वर्ष - 29
अंक - 36
22-08-2020

पश्चिम चम्पारण जिला के गौनाहा अंचल के भाकपा(माले) के वरिष्ठ नेता कामरेड मोती महतो नहीं रहे. उनका निधन 21अगस्त की रात में हार्ट अटैक से हो गया. वे करीब 70 वर्ष के थे. अस्सी के दशक में उन्होंने अपने पैतृक गांव नरकटियागंज के मनवा परसी में सामंती उत्पीड़न से जनता की मुक्ति के लिए काफी तीखा संघर्ष किया जिसके चलते उन्हें उम्र कैद की सजा काटनी पड़ी. उनके तीन भाइयों को भी गांव से विस्थापित होना पड़ा. चारों भाइयों की करीब चार एकड़ जमीन पर सामंतों ने कब्जा कर लिया. उनके घरों को मटियामेट कर दिया गया. उनकी पत्नी को भाग कर एक सम्बन्धी के यहां गौनाहा अंचल के पीपरा गांव में शरण लेनी पड़ा. वहां रह कर उन्होंने मजदूरी के जरिए अपने तीन साल के छोटे बच्चे का पालन-पोषण करना शुरू किया. उस समय कामरेड मोती महतो भाकपा के सम्पर्क में आए. उम्र कैद की सजा काटने के बाद उन्होंने पीपरा गांव में ही रहना शुरू किया. और वहां गरीबों के आवास की जमीन के लिए चल रहे आंदोलन से जुड़ गए. 2005 के करीब उन्होंने भाकपा(माले) की सदस्यता ली और अंतिम समय तक पार्टी के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे. गांव की सामंती ताकतों के खिलाप वे गरीबों के लिए आशा व संघर्ष का केन्द्र बने रहे. चाहे लोकसभा का चुनाव हो या विधानसभा का या पंचायत का, हर चुनाव में उनका घर क्षेत्रीय कार्यालय बन जाता था. भाकपा(माले) की कतारों के लिए वे मोती चाचा थे. हाल के दिनों में उन्होंने अपने पैतृक गांव की जमीन को अपनी जीवटता और संघर्ष के बल पर करीब पैंतीस साल बाद पुनः हासिल किया. आप हमेशा हमारे प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे.