान गंवानी पड़ी है, दर्जनों लोग बुरी तरह घायल हुए हैं, गाड़ियां व दुकानें जलाई जा चुकी हैं. के मुख्य सरगना कपिल मिश्रा समेत अन्य भाजपा नेताओं को अविलंब गिरफ्तार करने की मांग की सदन के भीतर उठाई और बाहर में इसके खिलाफ प्रदर्शन किया. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रोन्नति में आरक्षण के सवाल पर दिए गए फैसले के मद्देनजर दलित-पिछड़ों को मिलनेवाली आरक्षण की सुविधा पर हो रहे हमले के खिलाफ भी बिहार विधानसभा से प्रस्ताव पारित करने की जोरदार मांग उठाई.