वर्ष - 29
अंक - 36
22-08-2020

प्रवासी मजदूरों सहित सभी मजदूरों को 10 हजार रु. कोरोना लाॅकडाउन भत्ता देने, सभी ग्रामीण परिवारों को राशन-रोजगार देने, स्वयं सहायता समूह-जीविका समूह समेत तमाम तरह के छोटे लोन माप करने, मनरेगा की मजदूरी 500 रु. करने व साल में न्यूनतम 200 दिन काम की गारंटी करने, दलित व गरीब विरोधी नई शिक्षा नीति 2020 वापस लेने, सभी बाढ़ पीड़ितों को तत्काल 25 हजार रु. मुआवजा राशि उपलब्ध करवाने, छूटे-बचे सभी गरीब परिवारों के लिए राशन कार्ड का प्रावधान करने, सभी दलित-गरीब छात्रों को कोरोना काल में पढ़ाई के लिए स्मार्ट फोन देने, मनरेगा को कृषि कार्य से जोड़ने, बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देने के सवाल पर आज भाकपा-माले व खेग्रामस के बैनर से बिहार के लगभग 300 प्रखंडों पर प्रदर्शन हुआ, जिसमें हजारों की तादाद में दलित-गरीबों की भागीदारी हुई.

खेग्रामस के महासचिव धीरेन्द्र झा और पूर्व सांसद रामेश्वर प्रसाद ने कहा कि कोरोना महा लाॅकडाउन में मजदूर-किसानों की उपेक्षा को लेकर पटना-दिल्ली सरकारों के खिलाफ आक्रोश चरम पर है. गांव-पंचायतों में नकदी की भारी किल्लत है. लोग भूखे-अधभूखे रह रहे हैं. ऐसी स्थिति में सरकार को सबके लिए जीवनयापन भत्ता देने की गारंटी करनी चाहिए थी लेकिन बिहार की सरकार राज्य की जनता को कोरोना व बाढ़ की तबाही से जुझने के लिए छोड़कर चुनाव की तैयारी में लग गई है. यह चुनाव पूर्व दलित-गरीबों के आक्रोश का प्रदर्शन है जिसकी अभिव्यक्ति चुनाव में भी होगी. हमने नारा दिया है - “लाॅकडाउन भत्ता और कर्ज माफी का करो ऐलान, नहीं तो गांव-पंचायतों में घुसना नहीं होगा आसान.”

आगे कहा कि जीवन यापन के लिए मजदूरों को 10 हजार लाॅकडाउन भत्ता और समूह से जुड़ी महिलाओं को बिना ब्याज का 1 लाख का कर्ज अर्थव्यवस्था की गति के लिए जरूरी है. इसके बिना आज की तारीख में कुछ भी नहीं हो सकता है, इसलिए सरकार इस पर तत्काल कार्रवाई करे.

धनरूआ में प्रदर्शन का नेतृत्व करते हुए संगठन के राज्य सचिव गोपाल रविदास ने कहा कि गरीबों के बच्चों की पढ़ाई विगत 5 महीने से बंद है. इसलिए सरकार बच्चों की पढ़ाई के लिए सभी बच्चों के लिए स्मार्ट फोन की व्यवस्था करे. विधायक सत्यदेव राम ने सिवान में प्रदर्शन में हिस्सा लेते हुए कहा कि हजारों परिवार महीनों से बाढ़ की तबाही के कारण तटबंधों अथवा सड़कों के किनारे शरण लिए हुए हैं, लेकिन सराकर ने उन्हें मरने के लिए भूखे-प्यासे छोड़ दिया है. नाव और पाॅलिथिन की भी व्यवस्था सरकार नहीं कर पा रही है.

चंपारण में संगठन के राज्य अध्यक्ष वीरेंद्र गुप्ता, रघुनाथपुर (सीवान) में पूर्व विधायक अमरनाथ यादव, सहार में तरारी विधायक सुदामा प्रसाद, मुजफ्फरपुर में शत्रुघ्न सहनी, समस्तीपुर में जीवछ पासवान, दरभंगा में लक्ष्मी पासवान-जंगी यादव आदि नेतााओं ने आज के कार्यक्रम का नेतृत्व किया.

राजधानी पटना के नौबतपुर, मनेर, पतुहा, मसौढ़ी, पालीगंज, विक्रम सहित अरवल, जहानाबाद, गया, नालंदा, नवादा, वैशाली, मधुबनी, पूर्णिया, भागलपुर, गोपालगंज, सारण, सहरसा, सुपौल, पूर्वी चंपारण, जमुई, सीतामढ़ी, कैमूर, भोजपुर, रोहतास, बक्सर, सीवान, गोपालगंज, प. चंपारण, दरभंगा, समस्तीपुर, बेगूसराय आदि जिलों में 300 से भी अधिक प्रखंड मुख्यालय पर कार्यक्रम हुए जिसमें हजारों की तादाद में दलित-गरीबों की भागीदारी हुई.

बिहार के अलावे झारखंड, उत्तर प्रदेश, प. बंगाल, त्रिपुरा, उड़ीसा, असम, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु समेत देश के कई राज्यों में ग्रामीण गरीबों ने स्थानीय प्रखंड कार्यालयों पर भाकपा(माले) और अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा के बैनर तले प्रदर्शन आयोजित किए, मानव श्रृंखला बनाई और हर जगह 10 सूत्री मांग पत्र सौंपा.

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