वर्ष - 29
अंक - 52
26-12-2020


कोविड-19 महामारी के दौर में भारत के गरीब प्रवासी मजदूरों व उनके परिवारों के साथ जो दुर्व्यवहार हुआ उसने 18वीं सदी के सामंती काल में गुलामों के साथ हुए अत्याचारों की याद दिला दी है. इतना ही नहीं, लाॅकडाउन के बहाने देश की जनता को घर में बंधक बना दिया गया और मजदूर विरोधी चार कोड बिल व किसानों विरोधी तीन कृषि कानूनों को किसी भी तरह की चर्चा-बहस के बिना ही संसद से पारित कर दिया गया. कोविड महामारी मजदूरों के लिए बेकारी, गरीबी व भूखमरी लेकर आयी. हमारी पार्टी इस कठिन परिस्थिति में मजदूरों का मददगार बनकर सामने आई. कोविड काल में हुए बिहार चुनाव में हमें इसका फल मिला और मजदूरों ने हमें चुनाव जीतने मे मदद की.

हरिगांव, बभनियांव, हाटपोखर, दांवा, चकवा व जगदीशपुर नगर समेत दर्जनों गांवों में जन संवाद कार्यक्रम किया गया. यह कार्यक्रम 27 दिसंबर तक जारी रहेगा. में हमारे साथियों ने महामारी मे फंसे मजदूरों को मदद करने की और इस सवाल पर ही महाराष्ट्र मे ट्रेड युनियन ज्वाईन्ट एक्शन कमिटी (टीयूजेएसी) बनी. केन्द्र की भाजपा सरकार द्वारा लाये गए मजदूर विरोधी चार कोड बिल के खिलाफ केन्द्रीय ट्रेड युनियनों की पहलकदमी को समर्थन करते हुए  मुंबई में आपसी विचार-विमर्श के दौरान जो सुझाव आए उसे केन्द्रीय ट्रेड युनियनों की कमिटी को भेजा गया. इस कार्य मे वामपंथी जन संगठनों ने अहम भूमिका निभाई.

इसी दौरान उल्का महाजन जैसे नेता भी जुड़े व जनता के बीच विभिन्न मुद्दों पर आंदोलन कर रहे जन संगठनों व टीयूजेएसी को साथ लेकर व्यापक जनता को आंदोलन में उतारने के लिए 13 अक्टूबर 2020 को एक बातचीत हुई जिसके बाद महाराष्ट्र में जन आंदोलनों की संघर्ष समिति का निर्माण हुआ. इस संगठन में जल्दी ही अनेक राजनितिक जनसंगठन व स्वंयसेवी संगठन जुड गये. इस समिति ने 26 नवंबर 2020 को हुई देशव्यापी मजदूर हड़ताल में सक्रिय भूमिका निभाई. इसके अलावा 3 दिसंबर, 8 दिसंबर व 14 दिसंबर के देशव्यापी आंदोलनात्मक कार्यक्रमों में भी इसने अहम भूमिका निभाई. महाराष्ट्र के 400 तालुकों में यह आंदोलन हुआ जिसमें मुंबई, पालघर, डहाणु व औरंगाबाद में भाकपा(माले) व ऐक्टू की जबरदस्त भागीदारी रही. ओरंगाबाद में ऐक्टू नेता का. बुद्धिनाथ बाराल ने अच्छी संख्यामे असंगठित मजदूरों को इस आंदोलन में उतारा. 22 दिसंबर 2020 को बांद्रा रिकमेन्शन में रिलायंस कार्यालय के सामने 10 हजार से ज्यादा लोगों ने रिलायंस के खिलाफ किसानों के समर्थन में प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन में हमारे साथी का. उदय व विजय ने भी ऐक्टू व अखिल भारतीय किसान महासभा के बैनर तले अच्छी संख्या में लोगों को उतारा, खासकर पुणे व श्रीरामपुर से अच्छी भागीदारी हुई.

इस आंदोलन की कुछ खास बातें

ट्रेड यूनियनों की संयुक्त समिति में शिवसेना व कांग्रेस के ट्रेड यूनियन भी हैं किंतु अभी तक हुए सभी आंदोलनों में इंटक सिर्फ एक बार ही और वह भी नाममात्र के लिए आंदोलन में उतरा है. शिवसेना व राष्ट्रवादी कांग्रेस की किसी भी यूनियन ने आंदोलन में भाग नही लिया है. टीयूजेएसी की सभी ट्रेड यूनियनों व जनसंगठनों को संगठित करने के साथ ही आंदोलनों में भी अहम भूमिका रही है.

कृति समिति के ज्यादातर नेताओं को लगता है कि सरकार महाराष्ट्र में मजदूरों व किसानों के लिए विशेष कानून बनाकर उन्हें सुरक्षा देगी. किंतु महाराष्ट्र में सरकार ने शिक्षा के उपर से लेकर नीचे तक का निजीकरण व काॅन्ट्रेक्ट वर्कर्स का कानून पारित करते हुए अपने गरीब विरोधी-मजदूर विरोधी नीति का ही परिचय दिया है.

इस आंदोलन में हमारी लगातार उपस्थिति रही है और का. उदय व का. विजय को महाराष्ट्र के आंदोलनकारी नेताओं की अग्रिम पांत में स्थापित करने में हमें सफलता मिली है. टीयूजेएसी में ट्रेड यूनियनों के आपसी मतभेदों को मिटाकर बडा आंदोलन खड़ा करने के बारे में चर्चा हुई है. लेकिन सीपीएम हमारे संगठन ऐक्टू को अगल-थलग रखने की लगातार कोशिशें कर रही है. 22 दिसंबर 2020 को बांद्रा रिक्लेमेशन मे रिलायंस के खिलाफ प्रदर्शन मे अच्छी-खासी भागीदारी के बावजुद ऐक्टू व किसान महासभा को प्रचार में जगह नहीं दी गई. कोविड-19 महामारी के चलते लगातार संपर्क की कमी के बावजूद वानगांव के माच्छीपाड़ा के लोगो मे अच्छी सक्रियता है. वहां हमने जमीन पर कब्जा दिलवाया था और उस पर चीकू की फसल लगाई गई थी. औरंगाबाद में सीपीआई व सीपीएम अभी भी हमारे कामरेड बराल को आंदोलन से अलग-थलग डालने की कोशिश कर रही है, किंतु मजदूरों की सक्रियता से उन्होंने अपना स्थान बना रखा है. मुंबई में भाकपा(माले) के विस्तार-विकास की काफी संभावनाएं हैं. बिहार चुनाव नतीजों ने भी हमें इसका अच्छा अवसर प्रदान किया है.