वर्ष - 29
अंक - 39
19-09-2020

अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा के बैनर तले विगत 16 अगस्त से 15 सितंबर 2020 तक एक विशेष अभियान चलाया गया. बिना किसी योजना के क्रूरतापूर्व किए गए लाॅकडाउन के कारण दिन ब दिन भुखमरी-अर्ध भुखमरी तथा रोजगार की कमी से बुरी तरह प्रभावित ग्रामीण आबादी – गरीबों और विभिन्न मेहनतकश वर्गों की मांगों को जानना, उनके पक्ष में मजबूती से खड़ा होना और सरकार पर यह दबाव बनाना कि वह युद्ध स्तर पर राहत अभियान चलाकर उनके जीवन, जीविका व मान-सम्मान की रक्षा करे – इस अभियान का लक्ष्य था. अभियान की पृष्ठभूमि में प्रवासी मजदूरों, जनवितरण प्रणाली के लाभुकों व और ‘कर्ज मुक्ति’ की मांग पर माइक्रो फाइनांस से जुड़ी स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को गोलबंद कर चले अभियानों की सफलता के अनुभव शामिल थे. अभियान के दौरान 31 अगस्त 2020 को प्रखंड और 15 सितंबर 2020 को जिला मुख्यालयों पर आंदोलनात्मक कार्यक्रम तय किए गए थे.

अभियान की तैयारी में मुख्य जोर था – गांव-गांव में घर-घर जाकर गरीब टोले के हा परिवार से मिलना और बिना हाथ छूए शारीरिक दूरी रखने व मास्क पहनने के नियम का पालन करते हुए व्यापक जनगांलबंदी करना.

अभियान के प्रमुख मुद्दे

  1. सभी प्रवासी, मनरेगा  और सभी किस्म के ग्रामीण श्रमिकों को कोरोना लाॅकडाउन भत्ता के बतौर 10,000 रुपया दिया जाए.
  2. मनरेगा के दायरे को बढ़ाते हुए सालों भर  प्रति परिवार को 200 दिन का काम और 500 रुपया दैनिक मजदूरी दिया जाए. मनरेगा के अंदर शहरी श्रमिकों को भो काम दिया जाये और इसे कृषि कार्यों से भी जोड़ कर काम उपलब्ध कराया जाए.
  3. सभी गरीब परिवारों को मुफ्त राशन सहित दाल, तेल, मसाले, साबुन और मास्क भी मुफ्त वितरित किया जाए.
  4. जीविका समेत सभी स्वयं सहायता समूहों द्वारा महिलाओं को दिए हुए कर्ज के अलावा बटाईदारों और किसानों द्वारा लिए हुए केसीसी और अन्य कर्जों की वसूली पर रोक लगे और इन कर्जों को माफ किया जाए.

यह अभियान जनता को नफरत और विभाजन की राजनीति के खिलाफ सांप्रदायिक सद्भाव और वर्ग एकता के पक्ष में खड़ा करने तथा हाशिये पर के समूहों और गरीबों को वंचित करने वाले मोदी सरकार की नई आर्थिक नीति और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, यानी रेलवे, बैंकों, डिफेंस सहित देश के प्राकृतिक संसाधनों की बिक्री तथा किसान और पर्यावरण विरोधी इनवायरोंमेंटल इम्पैक्ट एसेसमेंट अध्यादेश 2020 का विरोध करने के लिए भी था. खेग्रामस की सभी राज्य इकाईयों ने डिजिटल विकल्पों (ज़ूम, गिट्स आदि) का उपयोग करके तथा खेग्रामस की सभी गांव, टोला व पंचायत स्तर की इकाइयों ने समुचित सुरक्षा उपायों को अपनाते हुए शारीरिक रूप से बैठकें आयोजित कर अभियान की तैयारी की.

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बिहार: स्वयं सहायता समूह की महिलाएं भी उतरीं

यह कार्यक्रम बिहार के प्रायः सभी जिलों में आयोजित हुआ. सीवान में विशाल मार्च निकला जिसमें स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की भारी संख्या शामिल हुई. पटना ग्रामीण, समस्तीपुर, अरवल, सुपौल, मुजफ्फरपुर, शेखपुरा, मधुबनी और गया में जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन हुआ जबकि नवादा व जहानाबाद में मानव श्रृंखला बनाई गई. जमुई में पीएम आवास योजना में धांधली के सवाल को जोड़ते हुए धरना दिया गया. दरभंगा में जिला मुख्यालय तथा बेनीपुर व बिरौल प्रखंड मुख्यालयों पर प्रतिवाद मार्च आयोजित हुआ. औरंगाबाद के दाउदनगर समेत 4 प्रखंडों में प्रतिवाद कार्यक्रम हुए. बिहारशरीफ के श्रम कल्याण मैदान में मानव श्रृंखला बनाई गई. कैमूर, वैशाली और गया में भी कार्यक्रम हुए.

