(मिड डे में प्रकाशित वरिष्ठ पत्रकार अजाज अशरफ के लेख का हिंदी अनुवाद)
आउटलुक, जहां मैंने 12 वर्षों तक काम किया, उसपर अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार द्वारा डाले गए आयकर के छापों के बाद, विनोद मेहता ने संपादक के तौर पर एक नयी रणनीति अख्तियार कर ली. उन्होंने पहले की अपेक्षा ज्यादा जल्दी-जल्दी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ- भाजपा के लेखकों के लेख छापने शुरू कर दिये. जैसा कि उन्होंने हमें बताया कि ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा था ताकि सरकार के साथ अपरिहार्य टकरावों के दौरान, पत्रिका की रक्षा करने वाले भाजपा के लोग उनके पास हों.