वर्ष - 31
अंक - 6
05-02-2022

विगत 1 फरवरी 2022 को भाकपा(माले) ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपना चुनाव घोषणापत्र जारी किया. चुनाव घोषणापत्र में युवाओं को रोजगार के मुद्दे को प्रमुखता दी गई है. साथ ही, नफरत की राजनीति के खिलाफ कानून के शासन और लोकतंत्र के लिए मतदाताओं से भाजपा को हराने का आह्वान किया गया है.

चुनाव घोषणापत्र लखनऊ और वाराणसी में एक साथ जारी किया गया. राजधानी में राज्य स्थायी समिति के सदस्य रमेश सिंह सेंगर, अरुण कुमार, राधेश्याम मौर्य व ऐपवा नेता मीना और वाराणसी में भाकपा(माले) के पोलित ब्यूरो सदस्य रामजी राय व राज्य सचिव सुधाकर यादव ने इसे संयुक्त रूप से जारी किया.

16 पृष्ठों के घोषणापत्र में कहा गया है कि मुख्यमंत्री योगी के शासन में विकास सिर्फ कागजों में हुआ है, हकीकत में प्रदेश पीछे गया है. पांच वर्षों में रोजगार बढ़ने के बजाय घटे हैं. लाखों पद रिक्त हैं, मगर युवाओं को रोजगार मांगने पर लाठियां मिलीं. 69,000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाला हुआ. भाजपा सरकार निजीकरण की मुहिम चला कर बचे-खुचे आरक्षण को भी खत्म कर रही है.

घोषणापत्र में कहा गया है कि योगी सरकार में प्रदेश न सिर्फ महिला-दलित उत्पीड़न, बल्कि हिरासती हत्याओं, फर्जी मुठभेड़ों और मानवाधिकार हनन में अव्वल बन गया. भाजपा जनता के ज्वलंत मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए चुनाव के मौके पर साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण कराना चाहती है. इसके लिए राम मंदिर की झांकी दिखाने से लेकर काशी-मथुरा मुद्दे को उछाल रही है. भाजपा चाहती है कि डबल इंजन सरकार की डबल विफलता को विस्मृत करा दिया जाए – उन्नाव, हाथरस, लखीमपुर खीरी को भुला दिया जाए, कोरोना से मौतें, गंगा में तैरती लाशें और प्रवासी मजदूरों की पीड़ा, किसान आंदोलन में शहादतें, सोनभद्र का उभ्भा नरसंहार, दबंगों-दंगाइयों को सत्ता संरक्षण, योगी का पुलिस राज और अघोषित इमरजेंसी भुला दी जाए.

घोषणापत्र में रोजगार के अलावा आसमान छूती महंगाई, बढ़ती आर्थिक असमानता और किसानों को एमएसपी की गारंटी को भी मुद्दा बनाया गया है. मतदाताओं से जनसंघर्षों की आवाज को बिहार विधानसभा की तरह यूपी की विधानसभा में भी गुंजाने के लिए भाकपा(माले) के प्रत्याशियों को जिताने की अपील की गई है. पार्टी ने वादा किया है कि चुने जाने पर उसके विधायक सदन के भीतर व बाहर जनता से जुड़े मुद्दों पर संघर्ष को तेज करेंगे.

इनमें गरीबों को मुफ्त राशन-ईंधन, सबको खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य व शिक्षा का अधिकार, कोरोना मौतों विशेष रूप से दूसरी लहर में हुई सभी मौतों को कोरोना जनित मौत मानकर परिजनों को मुआवजा, युवाओं को सम्मानजनक रोजगार, निजी क्षेत्र में आरक्षण, डिग्रीधारियों को बेरोजगारी भत्ता, रोजगार परीक्षाओं का आवेदन व यात्रा निशुल्क करने, किसानों के लिए एमएसपी गारंटी कानून स्वामीनाथन आयोग के आधार पर बनाने, बकाया गन्ना भुगतान दिलाने, बंटाईदार किसानों का पंजीकरण कराकर उन्हें भी सरकारी योजनाओं व राहतों का लाभ दिलाने, गरीबों-बुनकरों-किसानों की कर्ज माफी, मनरेगा में मजदूरी व काम के दिन बढ़ाने, आशा-आंगनबाड़ी-रसोईया व स्कीम वर्करों को न्यूनतम मानदेय 21,000 रु कर राज्य कर्मचारी का दर्जा दिलाने, सबके लिए समान स्कूली प्रणाली, सस्ती उच्च शिक्षा व रोहित वेमुला एक्ट पर अमल के लिए संघर्ष शामिल है.

इसके अलावा, जातीय जनगणना कराने, कमजोर वर्गों का उत्पीड़न रोकने, महिलाओं की आजादी की रक्षा, अल्पसंख्यकों को सच्चर कमेटी के अनुसार हक दिलाने, दंगा-रोधी विशेष उपाय करने, नफरती धर्मसंसदों पर रोक लगाने, सभी काले कानूनों को खत्म करने, फर्जी मुठभेड़ों व हिरासती हत्याओं की जांच कर दोषियों को सजा दिलाने, जन आंदोलनों का दमन रोकने, आदिवासियों की बेदखली रोक कर जल-जंगल-जमीन पर अधिकार दिलाने, वंचित आदिवासी जातियों को एसटी का दर्जा दिलाने, वृद्धों, विधवाओं व विकलांगों को चार हजार रु. महीना पेंशन दिलाने के लिए भाकपा(माले) विधायक संघर्ष करेंगे.

घोषणापत्र जारी करते हुए नेताओं ने कहा कि भाजपा-विरोधी मतों का बंटवारा रोकने और भाजपा की हार सुनिश्चित करने के लिए भाकपा(माले) इस चुनाव में अपेक्षाकृत कम सीटों पर ही प्रत्याशी उतारेगी. पार्टी ने ग्यारह सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बनाया है, जो माले के संघर्षों के प्रमुख क्षेत्र हैं. शेष सीटों पर वह भाजपा को हराने के लिए प्रमुख विपक्षी सपा गठबंधन को समर्थन देगी. पार्टी चार सीटों – जालौन में कालपी, लखीमपुर खीरी में पलिया, सीतापुर में हरगांव (सु.) और रायबरेली सदर की घोषणा पहले ही कर चुकी है.