नवादा में के भाकपा(माले) जिला सचिव का. नरेंद्र कुमार सिंह, ऐपवा जिला सचिव का. सुदामा देवी व खेग्रामस के का. अर्जुन पासवान की अगुआई में बड़ी संख्या में जुटीं ऐपवा व समूह की महिलाओं ने मानव श्रृंखला बनाई और कर्ज माफी समेत सभी मांगों को जोरदार तरीके से उठाया. यह कार्यक्रम स्वयं सहायता समूह, ऐपवा व खेग्रामस के संयुक्त बैनर से आयोजित हुआ.

जहानाबाद में आयोजित मानव श्रृंखला में कापफी संख्या में लोग जुटे. उन्होंने जहानाबाद स्टेशन से एक नंबर चौकी तक कतार में खड़े होकर मांगों के समर्थन में नारे लगाए.

सुपौल में खेग्रामस और ऐपवा के नेतृत्व में स्वयं सहायता समूह, जीविका दीदियों और किसानों के केसीसी लोन की माफी की मांग पर जिलाधिकारी के समक्ष प्रदर्शन किया गया. प्रदर्शन को भाकपा(माले) के जिला सचिव जयनारायण यादव, आइसा के कोशी प्रभारी डा. अमित चौधरी और खेग्रामस के जिला अध्यक्ष अक्षयलाल मेहता ने संबोधित किया. प्रदर्शन को वीणा देवी, नीतीश कुमार उर्फ बंटी, योगेंद्र पासवान, रामप्रसाद यादव ने भी संबोधित किया. नवल किशोर मेहता, ललिता देवी, कामेश्वर यादव, दुर्गी सरदार, ललित कुमार, संतोष कुमार सियोटा, मिथुन यादव, विनोद यादव, श्रवण मेहता, गीता सरदार, रामदेव यादव, सीताराम यादव समेत कई कार्यकर्ता  इसमें मौजूद थे.

गया में गांधी मैदान से खेग्रामस, भाकपा(माले) व ऐपवा के संयुक्त बैनर से मार्च निकला जो जिलाधिकारी कार्यालय तक पहुंचा और मांगों का ज्ञापन सौंपा. सीवान में कर्ज माफी को लेकर स्वयं सहायता समूह व जीविका सहित महिलाओं ने सरकार के खिलाफ सीवान के सड़कों की मार्च किया.

मधुबनी में खेग्रामस व ऐपवा के बैनर तले सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने रेलवे स्टेशन परिसर से जिलाधिकारी कार्यालय तक मार्च निकाला. मार्च का नेतृत्व खेग्रामस के जिला अध्यक्ष उत्तीम पासवान, जिला सचिव बेचन राम एवं ऐपवा के जिला संयोजक पिंकी सिंह ने किया. स्वयं सहायता समूह-जीविका समूहों से जुड़ी सभी महिलाओं का लोन माफ करने, ग्रुप लोन पर ब्याज दर आधा करने, ब्याज पर ब्याज वसूलना बंद करने, सभी प्रवासी और ग्रामीण मजदूरों को मनरेगा के तहत वर्ष में दो सौ दिन काम और पांच सौ रुपए दैनिक मजदूरी देने की गारंटी करने आदि के साथ ही दिल्ली में 48000 झोपड़ियां उजाड़ने से पहले वैकल्पिक ब्यवस्था करने की मांग की. जिलाधिकारी कार्यालय के समक्ष उत्तीम पासवान की अध्यक्षता में आयोजित सभा को ऐपवा के जिला संयोजक एवं पूर्व जिला पार्षद पिंकी सिंह, खेग्रामस के जिला सचिव बेचन राम, भाकपा(माले) के रहिका प्रखंड सचिव अनिल कुमार सिंह आदि ने संबोधित किया. मार्च में सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने भाग लिया.

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बिहारशरीफ श्रम कल्याण केंद्र मैदान में  खेग्रामस, मनरेगा मजदूर सभा, ऐपवा व माले द्वारा राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम के तहत शारीरिक दूरी और कोरोना नियमों का पालन करते हुए मानव श्रृंखला बनाई गई और प्रतिवाद सभा करने के बाद जिलाधिकारी को मांग पत्र दिया गया. कार्यक्रम का नेतृत्व खेग्रामस जिला सचिव रामधारी दास, मनमोहन, प्रमोद यादव, सिलाव व राजगीर प्रखंड में कर्ज मुक्ति आंदोलन की नेता दीपा कुमारी और मुन्नी देवी, ऐपवा की जिला संयोजिका गिरिजा देवी, अखिल भारतीय किसान महासभा से पाल बिहारी लाल लाल, ठेला फुटपाथ यूनियन के रामदेव चौधरी, शिवशंकर जी आदि ने किया.

