वर्ष - 30
अंक - 3
16-01-2021


[“बिहार में 20 से ज्यादा जगहों पर किसानों के अनिश्चितकालीन धरने चल रहे हैं. छत्तीसगढ़ में 80 से ज्यादा जगहों पर किसानों ने बैठकें कर दिल्ली आने की तैयारी की है. कर्नाटक के गुलबर्गा में लोगों ने एक लंबी बाइक रैली निकालकर तीन कृषि कानूनों का विरोध जताया है. केरल से सैंकड़ो की संख्या में किसान दिल्ली कूच कर रहे हैं. महाराष्ट्र में पोल खोल यात्रा के तहत केन्द्र सरकार के किसान विरोधी चेहरे की पोल खोली जा रही है. विजयवाड़ा और हैदराबाद में भी बड़े प्रदर्शन हुए हैं. राजस्थान और हरियाणा में जागरूकता पखवाड़ा के तहत किसानो को आंदोलन में जोड़ा जा रहा है और अनेक जिलों में ट्रैक्टर मार्च समेत अनेक तरह के प्रदर्शन किए जा रहे है.

दिल्ली की सभी सीमाओं पर किसानों के धरने चल रहे हैं. विगत 13 जनवरी को लोहड़ी का त्यौहार आया, किसान वहीं जमे रहे और तीन केंद्रीय कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर त्यौहार में नए रंग भर दिए. गाजीपुर बाॅर्डर पर उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में किसान इस आंदोलन में शामिल हो रहे है. टिकरी बोर्डर पर बने मंच से दिल्ली के कलाकारों द्वारा नाटक भी प्रस्तुत किये गए. वहां चल रहे पुस्तकालय में आने वालों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है. सिंघु बाॅर्डर पर वकीलों और कलाकारों ने पहुंच कर किसानों का समर्थन दिया और उनकी जरूरतों के कुछ सामान भी मुहैया करवाया.”]

आज पूरा देश किसान आंदोलन के अगोश में है. देश की राजधानी दिल्ली के बाॅर्डर पर पिछले 50 दिनों से लाखों किसान अपने पूरे परिवार के साथ डेरा डाले हुए हैं और दिनोंदिन उनकी तादाद बढ़ती ही जा रही है. साथ ही, देश के हर प्रांत, जिले से होते हुए कस्बों-गांवों तक यह लहर पहुंच गई है. हर दिन नए-नए बाॅर्डर खड़े हो रहे हैं. किसान यहां शांतिपूर्ण तरीके से जमा होते हैं और पूरी ताकत से अपनी बात सुनाते हैं. वे देश के प्रधानमंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री व गवर्नर, जिलों के डीएम, सत्ताधारी दलों के सांसदों व विधायकों को अपना यह दो-टूक सदेश दे रहे हैं कि मोदी सरकार के ये तीन कृषि कानून हमारे गले में गुलामी की तौक की तरह हैं और हमें कत्तई मंजूर नहीं हैं.

बिहार: 30 जनवरी को मानव श्रृंखला की तैयारी

बिहार में दो दर्जन से ज्यादा जिलों में किसान विरोधी तीन कृषि कानूनों के खिलाफ अनिश्चित कालीन धरना चल रहा है. भोजपुर में प्रखंड स्तर पर धरना चल रहा है, तो सिवान में धरना का आदेश नहीं मिलने के कारण रोज विरोध मार्च किया जा रहा है. 15 जनवरी को बड़ी गोलबंदी के साथ इन धरनो का समापन हुआ.

भाकपा(माले) की पहल पर राजद समेत वाम दलों (महागठबंधन) ने महात्मा गांधी के शहादत दिवस पर 30 जनवरी को मानव श्रृंखला बनाने का निर्णय लिया है. महागठबंधन ने किसान संगठनों द्वारा घोषित तमाम कार्यक्रमों के समर्थन की भी घोषणा की है. गांव-गांव में किसान-बटाईदार पंचायत आयोजित करने के जरिए मानव की तैयारी की जाएगी.

18 जनवरी को घोषित किसान महिला दिवस के दिन ऐपवा, किसान महासभा और खेग्रामस के संयुक्त बैनर से जिला मुख्यालयों पर महिलाओं का प्रतिवाद मार्च/ व सभा आयोजित होगी. दिल्ली के किसान महिला दिवस में भाग लेने महिला नेताओं की एक टीम भाकपा(माले) विधायकों – संदीप सौरभ व अजित कुशवाहा के साथ 16 जनवरी को दिल्ली जाएगी. 23 जनवरी को सुभाष चन्द्र बोस की जयंती पर आइसा-इनौस के बैनर से किसान आंदोलन के समर्थन में इस रोज मार्च/सभा का आयोजन  किया जाएगा.

