वर्ष - 29
अंक - 40
26-09-2020

श्रमिक अधिकारों को रौंदने वाली चार श्रम संहिताओं, विनाशकारी तीन कृषि कानूनों, बिजली की दरों में बेतहाशा वृद्धि तथा कर्मचारियों के हितों पर कुठाराघात करने वाला बिजली सुधार अधिनियम 2020, एलआईसी, रेलवे, कोयला खदानों के निजीकरण, केंद्र-राज्य तथा पेंशनरों के महंगाई भत्ते की वृद्धि पर रोक, अर्थव्यवस्था का सर्वनाश, अब तक की सबसे बड़ी बेरोजगारी, डीजल-पेट्रोल के दामों में बेतहाशा वृद्धि, विकराल महंगाई, असंगठित क्षेत्र तथा प्रवासी श्रमिकों की तबाही आदि के विरुद्ध 23 सितंबर 2020 को देश की 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों तथा स्वतंत्र फेडरेशनों ने धरना-प्रदर्शन का देशव्यापी कार्यक्रम किया.

इलाहाबाद में उप श्रमायुक्त कार्यालय पर धरना-प्रदर्शन एवं ज्ञापन देने का कार्यक्रम आयोजित हुआ. धरना को नसीम अंसारी, रवि मिश्र, रामसागर, देवेन्द्र प्रताप सिंह, डा. कमल उसरी, अविनाश मिश्र, गायत्री गांगुली, अनु सिंह, बबली (रेलवे ठेका मजदूर), अखिल विकल्प, एससी बहादुर, अवधेश यादव, गौतम गांगुली, समीर गांगुली, आशुतोष त्रिपाठी, मोहन सिंह, आरसी यादव, मुस्तकीम, रामफेर तिवारी, सुनील मौर्य, शैलेश पासवान, आलोक तिवारी, विकास स्वरूप आदि ने संबोधित किया. धरने की अध्यक्षता रामसागर तथा संचालन अविनाश कुमार मिश्र ने किया.

उदयपुर में केंद्र सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों और निजीकरण के खिलाफ राष्ट्रपति को जिला कलेक्टर के माध्यम से ज्ञापन दिया गया. सीटू के जिला अध्यक्ष राजेश सिंघवी, ऐक्टू के राज्य सचिव सौरभ नरुका, एटक के वरिष्ठ नेता हिम्मत छांगवाल, इंटक के प्रदेश कार्यालय मंत्री सुरेश श्रीमाली की ओर से दिए गए इस ज्ञापन में श्रम कानूनों को खत्म करने, सरकारी उपक्रमों को बेचने के फैसले और मजदूरों को बेरोजगारी भत्ते की मांग को प्रमुखता से उठाया गया. किसान संगठनों की नए कृषि विधेयकों को वापस लेने की मांग का भी समर्थन किया गया. इस मौके पर शंकरलाल चौधरी, हीरालाल साल्वी, मदन आदि मौजूद थे.

बिहार में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने राजधानी पटना सहित पूरे राज्य में जोरदार प्रदर्शन किया. राजधानी पटना में डाक बंगला चौराहे पर 3 श्रम कोडों की प्रतियों को जलाया गया. रेलवे के निजीकरण के खिलाफ रेल मजदूरों के आंदोलन के समर्थन में पटना जंक्शन रेल परिसर आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन हुआ और कृषि बिल के खिलाफ 25 सितंबर को आयोजित हो रहे किसानों के राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन का समर्थन किया गया. प्रदर्शन का नेतृत्व ऐक्टू के रणविजय कुमार, सीटू के गणेश शंकर सिंह, एटक के अजय कुमार, इंटक के चंद्रप्रकाश सिंह, एआईयूटीयूसी के सूर्यंकर जितेंद्र, यूटीयूसी के वीरेंद्र ठाकुर, एआईएमयू के नृपेन कृष्ण महतो, सेवा की पूनम पांडे व एचएमएस तथा टीयूसीसी के नेताओं ने किया.

प्रदर्शन में सीटू अध्यक्ष दीपक भट्टाचार्य, अरुण मिश्रा, ऐक्टू के रामबली प्रसाद, जितेंद्र कुमार, मुर्तजा अली, ऐक्टू व आशा संघ नेत्री शशि यादव, महासंघ (गोप गुट) के महासचिव प्रेमचन्द कुमार सिन्हा आदि नेताओं समेत बड़ी संख्या में स्कीम वर्कर्स, आशा, सफाई मजदूर तथा निर्माण मजदूर भाग लिए. डाकबंगला चौराहा पर हुई सभा को रणविजय कुमार, गणेश शंकर सिंह व चन्द्र प्रकाश सिंह ने सम्बोधित किया.