हाजीपुर में भाकपा(माले), खेग्रामस व ऐपवा ने भाकपा(माले) कार्यालय के प्रांगण में सभा आयोजित कर नौ-सूत्री मांगों का ज्ञापन जिलाधिकारी वैशाली को दिया. इस मौके पर खेग्रामस के राष्ट्रीय पार्षद दीनबंधु प्रसाद, जिला सचिव रामबाबू भगत, ऐपवा की जिला उपाध्यक्ष शांति देवी, छात्र नेता मणि राज आदि ने सभा को संबोधित किया. कार्यक्रम सदर प्रखंड के रंदाहा में भी किया गया जिसका नेतृत्व अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष विशेश्वर प्रसाद यादव, ऐपवा नेत्री किरण देवी व चिंता देवी आदि ने किया.

दरभंगा में खेग्रामस, ऐपवा, मनरेगा मजदूर सभा और भाकपा(माले) के बैनर से आक्रोशपूर्ण मार्च निकला जो कमिश्नरी के सामने से निकलकर टावर, लोहिया चौक तक गया और फिर वहीं वापस होकर सभा में तब्दील हो गया है. मार्च में बहादुरपुर सदर, बहेरी, हायाघाट, हनुमाननगर, केवटी, सिंघवारा और जाले आदि प्रखंडों से बड़ी संख्या में आई स्वयं सहायता समूह की महिलाएं भी शामिल थीं. खेग्रामस जिला अध्यक्ष जंगी यादव, उपाध्यक्ष जमालुद्दीन, रसीदा खातून, सहसचिव हरि पासवान, गणेश महतो, मनरेगा मजदूर सभा के जिला अध्यक्ष पप्पू कुमार पासवान, ऐपवा जिला अध्यक्ष  का. साधना शर्मा व सचिव का. शनीचरी देवी आदि ने इसकी अगुआई की. बिरौल अनुमंडल कार्यालय पर का. बैद्यनाथ यादव तथा बेनीपुर में का. अवधेश सिंहके नेतृत्व में प्रदर्शन कर सात-सूत्री मांग पत्र दिया गया.

अरवल जिला के कलेर व कुर्था प्रखंड मुख्यालयों पर भाकपा(माले) और खेग्रामस के बैनर तले गरीबों व प्रवासी मजदूरों की विभिन्न मांगों को लेकर के प्रदर्शन किया गया तथा बीडीओ को नौ-सूत्री मांगों का ज्ञापन सौंपा गया.

आरा में अगले दिन 16 सितंबर 2020 को मानव श्रृंखला बनाई गई जिसमें सैकड़ों की संख्या में खेत मजदूर शामिल हुए. इस दौरान नौ-सूत्री म मांगों को लेकर जोरदार नारेबाजी होती रही. मानव श्रृंखला के बाद प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन जिलाधिकारी को  दिया गया. खेग्रामस के जिला सचिव कामता प्रसाद सिंह, जिलाध्यक्ष जीतन चौधरी, मदन सिंह, छपित राम, दसईं राम, दिनेश्वर राम, श्री भगवान राम, बीरबल यादव, चंदेश्वर राम, मुकेश पासवान, इंदू देवी आदि सहित सैकड़ों लोग इस कार्यक्रम में शामिल थे.

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उत्तर प्रदेश में हुए जोरदार प्रदर्शन

भाकपा(माले), ऐपवा और खेग्रामस ने महामारी में माइक्रोफाइनेंसिंग कंपनियों द्वारा महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को दिए कर्जों की मापफी व अन्य राहतों के लिए 15 सितंबर को देशव्यापी आह्वान के तहत उत्तर प्रदेश में जिला मुख्यालयों जोरदार प्रदर्शन किया. बड़ी संख्या में महिलाओं और कार्यकर्ताओं ने रैलियां निकालीं और जिले के अधिकारियों के माध्यम से केंद्र सरकार को ज्ञापन भेजा. साथ ही अधिकारियों को चेतावनी दी कि गरीब महिलाओं से जबरन वसूली नहीं रुकी तो आंदोलन तेज किया जाएगा.

