वर्ष - 29
अंक - 31
31-07-2020

ऐपवा ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी के कार्यालय (लोकभवन) के सामने न्याय की मांग को लेकर अमेठी जिले की दो महिलाओं द्वारा आत्मदाह की कोशिश (जिसमें मां-बेटी क्रमशः 80 और 20 प्रतिशत तक जल गईं) और महिलाओं पर हिंसा की बढ़ती घटनाओं के खिलाफ 21 जुलाई को राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन किया.

महामारी नियमों को ध्यान में रख कर किए गए प्रदर्शनों के दौरान ऐपवा कार्यकर्ताओं ने नारे लगाए – ‘उत्तर प्रदेश में योगी का गुंडाराज नहीं, संविधान का राज चलेगा’, ‘गरीबों, दलितों और आदिवासियों पर हिंसा और दमन करने वाली भाजपा सरकार मुर्दाबाद’.

इस मौके पर ऐपवा प्रदेश अध्यक्ष कृष्णा अधिकारी ने कहा कि पूरे देश और उत्तर प्रदेश में आज जब जनता महामारी के संकट से जूझ रही है, ऐसी विषम परिस्थिति में भाजपा की सरकार में महिलाओं पर हिंसा के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं. उत्तर प्रदेश से लेकर मध्यप्रदेश (गुना) में महिलाओं के साथ उत्पीड़न की खबरें आ रही हैं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मीडिया में यूपी की कानून व्यवस्था पर अपनी पीठ भले ही थपथपा लें, लेकिन हाल में राजधानी लखनऊ में लोकभवन के सामने न्याय की मांग करने आई अमेठी की महिलाओं द्वारा आत्मदाह की घटना यह दिखाती है कि इस सरकार में गरीबों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है और उनके लिए न्याय के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हैं. कृष्णा अधिकारी ने इस हृदयविदारक घटना के लिए योगी सरकार को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने यह भी कहा कि योगी राज में दलितों, आदिवासियों की जमीन से बेदखली और सत्ता संरक्षण के बल पर उनके ऊपर पुलिस दमन पिछली सरकारों की अपेक्षा कहीं अधिक बढ़ा है. उन्होंने कहा कि लखनऊ, कानपुर, लखीमपुर, अयोध्या, आजमगढ़, चंदौली, सोनभद्र में हाल ही में दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों की हत्या और उत्पीड़न की घटनाएं सामने आई हैं, लेकिन थानों में उत्पीड़न की एफआईआर तक दर्ज नहीं की जाती और न ही अपराधियों की गिरफ्तारी होती है.

ऐपवा प्रदेश सचिव कुसम वर्मा ने कहा कि योगी सरकार के पास अयोध्या में मंदिर निर्माण और उसके शिलान्यास के लिए करोड़ों का बजट है, लेकिन पूरे प्रदेश में महामारी के दौरान भुखमरी, बेरोजगारी से जूझ रही जनता को देने के लिए इस सरकार के पास कोई ठोस योजना नहीं है. कुसुम वर्मा ने यह भी कहा की योगी जी ने संविधान की शपथ लेकर मुख्यमंत्री पद तो ग्रहण किया, लेकिन यूपी में महिलाओं पर हो रही हिंसा के आंकड़े बताते हैं कि हर रोज उत्तर प्रदेश में संविधान की अवहेलना की जा रही है.

प्रदेशव्यापी विरोध प्रदर्शन ऐपवा प्रदेश उपाध्यक्ष आरती राय और सह सचिव गीता पांडेय के नेतृत्व में सम्पन्न हुआ. इलाहाबाद में कार्यक्रम को रोकने के लिए पुलिस ऐपवा कार्यालय पर पहले ही पहुंच गई. इसके बावजूद वहां विरोध प्रदर्शन हुआ.

इसके अलावा यह कार्यक्रम लखनऊ, लखीमपुर, मथुरा, सीतापुर, बनारस, देवरिया, मिर्जापुर, चंदौली, भदोही, गाजीपुर व सोनभद्र में आयोजित किए गए.

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प्रदेशव्यापी विरोध के माध्यम से ऐपवा ने मांग की:

1. लखनऊ में न्याय मांगने आईं अमेठी की महिलाओं को आत्मदाह की हृदयविदारक घटना की ऐपवा तीखी निंदा करती है. ऐपवा जिंदगी से जूझ रही जख्मी सफिया को उच्च मेडिकल सुविधा और हादसे में घायल उनकी बेटी गुड़िया के समुचित उपचार की मांग करती है; साथ ही अमेठी में उनके जमीनी विवाद में त्वरित न्याय की भी मांग करती है.

2. अयोध्या में थाना हैदरगंज के ग्राम संवरधीर में सवर्ण सामन्ती ताकतों के द्वारा दलित महिलाओं के साथ अश्लील हरकत करने और उल्टे दलितों पर फर्जी एफआइआर दर्ज करने की ऐपवा कड़ी निंदा करती है. इस दौरान दोनों पक्षों में हुए विवाद में घायल दलित महिलाओं और उनके परिवारों के साथ ऐपवा संवेदना प्रकट करती है और उनकी मेडिकल जांच और उपचार की भी मांग करती है. इसी गांव में लंबे समय से अपनी वाजिब मजदूरी के लिए संघर्ष कर रहे दलित परिवारों की मांग के साथ ऐपवा एकजुटता प्रदर्शित करती है.

3. चंदौली जिले के चकिया ब्लाॅक में सत्ता समर्थित दबंग जिला पंचायत सदस्य महेन्द्र राव ने दो दलित महिलाओं को अर्धनग्न कर पिटवाया. लंबे संघर्ष के बाद एफआइआर तो दर्ज हो गई, लेकिन मुख्य आरोपी महेंद्र राव का नाम पुलिस ने प्राथमिकी में दर्ज नहीं किया है. ऐपवा इस घटना की तीखी निंदा करती है और दोनों महिलाओं के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए उनकी मेडिकल जांच कराने, समुचित उपचार कराने और मुख्य आरोपी के खिलाफ तत्जल एपआइआर दर्ज करने की मांग करती है.

4. मिर्जापुर में ऐपवा नेता जीरा भारती पर यौन हमला करने वाले हमलावरों की गिरफ्तारी 20 दिन के बाद भी नहीं की गई है. ऐपवा मांग करती है कि तत्काल हमलावरों को अविलंब गिरफ्तार किया जाए और मिर्जापुर के डीएम और एसपी को सस्पेंड किया जाए.

luc