वर्ष - 29
अंक - 52
26-12-2020


भाकपा(माले) और अखिल भारतीय किसान महासभा ने विगत 20 दिसंबर 2020 को तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली सीमा पर चल रहे किसान आंदोलन में शहीद हो चुके लगभग तीन दर्जन किसानों की स्मृति में पूरे देश में श्रद्धांजलि सभाओं का आयोजन किया. यह कार्यक्रम अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के देशव्यापी आह्वान पर किया गया.

उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में इस मौके पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में वक्ताओं ने कहा कि किसान दिल्ली बार्डर पर 25 दिनों से सपरिवार जमे हैं और कृषि कानूनों की वापसी को लेकर शांतिपूर्ण धरना दे रहे हैं. भयानक ठंड में वे अपनी जानें दे रहे हैं, लेकिन सरकार की नजर में वे असली किसान नहीं हैं या फिर गुमराह हैं. मोदी सरकार की नजर में असल किसान अडानी-अंबानी हैं, जो कांट्रैक्ट (ठेके पर) खेती करेंगे और जिनके फायदे के लिए सरकार नए कृषि कानून लायी है.

नेताओं ने कहा कि आंदोलन में शहीद किसानों की कुर्बानी बेकार नहीं जाएगी. किसान जब उठेगा, तो सिंहासन का हिलना तय है. सरकार आंदोलन को चाहे जितना भी बदनाम करे, वह किसानों के मनोबल को नहीं तोड़ पाएगी. सरकार को इन काले कानूनों को वापस लेना होगा.

भाकपा(माले) राज्य सचिव सुधाकर यादव, अखिल भारतीय खेत मजदूर सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीराम चौधरी, माले की राज्य स्थायी समिति के सदस्य लाल साहब व राज्य समिति सदस्य कामरेड मिठाई लाल ने शहीद किसानों को वाराणसी में श्रद्धांजलि दी. किसान महासभा के प्रदेश सचिव ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा ने गाजीपुर में श्रद्धांजलि दी. चंदौली, आजमगढ़, मऊ, बलिया, गोरखपुर, देवरिया, प्रयागराज, रायबरेली, जौनपुर, लखीमपुर खीरी, जालौन, मथुरा, मुरादाबाद सहित तमाम जिलों में शहीद किसानों की स्मृति सभा आयोजित की गई. कुछ जिलों में पोस्टर प्रदर्शनी भी लगाई गई.

बिहार में मुजफ्फरपुर जिले के मुशहरी में भाकपा(माले) व अन्य वाम दलों, किसान-मजदूर संगठनों तथा सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने संयुक्त रूप से श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया. रजवाड़ा व नरौली में आयोजित सभाओं में शहीद 32 किसानों को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई. इस दौरान ‘शहीद किसान अमर रहें’, ‘किसानों का ऐतिहासिक आंदोलन जिन्दाबाद’ के के नारे लगे, आंदोलन को तेज करने का संकल्प लिया गया और सरकार से किसान विरोधी तीनों कृषि कानूनों व बिजली बिल 2020 वापस लेने, न्यूनतम समर्थन मूल्य का कानून बनाने तथा किसान आंदोलन को बदनाम करने से बाज आने की मांग की गई.

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रजवाड़ा में भाकपा(माले) के प्रखंड सचिव शत्राुघ्न सहनी और नरौली में किसान नेता परशुराम पाठक ने श्रद्धांजलि सभा का संचालन किया. विश्वनाथ ठाकुर, उमेश भारती, किसान राजकिशोर राय, नंदू राय, नवल राय, बोधी राय, सुरेश राय, बालदेव राय, मुकेश राय, तपेश्वर साह, देवेन्द्र साह, सुखदेव सहनी, पंकज चौधरी, रघुनाथ सहनी, शिव सहनी, विनोद सहनी, भरूच सहनी, कृष्ण मोहन सहनी, प्यारेलाल सहनी, रघु सहनी, रामइकबाल सहनी, दिनेश महतो, राजकिशोर महतो सहित अन्य कार्यकर्ता शामिल थे.

कार्यकर्ताओं ने कहा कि किसानों ने ऐलान कर रखा है कि वे अंबानी-अडानी के कम्पनी राज को स्वीकार नहीं करेंगे. आंदोलन को गांव-गांव में फैलाने, गांव-गांव में किसान पंचायत लगाने और किसान विरोधी कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर आगामी 29 दिसंबर 2020 को बिहार की राजधानी पटना में आयोजित राजभवन मार्च के जरिए बिहार के राज्यपाल को सौंपने की योजना बनाई गई.

बेगूसराय में भी किसान आन्दोलन के दौरान दिल्ली बाॅर्डर पर शहीद हुए किसानों के याद में मोमबत्तियां जलाई गईं और आंदोलन को तेज करने का संकल्प लिया गया.

आरा में ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) व इंकलाबी नौजवान सभा (इनौस) ने कृषि कानून 2020 के खिलाफ आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों के लिए शहर में कैंडल मार्च निकाला, उन्हें श्रद्धांजलि दी और मोदी सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की.

आइसा-इनौस नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार इस देश में फिर से कंपनी राज स्थापित करना चाहती है. देश भर के किसान कृषि कानून 2020 के खिलाफ दिल्ली की सड़कों पर आंदोलनरत है लेकिन सरकार उनकी मांगो को पूरा करने के बजाए उन पर लाठियां बरसा रही है.

श्रद्धांजलि सभा में अखिल भारतीय किसान महासभा के नेता का. राजू यादव, भाकपा(माले) के नगर सचिव दिलराज प्रीतम, आइसा के राज्य सचिव सबीर कुमार, जिला सचिव रंजन कुमार, इनौस के जिला संयोजक शिवप्रकाश रंजन, संजय साजन, सुशील यादव, सुधीर कुमार, चंदन कुमार, अमरेंद्र, रुचि प्रिया, नेहा राज, सुमन, गोवर्धन, रमेश, धीरेन्द्र आर्यन, चंदन, कमलेश व अन्य छात्र-युवा नेता शामिल थे.