बलिया में हुए प्रदर्शन में करीब डेढ़ हजार महिलायें जुटीं. स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं और प्रदर्शनकारियों ने समूह का कर्ज माफ कराने, प्रवासी मजदूरों को दस-दस हजार रु. प्रति माह लाॅकडाउन भत्ता देने व बिजली बिल माफ करने के लिए लगभग 2 किमी रैली निकाल कर बलिया जिलाधिकारी को घेरा. भाकपा(माले) के केंद्रीय समिति सदस्य व खेग्रामस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का. श्रीराम चौधरी ने किसानों, मनरेगा मजदूरों, स्थानीय समस्याओं व सवालों से भी जिलाधिकारी को अवगत कराते हुए तत्काल समाधान करने की मांग के साथ ज्ञापन दिया. भाकपा(माले) जिला सचिव का. लाल साहब, ऐपवा से रेखा पासवान, महिला नेता सोमरिया राजभर, इनौस के प्रदेश उपाध्यक्ष भागवत बिंद, आइसा प्रदेश अध्यक्ष शैलेश पासवान, राजू राजभर, जितेंद्र पासवान, वशिष्ठ राजभर, एडवोकेट का. लक्ष्मण यादव आदि के अलावा काफी संख्या में महिलाएं शामिल रहीं.

लखीमपुर खीरी में आयोजित विरोध प्रदर्शन के दौरान ऐपवा की प्रदेश अध्यक्ष कृष्णा अधिकारी ने कहा कि सरकार की नाकामी की वजह से आज प्रदेश की जनता भुखमरी और बेरोजगारी से जूझ रही है, लोग आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं. सरकार की विफल ही चुकी आर्थिक नीतियों का असर सबसे अधिक आधी आबादी पर पड़ रहा है. स्वयं सहायता समूह से जुड़ी गरीब महिलाओं ने माइक्रो फाइनेंस कम्पनियों से जो लोन लिया था, वही कम्पनियां आज अमानवीय ढंग से जबरन वसूली करके महिलाओं का उत्पीड़न कर रही हैं. एसएचजी से जुड़ी सभी महिलाओं के सभी तरह की कर्ज सरकार माफ करे. ऐपवा उपाध्यक्ष आरती राय ने कहा कि भाजपा सरकार एक तरफ बड़े पूंजीपतियों के अरबों रूपयों के कर्ज तो माफ कर दे रही है, लेकिन गरीब महिलाओं के कर्ज माफ करने के आदेश देने में क्यों कतरा रही है? पलिया कलां में हुए कार्यक्रम के जरिए लोन माफी सहित सरकारी अस्पताल में महिला डाक्टर, सर्जन, दवाइयां व मशीनरी का इन्तजाम के लिए ज्ञापन दिया गया.

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चंदौली में बिछिया धरना स्थल से जिलाधिकारी कार्यालय तक मार्च के बाद राष्ट्रपति को संबोधित 15 सूत्रीय ज्ञापन तथा जिले में जबरन वसूली रोकने व अन्य तमाम सवालों को हल करने संबंधित मांग पत्र जिलाधिकारी चंदौली को सौंपा गया. सभा को संबोधित करते हुए खेग्रामस के राष्ट्रीय सचिव अनिल पासवान और ऐपवा जिला सचिव प्रमिला मौर्य ने कहा कि इन माइक्रोफाइनांस कंपनियों के दबाव में लोगों को एक कर्ज भरने के लिए दूसरा कर्ज लेना पड़ रहा है. कंपनियों के एजेंट महिलाओं को यहां तक कह रहे हैं कि तुम अपना शरीर बेचो, लेकिन इसका पैसा जमा करो. जिलाधिकारी ऐसी कंपनियों व उनके एजेंटों के खिलाफ आवश्यक कानूनी कार्यवाही करें अन्यथा गांव-गांव महिलाएं आंदोलन के लिए बाध्य होंगी. मार्च व सभा में मुख्य रूप से शशिकांत सिंह, श्रवण मौर्य, मुंशी राय, कृष्णा राय, हरिशंकर विश्वकर्मा, श्याम देवी, रमेश राय, किस्मत यादव, सुजीत राम, सुनीता देवी, रमेश बनवासी, रामदुलार बिंद, मेहंदी हसन, रामायण राम, शिवनारायण बिंद, धर्मपाल राम सहित बड़ी संख्या में महिला तथा पुरुष शामिल रहे.

