वर्ष - 29
अंक - 51
20-12-2020


[चर्चित कवि मंगलेश डबराल का विगत 9 दिसंबर 2020 को कोरोना संक्रमित होने के कारण दिल्ली के एम्स में निधन हो गया. मंगलेश डबराल जनता के कवि थे. इस दौर में उनका इस तरह से हम सब को अलविदा कहना हिंदी समाज और शोषण और दमन के खिलाफ डटे रहने वाले लोगों के लिए गहरी क्षति है. विगत 13 दिसंबर 2020 को जसम ने उनकी स्मृति में पटना, मुजफ्फरपुर, लखनऊ और इलाहाबाद में श्रद्धांजलि सभायें आयोजित की. संस्कृतिकर्मियों, कवियों, रंगकर्मियों, पत्रकार-लेखकों, छात्र-युवाओं व नागरिकों ने उनको याद किया. श्रद्धांजलि सभाओं में प्रसिद्ध चित्रकार विभास दास, हिंदी के वरिष्ठ लेखक विष्णुचंद्र शर्मा व राघव सक्सेना को भी श्रद्धांजलि दी गई. साथ ही, कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन में साहित्यकारों-रंगकर्मियों के सक्रिय भागीदारी का प्रस्ताव पारित किया गया.]

पटना के छज्जूबाग में विगत 13 दिसंबर. 2020 को जन संस्कृति मंच की ओर से चर्चित वरिष्ठ कवि, पत्रकार और जन संस्कृति मंच के संस्थापकों में से एक रहे मंगलेश डबराल की श्रद्धांजलि सभा आयोजित हुई.

कोराना काल में यह एक ऐसा अवसर था, जब अच्छी-ख़ासी तादाद में पटना के साहित्यकार, रंगकर्मी व कविता प्रेमी एक जगह इकट्ठा हुए और उन्होंने कवि मंगलेश डबराल को अपनी शोकपूर्ण श्रद्धांजलि दी. श्रद्धांजलि सभा में वरिष्ठ शायर संजय कुमार कुंदन, साहित्यकार-समीक्षक श्री यादवेन्द्र, पत्राकार व रंगकर्मी अनीश अंकुर, युवा कवि अंचित, कृष्ण समिद्ध, कौशलेन्द्र, अनिल पासवान, शाह नवाज, प्रशांत विप्लवी, फिल्म व संगीत से जुड़े विस्मय चिंतन, फिल्मकार कुमुद रंजन, रंगकर्मी सुमन कुमार, मृत्युंजय, राम कुमार, राजन कुमार, प्रकाश कुमार, प्रीति प्रभा के अलावा ऐपवा की सरोज चौबे, लोकयुद्ध के सह संपादक प्रदीप झा, भाकपा(माले) के वरिष्ठ नेता राजाराम और पवन शर्मा आदि शामिल हुए.

हिन्दुस्तानी संगीत के गहरे जानकार कवि मंगलेश डबराल को श्रद्धांजलि देने की शुरुआत उनकी आवाज में एक एक छोटी-सी बंदिश की रिकार्डिंग सुनाने के साथ हुई. जसम पटना के संयोजक युवा कवि राजेश कमल ने शुरुआती में कोविद-19 जनित अस्वस्थता की वजह से नई दिल्ली स्थित एम्स में विगत 9 दिसंबर को हुए उनके असमय व दुखद निधन से जुड़ी सूचनाओं को साझा किया.

मौके पर उपस्थित सभी लोगों मंगलेश डबराल की तस्वीर पर ने श्रद्धा-सुमन अर्पित किए और उनकी स्मृति में 2 मिनट का मौन रखा. साप्ताहिक ‘समकालीन लोकयुद्ध’ के संपादक संतोश सहर ने इस अवसर पर कहा कि  नक्सलबाड़ी आंदोलन से प्रेरित होकर हिन्दी कविता में आनेवाली पीढ़ी के कवियों वीरेन डंगवाल, मंगलेश डबराल, आलोक धन्वा, पंकज सिंह, विष्णु खरे आदि ने हिन्दी कविता का चेहरा पूरी तरह से बदल दिया. मंगलेश डबराल की कवितायें अपनी सूक्ष्म संवेदनशीलता, शिल्प की विशिष्टता, मर्मभेदी तीक्ष्णता की वजह से अलग पहचान रखती हैं. वे आगामी कई बरसों तक और कई पीढ़ियों को प्रेरणा देते रहेंगे.