25 जनवरी 2021 को गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पूरे राज्य में मशाल जुलूस निकाला जाएगा. 26 जनवरी को जिला मुख्यालयों के अलावा तमाम चट्टी-बाजारों पर और गांवों में भी ‘खेती बचाओ-राशन बचाओ-देश बचाओ-संविधान बचाओ संकल्प दिवस’ आयोजित किया जाएगा.

14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन भी गर्दनीबाग में किसान धरना जारी रहा. धरने को अबतक राज्य सचिव कामरेड कुनाल, खंग्रामस के महासचिव धीरेन्द्र झा, विधायक दल नेता महबूब आलम, विधायक गोपाल रविदास, व ऐपवा राज्य अध्यक्ष सरोज चैबे व शशि यादव समेत कई नेता संबोधित कर चुके थे.

5 जनवरी से ही भोजपुर जिले के तरारी, सहार, पीरो, जगदीशपुर, गड़हनी, चरपोखरी, अगिआंव, संदेश, उदवंतनगर और आरा प्रखंड मुख्यालयों पर धरना शुरू हुआ जो 13 जनवरी तक चला.

अरवल व गया में 5 जनवरी, जहानाबाद, पूर्णियां व दरभंगा, पश्चिम चंपारण व भागलपुर में 6 जनवरी, जमुई व पूर्वी चंपारण में 8 जनवरी, रोहतास, गोपालगंज व बेगूसराय में 11 जनवरी, नालंदा (बिहारशरीफ) व वैशाली में 12 जनवरी से जिला मुख्यालयों पर अखिल भारतीय किसान महासभा के बैनर तले अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया गया. ये सभी धरन 13 जनवरी तक जारी रहे.

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इसके अलावा रोहतास जिले के डेहरी (5 जनवरी), कैमूर जिले के कुदरा (8 जनवरी), नालंदा जिले के हिलसा (5-11 जनवरी), औरंगावबाद के दाउदनगर (11 जनवरी), मधुबनी के जयनगर (7-9 जनवरी) अनुमंडल मुख्यालयों तथा प. चंपारण के बगहा 1 (11 जनवरी) और मधुबनी (12 जनवरी), वैशाली के पातेपुर (11 जनवरी), भोजपुर के कोइलवर (9 जनवरी) प्रखंड मुख्यालयों पर भी धरना हुआ जिनमें भारी तादाद में लोग शामिल हुए.

एआईकेएससीसी के आह्वान पर 13 जनवरी को किसान विरोधी कृषि कानूनों की प्रतियां जलाने का कार्यक्रम भी किया गया. भोजपुर जिले के अगिआंव प्रखंड के मड़नपुर गांव में 13 जनवरी 2021 को किसान विरोधी तीनों कृषि कानून के खिलाफ किसान सम्मेलन आयोजित हुआ.

किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष काॅ शिवसागर शर्मा के नेतृत्व में नवादा के प्रजातंत्र चौक पर कानूनों की प्रतियां जलाई गईं. बेगूसराय में जिलाधिकारी के समक्ष विगत 11 जनवरी से जारी अनिश्चितकालीन धरना का समापन 13 जनवरी को कृषि कानून की प्रतियां जलाने के साथ हुआ.

मुजफ्फरपुर में भाकपा-माले, ऐक्टू, इंसाफ मंच, किसान महासभा, खेत मजदूर सभा सहित अन्य संगठनों ने शहर से गांव तक किसान विरोधी काले कृषि कानूनों की प्रतियां जलाईं. जिले के मुशहरी,में भाकपा(माले), किसान महासभा, खेत मजदूर सभा ने मणिका विशनपुर व चांद सहित अन्य गांव-पंचायतों में भी किसान विरोधी काले कृषि कानूनों की प्रतियों का दहन किया.

उत्तरप्रदेश: कृषि कानूनों की प्रतियां फूंकी

13 जनवरी को आंदोलनरत किसान संगठनों के आह्वान पर कृषि कानूनों की प्रतियां फूंकी गईं. आजमगढ़ के मेहनगर और महुआ ग्राम पंचायत में किसान महासभा और भाकपा(माले) कार्यकर्त्ताओं ने कृषि कानूनों की प्रतियां जलाईं. मऊ मे कृषि कानून 2020 बिजली बिल 2020 की प्रतियां जलाई गईं. किसान आंदोलन एकजुटता मंच की तरफ़ से इलाहाबाद में छुन्नन गुरू की प्रतिमा चौक घन्टाघर पर किसान कानून व चार श्रमिक कोड बिल को जलाया गया.