मिर्जापुर में जिला प्रशासन ने मार्च निकालने पर रोका, तो रेलवे स्टेशन के सामने मानव श्रृंखला बनाकर विरोध किया गया. वहीं पर सिटी मजिस्ट्रेट ने मांग पत्र लिए. देवरिया में प्रदर्शन का नेतृत्व करते हुए भाकपा(माले) जिला सचिव व ऐपवा नेता गीता पाण्डे ने कहा कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की गाइडलाईन के अनुसार 31 मार्च 2021 तक किसी भी तरह के कर्जे की वसूली नहीं की जा सकती है, लेकिन प्रदेश भर में माइक्रो फाइनेंस कम्पनियां रिजर्व बैंक के नियमों का खुलेआम उल्लंघन कर रही हैं.

मथुरा में हुए कार्यक्रम में भाकपा(माले) राज्य कमेटी सदस्य नशीर शाह ने कहा कि कोरोना के बहाने राज्य व केंद्र सरकार किसान, मजदूर व गरीब विरोधी काले कानून पास कर रही है. यूपी में एसएसएफ कानून हाल ही में लागू किया गया है, जिसमें किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिये अब किसी वारंट या मजिस्ट्रेट की मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं है. ऐपवा की जिला संयोजक ममता चौधरी, किसान महासभा के राज्य उपाध्यक्ष नत्थीलाल पाठक, जिला अध्यक्ष गेंदालाल, उपाध्यक्ष एलएन सिंह, दुर्गा प्रसाद, राकेश चौधरी, तारा सिंह व अमर सिंह, सलीम खान, विष्णु पाठक, अरविंद पाठक, होशयार सिंह आदि शामिल रहे.

भदोही में हुए प्रदर्शन में भाकपा(माले) राज्य सचिव सुधाकर यादव ने भागीदारी की. गाजीपुर, आजमगढ़, वाराणसी, गोरखपुर, सीतापुर, इलाहाबाद, मुरादाबाद आदि जिलों में भी मार्च/प्रदर्शन आयोजित किये गए.

जिन अन्य प्रमुख मांगों को उठाया गया, वे हैं एक लाख रुपये तक के निजी कर्ज का, चाहे वे सरकारी, माइक्रोफाइनेंस संस्थानों अथवा निजी बैंकों से लिए गए हों, लाॅकडाउन के दौर के सभी किस्त माफ किये जाएं. सभी छोटे कर्जों की वसूली पर 31 मार्च 2021 तक रोक लगाई जाए. स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को रोजगार और उनके उत्पादों की खरीद सुनिश्चित की जाए. एक लाख रुपये तक के कर्ज को ब्याज मुक्त बनाया जाए. शिक्षा लोन को ब्याज मुक्त किया जाए. सामूहिक कर्ज के नियमन के लिए राज्य स्तर पर एक अथोरिटी (अधिकरण) बनाया जाए. स्वरोजगार के लिए 10 लाख रुपये तक के कर्ज पर 0-4% ब्याज दर पर दिए जाएं. जिस छोटे कर्ज का ब्याज मूलधन के बराबर या उससे अधिक दे दिया गया हो, उस कर्ज को समाप्त किया जाए.

अन्य राज्य भी पीछे नहीं

आंध्र प्रदेश में खेग्रामस के राष्ट्रीय आह्वान का पालन करते हुए विशाखपटनम् जिले के अनकापल्ली में अनुमंडल मुख्यालय पर  प्रदर्शन कर क्षेत्रधिकारी को मांगपत्र सौंपा गया. भाकपा(माले) के राज्य सचिव का. बंगा राव ने प्रदर्शन को संबोधित किया. ईस्ट गोदावरी जिले के काकीनाड़ा में भी खेग्रामस व ऐपवा के राष्ट्रीय आह्वान का पालन करते हुए कार्यक्रम आयोजित हुआ. असम के नाहरकटिया में माइक्रो फाइनेंस के संगठन शोषण विरोधी संग्रामी मंच के बैनर तले कार्यक्रम आयोजित किया गया. असम के पानीतला  और ग्वालपारा में भी 15 सितंबर के आह्वान का पालन करते हुए प्रदर्शन हुए. ओडिसा के रायगड़ा में खेग्रामस व ऐपवा ने जिला कलेक्टर के समक्ष रैली आयोजित कर अपनी मांगों का ज्ञापन दिया गया. त्रिपुरा में भी 15 सितंबर के आह्वान का पालन करते हुए घरों में रहकर ही प्रदर्शन आयोजित हुए. प. बंगाल के सिलिगुड़ी में भारी बारिश के बीच अनुमंडलाधिकारी कार्यालय पर रैली व प्रदर्शन किया गया. हुगली (चुचुहा), बर्दमान, हावड़ा और नार्थ चौबीस परगना जिलों में भी रैली व प्रदर्शन आयोजित हुआ.

 

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