वरिष्ठ कवि कुमार मुकुल और रंगकर्मी अनीश अंकुर ने पटना और दिल्ली में मंगलेश डबराल के साथ हुई अपनी मुलाकातों का जिक्र किया. युवा कवि अंचित ने मंगलेश डबराल की कविता ‘पहाड़ से मैदान’, अनिल पासवान ने ‘अनुपस्थिति’ जबकि संतोष झा ने वीरेन डंगवाल की कविता ‘मंगलेश को चिट्ठी’ का पाठ करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी.

इलाहाबाद में जन संस्कृति मंच  की ओर से आयोजित श्रद्धांजलि सभा का संचालन कृष्ण कुमार पांडेय और अध्यक्षता जसम के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रोफेसर राजेंद्र कुमार ने की.

सभा को संबोधित करते हुए समकालीन जनमत के प्रधान संपादक रामजी राय ने कहा कि मंगलेश डबराल मामूली लोगों की घनीभूत पीड़ाओं के कवि थे. उनकी कविताओं के भीतर से दुर्बलताओं की आवाज, उसकी पीड़ा और उनका लड़ाकूपन नजर आता है. जिसको समझने की जरूरत है. वह हमेशा समकालीन मुद्दों पर सचेत रहे. गुजरात दंगों पर भी उन्होंने कविता लिखी. उनका जाना जसम, हिंदी कविता और साहित्यिक पत्रकारिता की गहरी क्षति है. श्रद्धांजलि सभा को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर और जनवादी लेखक संघ, इलाहाबाद के सचिव वसंत त्रिपाठी, समानांतर के संस्थापक और इप्टा के सदस्य अनिल रंजन भौमिक, प्रलेस की संध्या नवोदिता, दिल्ली विश्वविद्यालय के शोधार्थी राजन विरूप, प्रियदर्शन मालवीय, ऐक्टू के जिला सचिव कमल उसरी और प्रोफेसर अली अहमद फातमी ने भी संबोधित किया.

अंत में सभा की अध्यक्षता कर रहे जसम के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रोफेसर राजेंद्र कुमार ने उनसे जुड़ी स्मृतियों को साझा करते हुए बताया कि मंगलेश जी ने अपना जीवन समाज और लोगों की पीड़ा से जोड़कर जिया. पत्रकारिता में उनका अहम योगदान रहा और विविध कलाओं में विस्तृत ज्ञान और रुचि रही. सामान्यता हिंदी समाज में कलाओं के बीच अबोलापन है, मंगलेश की कविता वह जगह देती है जहां कलाएं एक दूसरे से संवाद करती हैं.

रामजी राय ने मंगलेश जी की कविता ‘बार-बार कहता था मैं’ और ‘मां का नमस्कार’ का पाठ किया. मंगलेश डबराल की कविताओं के ऑडियो-वीडियो को भी प्रदर्शित किया गया. सभा का समापन और धन्यवाद ज्ञापन जसम की सुधा शुक्ला ने किया.

सभा में शायर असरफ अली बेग, प्रयागपथ के संपादक हितेश सिंह, आनंद मालवीय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विवेक तिवारी, असिस्टेंट प्रोफेसर अंशुमान कुशवाहा, ऐक्टू के प्रदेश सचिव अनिल वर्मा, जनमत की प्रबंध संपादक मीना राय, ऐपवा से चारुलेखा और शिवानी, आइसा से अंतस सर्वानंद, शक्ति रजवार, सौम्या, यश सिंह, विवेक सुल्तानवी, आरवाईए से प्रदीप कुमार, डेमोक्रेटिक लाॅयर्स एसोसिएशन से माता प्रसाद पाल समेत शहर के कई साहित्यकार, बुद्धिजीवी, संस्कृतिकर्मी और छात्र-युवा मौजूद रहे.

लखनऊ व मुजफ्फरपुर में आयोजित श्रद्धांजलि सभाओं में भी कई कवि, लेखक, पत्रकार, नागरिक मौजूद रहे.