किसान आंदोलन के समर्थन में सकलडीहा तहसील मुख्यालय पर अखिल भारतीय किसान महासभा और भाकपा(माले) की ओर से धरना दिया गया और सभा की गई तथा कृषि कानूनों की प्रतियां जलाई गई.

जालौन व कानपुर में किसान-मजदूर विरोधी कृषि कानूनों की प्रतियां जलाई गई. सीतापुर जिले के एक दर्जन से ज्यादा गांव में किसान विरोधी तीनों कानून की प्रतियां जलाई गई.

लखीमपुर खीरी में पलिया व जिला मुख्यालय पर अखिल भारतीय किसान महासभा व भाकपा(माले) के नेतृत्व में किसान विरोधी तीन कानूनों की प्रतियां जला कर सभा हुई.

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मध्य प्रदेश: ग्वालियर व भिंड में किसान धरना

भाकपा(माले) के पोलित ब्यूरो सदस्य का. प्रभात कुमार की मौजूदगी में पिछले दिनों ग्वालियर में पार्टी सदस्यों एवं समर्थकों की बैठक हुई. बैठक में तीन काले कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में भागीदारी करते हुए जिले में  तेज करने का निर्णय लिया गया.

दिल्ली बाॅर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में शहीद हुए सभी किसान साथियों को मौन श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ हुई बैठक में किसान आंदोलन पर विशेष चर्चा हुई.

किसानों के देशव्यापी आंदोलन में भागीदारी करते हुए विगत पहली जनवरी से ग्वालियर में किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले आयोजित हो रहे अनिश्चितकालीन धरना में अखिल भारतीय किसान महासभा की महत्वपूर्ण भागीदारी हो रही है. बैठक में किसानों के समर्थन में 25 जनवरी को दाल बाजार स्थित शहीद भगत सिंह मूर्ति के नजदीक मानव श्रृंखला बनाने का निर्णय हुआ.

बैठक के बाद सभी नेता, सदस्य व समर्थक जुलूस की शक्ल में धरना स्थल पर पहुंचे. कामरेड प्रभात चौधरी, जिला सचिव का. विनोद रावत, ऐपवा नेता सूरज रेखा त्रिपाठी, इंडियन एसोसिएशन आफ लाॅयर्स के प्रांतीय संयोजक का. गुरुदत्त शर्मा, एआईकेएम के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य धीरेंद्र सिंह भदौरिया, इंकलाबी नौजवान सभा के का. मयंक रावत आदि नेताओं ने धरना को संबोधित किया.

आगामी 6 से 10 जनवरी के बीच में 10 गांवों में किसान पंचायतों का आयोजन एवं 10 जनवरी के बाद कामरेड खुर्रम खान के नेतृत्व में ट्रैक्टर ट्राली निकालकर धरना स्थल पर पहुंचने का निर्णय लिया गया. – धीरेन्द्र सिंह भदौरिया

देश की पहली मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख को जन्म दिन के अवसर पर याद करने के साथ विगत 9 जनवरी 2021 को भिंड के गांधी मार्केट में किसानों का महाधरना शुरू हुआ. धरने में तीनों किसान विरोधी कृषि कानूनों को रद्द करने, बिजली बिल 2020 को वापस लेने, एमएसपी की गारंटी का कानून बनाने की मांग की गई. धरने में सूरज रेखा त्रिपाठी, एडवोकेट बीके बोहरे, नाथू सिंह बघेल, प. कैलाश नारायण पांडे, रामशंकर किसान मरवाड़ी ओमप्रकाश किसान मरवाड़ी, दिव्या सिंह चौहान, दिनेश बौद्ध, देशराज धारिया, नीरज, सौरभ गर्ग, इंद्रजीत सिंह, अमित, कौशल, विपिन गर्ग, जगदीश, देवेश, अशोक कुमार त्यागी पचरा, विनोद कुमार सुमन, देवेंद्र सिंह चौहान, नरेंद्र सिंह सेंगर, शैलेंद्र गुप्ता, जुगल किशोर बाथम नेकराम आदि नेता उपस्थित हुए.

