वर्ष - 30
अंक - 52
25-12-2021

ऑल इंडिया लॉयर्स एसोसिएशन फॉर जस्टिस (आइलाज) के राष्ट्रीय संयोजकों की बैठक 18-19 दिसंबर को बंगलोर में संपन्न हुई. इसमें तमिलनाडु, केरल, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और कर्नाटक के वकीलों और लॉ के छात्र प्रतिनिधियों ने भाग लिया. इस बैठक में निम्नलिखित प्रस्ताव पारित किये गये –

1) आइलाज कोविड महामारी के बीच में अपनी स्थापना के बाद से ही कानूनी बिरादरी की फिक्र और उनके हितों की रक्षा करने में सबसे आगे रहा है और भविष्य में भी करता रहेगा.

2) यह बारम्बार जोर देकर कहा गया है कि कोविड महामारी और लॉकडाउन ने बड़े पैमाने पर लोगों की आजीविका को तबाह कर दिया है, जिसमें वकीलों और कानूनी बिरादरी का बहुत बड़ा वर्ग भी शामिल है. केंद्र/राज्य सरकारों सहित बार काउंसिल और बार एसोसिएशन ने भी कानूनी बिरादरी की पूरी तरह से अनदेखी की और अपर्याप्त राहत की घोषणा कर उनकी आजीविका और हितों की रक्षा करने में विफल रही है. इसी तरह कानून के छात्रों के सामने आने वाली वित्तीय बाधाओं और डिजिटल असमानता को दूर करने में सरकारों और कॉलेजों की विफलता के कारण उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा है.

3) आइलाज ने इस मौके पर एक रिपोर्ट जारी की. इसमें पिछले एक साल की गतिविधियां व किये गये कई हस्तक्षेप शामिल हैं, जिसमें कोविड महामारी और अनियोजित लॉकडाउन के प्रभाव से से पीड़ित कानूनी पेशे के सदस्यों के वित्तीय मदद के लिए अभियान, जनविरोधी कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के संघर्ष के को निरंतर समर्थन, भीमा कोरेगांव मामले में असंतोष को दबाने के लिए यूएपीए के इस्तेमाल के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन विशेष रूप से शामिल हैं. रिपोर्ट में आइलाज द्वारा सर्वाच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के जनविरोधी निर्णयों और अन्य घटनाक्रमों पर जारी किए गए विभिन्न बयानों का भी विवरण है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आइलाज हिंदुत्ववादी-फासीवादी ताकतों के जातिवादी और सांप्रदायिक एजेंडे से सक्रिय रूप से लड़ रहा है. कॉरपोरेट लूट और जातिवादी/सांप्रदायिक आक्रमण के खिलाफ संघर्ष को तेज करने के संकल्प के साथ रिपोर्ट को अनुमोदित किया गया.

4) इसी उत्साह और उर्जा के साथ आइलाज अपने चार्टर को लागू करने और अपनी गतिविधियों को व्यवस्थित करने के लिए प्रतिबद्ध है, और निम्नलिखित मुद्दों पर तत्काल ध्यान देने का संकल्प लेता है :

  • क. कानूनी बिरादरी के प्रगतिशील और लोकतांत्रिक वर्गों के बीच एक जन संगठन के रूप में आइलाज का निर्माण.
  • ख. समाज में व्याप्त जातिवाद और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को खत्म करना, जो स्वाभाविक रूप से वकीलों और कानूनी बिरादरी के अन्य वर्गों के बीच सामाजिक संबंधों में परिलक्षित होता है.
  • ग. वकीलों के बीच आर्थिक समानता के लिए संघर्ष, क्योंकि वकीलों के बीच भारी आर्थिक असमानता है, विशेष रूप से समाज के सामाजिक रूप से उत्पीड़ित वर्गों से, जो एक सम्मानजनक आजीविका कमाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. विशेष रूप से केन्द्र/राज्य सरकार और बार काउंसिल से जूनियर वकीलों के लिए वजीफा, सभी वकीलों के लिए चिकित्सा बीमा और 60 वर्ष से अधिक उम्र के वकीलों के लिए पेंशन जैसे मांगों को बड़े पैमाने पर लोकप्रिय बनाना.
  • घ. लॉ के छात्रों के बीच आइलाज का निर्माण और उनकी पढ़ाई हेतु छात्रवृत्ति, इंटर्नशिप के लिए स्टाइपेंड, आदि मांगों का समर्थन सहित उनके अन्य प्रासंगिक मुद्दों को उठाना. इसी तरह लॉ क्लर्कों और कानूनी बिरादरी से जुड़े अन्य पेशेवरों के मुद्दों को भी अवश्य ही उठाना चाहिए.
  • च. मानवाधिकारों और नागरिक स्वतंत्रता के हनन के संबंध में एकजुटता / फैक्ट-फाइंडिंग दौरा का आयोजन करना.
  • छ. अधिवक्ताओं पर बढ़ते शारीरिक हमलों को उजागर करने और उनकी सुरक्षा की मांग करने के लिए सभी कदम उठानाज. संविधान को लोकप्रिय बनाने और कानून को आम लोगों के लिए सुलभ बनाने के लिए सेमिनार आयोजित करने सहित कानूनी जागरूकता कार्यक्रम चलाना.
  • झ. न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए हमेशा सतर्क रहना, अदालतों में सभी प्रकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना और न्यायपालिका में समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना.
  • त. दलितों और आदिवासियों की रक्षा करने वाले कानून के बारे में पैम्फलेट निकालकर और जागरूकता बढ़ाकर दलितों और आदिवासियों पर अत्याचार के खिलाफ संघर्ष.
  • थ. भारत के समाज में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के खतरे के खिलाफ संघर्ष, मुस्लिम और ईसाई अल्पसंख्यकों पर हमलों के खिलाफ एकजुटता और धर्मनिरपेक्ष चरित्र की रक्षा के लिए संघर्ष.
  • द. यूएपीए, एएसएफपीए, एनआईए, एनएसए, राजद्रोह कानून, आदि सहित सभी कठोर और लोकतंत्र विरोधी कानूनों के खिलाफ और सभी राजनीतिक बंदियों को मु्रक्त कराने के लिए संघर्ष.
  • ध. आजादी के 75 वें साल में स्वतंत्रता संग्राम में वकीलों की अग्रणी भूमिका और उनके एक धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी और लोकतांत्रिक भारत के सपने को लोकप्रिय बनाना.

5) आइलाज यौन उत्पीड़न के खिलाफ अपनी जेंडर सेंसिटाइजेशन कमेटी बनाएगी.

6) प्रत्येक राज्य में आइलाज को मजबूत करना और देश के सभी राज्यों में आइलाज के प्रसार को सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठाना.

7) राष्ट्रीय सम्मेलन से पहले आइलाज की सभी राज्य इकाइयां सदस्यता अभियान चलाएंगी और अपनी राज्य समितियों का गठन कर अपने राज्य सम्मेलन करेंगी.

8) आइलाज का राष्ट्रीय सम्मेलन 28 और 29 मई, 2022 को कलकत्ता में होगा. प्रत्येक राज्य इकाई अपने राज्य के प्रतिनिधियों की संख्या के बारे में राष्ट्रीय संयोजकों को बताएगी.

9) आइलाज ने अपने चार्टर को अपनाया जिसका अंतिम अनुमोदन रास्ट्रीय सम्मेलन के जरिये किया जायेगा.

- क्लिफ्टन डी रोजारियो