समस्तीपुर के ताजपुर में भी इंकलाबी नौजवान सभा के कार्यकर्ताओं ने बाजार क्षेत्र के अस्पताल चौक से अपने हाथों में झंडे, बैनर एवं कैंडिल लेकर मार्च निकाला. मार्च बाजार क्षेत्र का भ्रमण करते हुए राजधानी चौक पर पहुंचा जहां इनौस के प्रखंड उपाध्यक्ष मो. एजाज की अध्यक्षता व प्रखंड सचिव मो. नौशाद तौहीदी के संचालन में सभा आयोजित की गई.

सभा को इनौस जिला सचिव आशिफ होदा व राकी खान तथा भाकपा(माले) के प्रखंड सचिव सुरेन्द्र प्रसाद सिंह आदि ने संबोधित किया. वक्ताओं ने किसान विरोधी तीन कृषि कानूनों एवं बिजली बिल 2020 को वापस लेने की मांग की, शहीद किसानों को दो मिनट की मौन श्रद्धांजलि दी और किसानों के प्रति एकजुटता जाहिर की.

भागलपुर में भाकपा(माले) व ऐक्टू ने स्थानीय सुर्खी कल स्थित यूनियन कार्यालय में श्रद्धांजलि दिवस मनाया. ‘शहीद वेदी’ पर पुष्पांजलि देने और दो मिनट के मौन के जरिए शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए आंदोलन को जारी रखने का संकल्प दोहराया गया.

इस मौके पर ऐक्टू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व भाकपा(माले) के राज्य कमिटी सदस्य एसके शर्मा ने कहा कि किसान विरोधी तीनों कृषि कानूनों की भयावहता व दुष्प्रभाव से व्यापक किसानों व आम लोगों को वाकिफ कराने की जरुरत है. प्रधानमंत्री, कृषि मंत्री व भाजपा के अन्य नेता लगातार झूठ फैलाकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं. भाजपा नीत केंद्र सरकार व भाजपा नेताओं के तमाम छलकपट व भ्रम फैलाने की कोशिशों को धत्ता बताते हुए किसानों का आंदोलन न सिर्फ जारी है बल्कि निरन्तर मजबूत और व्यापक हो रहा है.

कार्यक्रम की अध्यक्षता भाकपा(माले) के तिलकामांझी जोनल सचिव व ऐक्टू के जिला संयुक्त सचिव अमर कुमार ने की. कार्यक्रम में भाकपा(माले) जिला कमिटी के सदस्य सिकंदर तांती, मो. सुदीन, लूटन तांती, सुमन सौरभ, दीपक कुमार, प्रमोद ठाकुर, छोटू तांती, अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ-गोपगुट के जिला अध्यक्ष नकुलचंद्र सिन्हा, उपाध्यक्ष राकेश अम्बष्ट, संयुक्त सचिव अवध बिहारी, स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ (ऐक्टू) के राज्य सचिव मनोज कृष्ण सहाय, राधा देवी, मीरा देवी, रेखा देवी आदि शामिल रहे.

भोजपुर जिले के जगदीशपुर प्रखंड अंतर्गत आयर ग्राम में किसान महासभा के नेता बीरेंद्र राम की अध्यक्षता में श्रद्धांजलि व संकल्प सभा का आयोजन किया गया. आयर और दीउल गांव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का पुतला दहन भी किया गया. उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए किसान महासभा के राज्य परिषद सदस्य विनोद कुशवाहा ने कहा कि केंद्र सरकार इन कानूनों को रद्द करने के बजाय किसान आंदोलन को ही बदनाम करने की कोशिश कर रही है लेकिन यह आंदोलन पूरे देश में तेजी से फैलता जा रहा है. बिहार भी इस आंदोलन का अग्रिम मोर्चा बनने जा रहा है.

संकल्प सभा में भाकपा(माले) के प्रखंड सचिव विजय ओझा, आइसा नेता कमलेश यादव, रंजीत बढ़ई, राजू राम, नकु प्रसाद, बृजमोहन राम, बीरेंद्र पासवान, दुखित पासवान, दुलार राम आदि भी शामिल थे.

छत्तीसगढ़ के भिलाई में वामपंथी पार्टियों भाकपा(माले) लिबरेशन तथा भाकपा ने किसान आंदोलन के दौरान संघर्ष में शहीद किसानों को माल्यार्पण कर एक मिनट की मौन श्रद्धांजलि दी गई और किसानों के इस बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देने व किसान विरोधी कानूनों को वापस लेने तक आंदोलन जारी रखने का संकल्प लिया गया. कार्यक्रम में छमुमो, भारतीय बौद्ध महासभा, इप्टा, प्रलेस, ऐक्टू, ऐपवा, एटक, कर्बला कमेटी आदि संगठनों ने भी हिस्सा लिया.

कार्यक्रम में भाकपा(माले) व ऐक्टू से बृजेन्द्र तिवारी, श्याम लाल साहू, ए शेखर राव, सुंदर लाल, गौतम दास साहू, भुवन लाल साहू, एजी कुरेशी, धनंजय दुबे, शिवकुमार प्रसाद, भाकपा व एटक से विनोद सोनी, बंसत उइके, बुद्धा निरापुरे, ऐपवा से फरजाना बानो, प्लेस से लोकबाबू, परमेश्वर वैष्णव व इप्टा से राजेश श्रीवास्तव सहित बड़ी संख्या में लोगों ने भागीदारी की.

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