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राजस्थान: दिल्ली बोर्डर पहुंचे किसान

13 दिसंबर 2020 को राजस्थान के उदयपुर से भी किसानों का एक जत्था शाहजहांपुर बाॅर्डर के लिए रवाना हुआ था. का. शंकरलाल चौधरी, माजिद खान, गौतम मीणा, पूर्णमल, शंकरलाल मीना, रमेश, देवीलाल के नेतृत्व में दो वाहनों पर उदयपुर से चले इस पहले जत्थे में किसान महासभा, किसान सभा, ऐक्टू और सीटू के कार्यकर्ता शामिल थे. ये पिछले 25 दिनों से शाहजहांपुर बाॅर्डर पर मौजूद हैं जहां राजस्थान, हरियाणा, गुजरात व महाराष्ट्र के हजारों किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल खरीद की कानूनी गारंटी देने की मांग को लेकर बैठे हुए हैं.

किसान महासभा के राज्य उपाध्यक्ष का. चंद्रदेव ओला ने बताया कि खेती-किसानी को काॅर्पाेरेट के हवाले करने की नीयत से लाये गए कृषि विधेयकों के खिलाफ आंदोलन मे किसान अब सिर्फ पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तरप्रदेश से ही नहीं पूरे देशभर से दिल्ली पहुंचने लगे है. 26 जनवरी  को किसान मार्च में भी उदयपुर से किसानों की भागीदारी के लिए यात्रा का कार्यक्रम तय हुआ है. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर दिसंबर माह में किसानों के समर्थन में वाम दलों के कार्यकर्ता, नागरिक, किसान, मजदूर संगठनों ने अनेक कार्यक्रम किए हैं.

लोहड़ी पर्व के मौके पर उदयपुर मे सेवाश्रम स्थित भगत सिंह की मूर्ति  के पास भाकपा(माले), माकपा, आइसा, एसएफआई, ऐक्टू व सीटू के कार्यकर्ताओं ने लोहड़ी तीनों किसान विरोधी कृषि विधेयकों की प्रतियां जला कर किसानों के संघर्ष के साथ अपनी एकजुटता प्रदर्शित की. लेखक और बुद्धिजीवी प्रोफेसर हेमेंद्र चंडालिया, प्रोफेसर आरएन व्यास, मानवाधिकार कार्यकर्ता रिंकू परिहार, आइसा नेता कौशल टांडी, हीना कौसर, एसएफआई नेता कैलाश रोत, ऐपवा नेत्री फरद बानो, सीटू नेता हीरालाल साल्वी, गुमान सिंह, प्रोफेसर सुधा चौधरी, ललित मीणा, बादल आदि मौजूद थे.

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उत्तराखंड में शुरू हुई किसान यात्रा

टिहरी राजशाही के खिलाफ क्रांतिकारी किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले कामरेड नागेन्द्र सकलानी और मोलू भरदारी के शहादत दिवस 11 जनवरी से किसान महासभा के द्वारा ‘किसान यात्रा’ शुरू की गई. कार रोड चैराहे पर क्रांतिकारी कामरेड नागेन्द्र सकलानी व कामरेड मोलू भरदारी को श्रद्धांजलि देने के बाद ‘तीनों कृषि कानून हटाओ, गरीब-गुरबों और आमजन की रोटी बचाओ’ नारे के साथ शुरू हुई ‘किसान यात्रा’ 11 से 25 जनवरी तक चलेगी. 25 जनवरी को शहीद स्मारक पर ‘किसान रैली’ के आयोजन के साथ इसका समापन होगा.

जनविरोधी-किसान विरोधी तीन कृषि कानूनों को रद्द करने को लेकर चल रहे राष्ट्रव्यापी किसान आंदोलन को तेज करने हेतु शुरू हुई अखिल भारतीय किसान महासभा की ‘किसान यात्रा’ को रवाना करते हुए किसान महासभा के वरिष्ठ नेता कामरेड बहादुर सिंह जंगी ने कहा कि दिल्ली में इतनी ठंड में चल रहे राष्ट्रव्यापी किसान आंदोलन में 70 से अधिक सत्याग्रही किसानों की शहादत हो चुकी है परन्तु हमारे कृषि मंत्री और मोदी सरकार कारपोरेट के आगे नतमस्तक हैं और किसानों का हितैषी होने का झूठ फैला कर किसान-जन विरोधी कृषि कानूनों को वापस नहीं लेने की बात बड़ी बेशर्मी से कर रहे हैं.

‘किसान यात्रा’ को सम्बोधित करते हुए अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष आनन्द सिंह नेगी ने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री की किसान महापंचायत का विरोध किसानों के आंदोलन पर उनके द्वारा ढाए गए दमन के खिलाफ उपजे आक्रोश की परिणति था. किसानों ने अपनी बात को शांतिपूर्ण ढंग से आम जन तक पहुंचाया है.

