वर्ष - 29
अंक - 11
07-03-2020

नागरिकता संशोधन कानून, एनपीआर और एनआरसी के विरोध में लेखकों, कलाकारों व संस्कृतिकर्मियों का सम्मेलन एक मार्च को नई दिल्ली के जंतर मंतर पर आयोजित हुआ. ‘हम देखेंगे’ के नारे के साथ आयोजित इस लेखक कलाकार कन्वेंशन में हिंदी, अंग्रेजी, मलयालम, तेलगू समेत विभिन्न भारतीय भाषाओं में लिखने व काम करने वाले सैकड़ों लेखक-कवि-संस्कृतिकर्मी शामिल हुए.

देश भर में चल रहे सीएए-एनआरसी-एनपीआर विरोधी आंदोलनों के साथ एकजुटता जाहिर करने के लिए यह जुटान किया गया था. इसमें कवियों ने अपनी कविताएं सुनाईं, गायन व सांस्कृतिक टीमों ने नाटक व गीत प्रस्तुत किये. इसमें संगवारी थिएटर ग्रुप, जन संस्कृति मलयाली ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं. जनाना कलेक्टिव ने ‘जनाना का जमाना’ नामक बेहद प्रभावशाली नाट्य प्रस्तुत किया.

इस सम्मेलन में प्रतिभाग करने वाले लेखकों ने एक स्वर में नागरिकता संशोधन कानून को संविधान विरोधी बताया. उन्होंने कहा कि यह कानून और इसके साथ एनआरसी और एनपीआर का मूल मकसद देश में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण को तेज करते हुए फासीवाद कायम करना है. हिन्दू राष्ट्र कायम करने की मंशा से निर्देशित यह कवायद देश के अल्पसंख्यकों, दलितों, आदिवासियों, व घुमन्तु जनजातियों के विरोध में एक गहरी साजिश है, जो भारत की आजादी की लड़ाई के सपनों व आकांक्षाओं के विपरीत है. यह संविधान और लोकतंत्र को खत्म कर मनुवादी व्यवस्था कायम करने की साजिश है.

वक्ताओं ने दिल्ली में हुए साम्प्रदायिक हिंसा की घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि इसे दंगा नही कहा जाना चाहिए, इसमें पुलिस के साथ मिलकर की गई बहुसंख्यक साम्प्रदायिक गुंडों की हिंसा से भविष्य की बहुत ही चिंताजनक तस्वीर उभरती है. जिस तरह के वीडियो सामने आ रहे हैं, वह दिल्ली की हवाओं में घुलते जहर की ओर इशारा करते हैं. उन्होंने इस प्रकरण में राजनैतिक दलों व दिल्ली के सत्ताधारियों की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए.

सम्मेलन को प्रख्यात लेखिका अरूंधति राय, अशोक बाजपेयी, के सच्चिदानंदन, लाल्टू, सुभाष गाताडे, शुभा, विष्णु नागर, मंगलेश डबराल, टिकेन्द्र पवार, हिमांशु कुमार, भवर मेघवंशी, बद्री रैना, जगदीश पंकज, हीरालाल राजस्थानी, लाल रत्नाकर, डी रघुनंदन, गीता हरिहरन, नताशा, संजय रजौड़ा आदि ने सम्बोधित किया. नंदिता नारायण ने फैज अहमद पफैज की नज्म ‘हम देखेंगे’ की प्रस्तुति की. मृत्यंजय, अदनान कफील दरवेश सहित कई कवियों ने अपनी कविताएं पढ़ीं. सम्मेलन में अशोक भौमिक, असगर वजाहत, नरेश सक्सेना, अली जावेद, रामजी राय, मनोज कुमार सिंह, राजेश उपाध्याय, प्रियदर्शन, प्रो. शाहनवाज, गौहर रजा, शबनम हाशमी, भाषा सिंह, मदन कश्यप, उमा राग, रामायण राम, केके पांडेय, प्रियम अंकित, उमाकांत चौबे, कथाकार अनिल यादव, पत्रकार सुशील मानव आदि उपस्थित थे. प्रसिद्ध अभिनेता नासिरुद्दीन शाह ने सम्मेलन के लिए आडियो मैसेज भेजा. सम्मेलन का संचालन आशुतोष कुमार और संजीव ने संयुक्त रूप से किया.

– मनोज कुमार सिंह