मुजफ्फरपुर में भी ऐक्टू ने जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन कर प्रधानमंत्री के नाम मांग-पत्रा प्रस्तुत किया. जुलूस हरिसभा चौक स्थित माले कार्यालय से निकल कर शहर के प्रमुख रास्ते से गुजरते हुए समाहरणाल परिसर पहुंचा. प्रदर्शन में ऐक्टू के जिला संयोजक मनोज यादव, रसोइया संघ के जिला सचिव परशुराम पाठक, निर्माण मजदूर यूनियन के जिला सचिव अमोद पासवान सहित विभिन्न मजदूर संगठनों के नेता व सैकड़ों की संख्या में मजदूर शामिल थे.

सुपौल में ऐक्टू के जिला सचिव व ट्रेड यूनियन संयुक्त संघर्ष समिति के जिला संयोजक कामरेड अरविंद कुमार शर्मा, युवा इंटक के जिलाध्यक्ष सुरेश चौपाल के संयुक्त नेतृत्व में विरोध दिवस का आयोजन किया गया. मोतिहारी में ऐक्टू के बैनर तले जिलाधिकारी के समक्ष प्रदर्शन किया गया. सहरसा में रेलवे स्टेशन पर ऐक्टू नेता प्रमोद साह, सीटू नेता मो. शमीम व एटक के नेता प्रभुलाल दास की अध्यक्षता में धरना दिया गया.

संसद के मानसून सत्र में श्रम कानूनों में मालिक पक्षीय बदलाव कर मजदूरों को गुलाम बनाने की साजिश के खिलाफ ‘कंपनी राज की खुल गई पोल, बोल रे साथी हल्ला बोल’, के जोरदार नारे के साथ एटक, ऐक्टू व सीटू से जुड़े मजदूरों व कर्मचारियों ने रांची में ‘हल्ला बोल रैली’ निकाली. मेन रोड स्थित ऐक्टू कार्यालय से निकाली गई रैली सैनिक बाजार पहुंच कर सभा में तब्दील हो गई. जगह के अभाव में मजदूरों ने सैनिक बाजार के फुट ओवरब्रिज पर चढ़ कर झंडे-बैनरों के साथ प्रदर्शन किया.

धनबाद, बोकारो, टाटा नगर, कोडरमा, गिरीडीह, हजारीबाग, रामगढ़, लोहरदगा, पलामू, पाकुड़, साहेबगंज, गोड्डा, सिमडेगा, गुमला और सरायकेला के अलावा राज्य के औद्योगिक क्षेत्रों में मजदूरों-कर्मचारियों ने धरना व प्रदर्शन आयोजित कर विरोध दर्ज कराया. असंगठित क्षेत्र के कामगारों के अलावा राज्य सरकार के कर्मचारियों, सेल्स प्रमोशन इंप्लाइज, कोयला, इस्पात, तांबा, बैंक और बीमा सेक्टर, रेलवे, पेट्रोलियम, दूरसंचार, फार्मा, ट्रांसपोर्ट, निर्माण, बीड़ी और पत्थर उद्योग के कामगारों, परियोजना कर्मियों, मिड डे मील वर्कर्स, आंगनबाड़ी व सहिया सहित अन्य विभिन्न सेक्टरों के कामगारों ने इसमें बढ-चढ़कर हिस्सा लिया.

संयुक्त कार्यक्रम का नेतृत्व एटक महासचिव पीके गांगुली, सीटू महासचिव प्रकाश विप्लव, ऐक्टू महासचिव शुभेंदु सेन, बेफी के कनक रंजन व शांति खलको, निर्माण मजदूरों के नेता भुवनेश्वर केवट, वीरेंद्र महतो, जगरनाथ उरांव और एटक के सच्चिदानंद मिश्र, आलोका, एफएमआरएआई के अनिर्वाण बोस, राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष गोपाल शरण सिंह, सुशीला तिग्गा, श्यामलाल चौधरी आदि ने किया. पुद्दुचेरी में श्रमिक संगठनों का संयुक्त प्रतिवाद प्रदर्शन हुआ. असम में भी कई स्थानों पर चाय बगान मजदूरों समेत अन्य मजदूरों ने प्रदर्शन किया. ओड़िसा के गुनुपुर (रायगड़ा जिला) में ऐक्टू के बैनर तले प्रतिवाद प्रदर्शन हुआ.

 

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