वर्ष - 29
अंक - 39
19-09-2020

यूएपीए जैसे काले कानून के तहत दिल्ली दंगों में कथित षड्यंत्र रचने के आरोप में उमर खालिद की गिरफ्तारी और माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा(माले) पोलित ब्यूरो की सदस्य कविता कृष्णन, स्वराज अभियान के योगेन्द्र यादव, सीपीआई की एनी राजा, जेएनयू की प्रोफेसर जयति घोष, डीयू के प्रोफेसर अपूर्वानंद, वृत्त चित्र निर्माता राजीव राय समेत कई विख्यात नागरिकों को दिल्ली पुलिस द्वारा झूठे आपराधिक मुकदमे मे फंसाये जाने की कार्रवाई का रांची के नागरिकों ने कड़ा विरोध किया है.

राजधानी रांची के परमवीर अलबर्ट एक्का चौक पर वामदलों, जन संगठनों, सामाजिक संगठनों, सिविल सोसाइटी के लोगों और प्रबुद्ध नागरिकों के अलावा रांची के शाहीन बाग (कडरू) आंदोलन में शामिल महिलाओं ने शारीरिक दूरी और स्वास्थ्य मंत्रालय के एडवाइजरी का पालन करते हुए विरोध प्रदर्शन आयोजित किया.

इसमे सीपीएम के प्रकाश विप्लव, भाकपा(माले) के जनार्दन प्रसाद, भाकपा के अजय सिंह, मासस के सुशांतो, समीर दास, प्रफुल्ल लिंडा, सुखनाथ लोहरा, प्रकाश टोप्पो, भुवनेश्वर केवट, शुभेंदु सेन, एआईपीएफ के नदीम खान, जयंत पांडे, वीणा लिंडा, सामाजिक कार्यकर्ता मो. इकबाल, मो. बब्बर, जमील अख्तर, असफर खान, शम्स तबरेज, आसिफ अहमद, ऐपवा की शांति सेन, ऐति तिर्की, आईसा के मो. सोहैल, नौरीन, तरुण, ऐडवा की रेणू प्रकाश, मोहन दत्ता, सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीर पीटर, वजय वर्मा, सुमन साहू, एनामुल हक समेत कई प्रबुद्ध नागरिकों ने हिस्सा लिया.  

नागरिकों ने कहा कि दिल्ली दंगों के दौरान जहरीले भाषण देनेवाले भाजपा नेताओं पर कोई कार्रवाई नहीं की गई क्योंकि इन्हें केंद्रीय गृह मंत्रालय का संरक्षण मिला हुआ है. लेकिन सीएए के खिलाफ चल रहे आंदोलन मे शामिल इन युवाओं को लक्षित कर डरावने काले कानून यूएपीए मे गिरफ्तार करने का निर्देश दिल्ली पुलिस को दिया गया ताकि इन्हें जेलों मे सड़ाने का काम किया जा सके.

नागरिकों ने दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा द्वारा प्रगतिशील प्राध्यापकों, एक्टिविस्टों और बुद्धिजीवियों को सम्मन जारी कर उनसे पूछताछ की कसरत अविलंब बंद करने, दिल्ली दंगों के मामले मे यूएपीए के तहत गिरफ्तार लोगों को रिहा करने तथा दिल्ली दंगे की स्वतंत्र जांच उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त जज से कराने और इस जांच में गृह मंत्रालय के अधीन दिल्ली पुलिस की पूर्वाग्रह से ग्रसित भूमिका को भी शामिल करने की मांग की.

– नदीम खान