भाकपा(माले) जिला सचिव डा. कैलाश पाण्डेय ने कहा कि 11 जनवरी 1948 को हुई कामरेड नागेन्द्र सकलानी की शहादत ने टिहरी राजशाही के ताबूत में अंतिम कील ठोकने का काम किया. उत्तराखण्ड में जनता के संघर्ष को आगे बढ़ा रहे क्रांतिकारी-कम्युनिस्टों को जरूर ही उत्तराखंड के सामंतवाद विरोधी-उपनिवेशवाद विरोधी किसान संघर्षों के इतिहास की विरासत को प्रतिष्ठित करना होगा.

किसान यात्रा पहले दिन कार रोड से शुरू हुई जहां से जनसंपर्क करते हुए आदर्श गांव, गौला गेट, इंद्रानगर, ट्राली लाइन आदि में किसान आंदोलन के पक्ष में पर्चा वितरण, नुक्कड़ सभाएं की गई. जिसमें मुख्य रूप से बहादुर सिंह जंगी, डा. कैलाश पाण्डेय, भुवन जोशी, ललित मटियाली, गोविंद सिंह जीना, राजेन्द्र शाह, किशन बघरी, विमला रौथाण, बिशन दत्त जोशी,  गोपाल गड़िया, धीरज कुमार, आनंद सिंह दानू, पनिराम, त्रिलोक राम, शिवा कोरंगा, निर्मला देवी, त्रिलोक सिंह दानू, दौलत सिंह कार्की आदि शामिल रहे.

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किसानों के पक्ष में उतरा देश का मजदूर वर्ग

ऑल इण्डिया सेंट्रल कौंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (ऐक्टू) ने किसान संगठनों के आह्वान का साथ देते हुए विगत 13 जनवरी को तीन कृषि कानूनों और चार लेबर कोड की प्रतियां जलाते हुए विरोध प्रदर्शन किया.

पटना में अखिल भारतीय किसान महासभा, एक्टू, अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा, के लोगों ने आज गर्दनीबाग पटना में तीनों कृषि कानून की प्रतियों का दहन किया. इस अवसर पर अखिल भारतीय किसान महासभा के राज्य सचिव रामाधार सिंह, ऐक्टू के राज्य महासचिव का. आरएन ठाकुर, खेग्रमास राज्य कार्यालय सचिव दिलीप सिंह, पटना शहर के मजदूर नेता मुर्तजा अली, किसान महासभा के राज्य नेता उमेश सिंह व कृपा नारायण सिंह व फुलवारी के विधायक गोपाल रविदास भी उपस्थित थे.

भागलपुर में ऐक्टू के कार्यकर्ताओं ने झंडे-बैनर व तख्तियों के साथ जुलूस निकाला और 50 दिनों से जारी किसान आंदोलन के साथ एकजुटता जाहिर की. विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे ऐक्टू के राज्य सचिव मुकेश मुक्त ने कहा कि किसानों का यह ऐतिहासिक संघर्ष हम मजदूरों के लिए भी एक ऐतिहासिक मौका है. हम किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इस संघर्ष को निर्णायक बना दें.

सुपौल में ऐक्टू के जिला सचिव अरविंद कुमार शर्मा के नेतृत्व में तीन कृषि कानूनों और चार लेबर-कोड कानूनों की प्रतियां जलाई गईं. कार्यक्रम में ऐक्टू नेता का. रामप्रसाद यादव, का. मन्नान, राजेन्द्र राम, सद्दाम, अशोक राय, ऐक्टू नेत्री लीला देवी, अमेरिका देवी, मीरा देवी, हीरा देवी, सीता देवी, नीलम देवी आदि ने भाग लिया.

उत्तराखंड के बुद्ध पार्क (हल्द्वानी) में ऐक्टू द्वारा 3 कृषि कानूनों और 4 लेबर-कोड कानूनों की प्रतियां जलाई गई. इस अवसर पर ऐक्टू के प्रदेश महामंत्री के.के. बोरा ने कहा कि, भारतीय मजदूर वर्ग किसानों के निरंतर बढ़ते संघर्ष को और मजबूती देने का आह्वान करता है. किसानों का दृढ़ व अनथक संघर्ष निरंतर बढ़ रहा है, फैल रहा है और शक्त्शिाली हो रहा है. आंदोलन के हालिया नारे – “बिल वापसी नहीं, तो घर वापसी नहीं” और “या जीतेंगें, या मरेंगे” किसानों के निरंतर बढ़ते संकल्प और दृढ़ता का मूर्त रूप हैं.