वर्ष - 31
अंक - 42
15-10-2022

बिहार का समस्तीपुर जिला भाजपाई उन्मादी-उत्पाती ताकतों की गंभीर चपेट में है. इसी जिले के उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र से केंद्रीय मंत्री व भाजपा नेता नित्यानंद राय सांसद हैं. उनकी सरपरस्ती में समस्तीपुर आज पूरी तरह दलितों-महिलाओं व मुस्लिमों के दमन-उत्पीड़न का केंद्र बन गया है. राज्य में सरकार बदल गई है, भाजपा सत्ता से बेदखल हो चुकी है, लेकिन वहां दमन-उत्पीड़न की घटनाएं रूकने का नाम नहीं ले रही हैं. समस्तीपुर उदाहरण है कि भाजपा को सत्ता से बाहर कर देना ही काफी नहीं है बल्कि उसने समाज के स्तर पर हिंसा व नफरत का जो माहौल बना दिया है, उससे भी निबटना होगा और उसे समाज से भी बेदखल करना होगा.

इसी समस्तीपुर में भाजपा-जदयू शासन के दौरान सफाई कर्मचारी रामसेवक राम की हाजत में हत्या की घटना हुई थी. आधारपुर में पूरे मुस्लिम टोले को जलाने के बाद ‘हिंदू पुत्र’ नाम के संगठन ने भीड़ को उकसाकर मुस्लिम समुदाय के तीन लोगों की हत्या करवाई थी. उस गांव की मुस्लिम आबादी आज भी विस्थापित है. सरायरंजन में इन्हीं तत्वों ने खलील रिजवी की मॉब लिंचिंग कर दी थी, जबकि वे खुद सत्ताधारी जदयू के नेता थे.

अब बिहार में महागठबंधन सरकार है, फिर भी राज्य में और खासकर समस्तीपुर में भाजपा की उन्माद-उत्पात की राजनीति का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. यह बेहद चिंताजनक है. हालिया प्रकरण जिले के उजियारपुर प्रखंड के सातनपुर पंचायत की है. यहां ततवां जाति की एक नाबालिग लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार व उसके बाद हत्या का मामला सामने आया है.

कुछ लोगों को यह लग सकता है कि गैंग रेप व हत्या के इस मामले में भाजपा को क्यों सामने लाया जा रहा है? तब तो और भी जब बलात्कारी व हत्यारे मुस्लिम समुदाय के हैं. लेकिन इसमें अचरज की कोई बात नहीं है. इस घटना में मुख्य अभियुक्त रूमान अहमद भाजपा के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ का राज्य उपाध्यक्ष है और दूसरा कुख्यात अपराधी इम्तियाज अहमद उसका बेहद करीबी है. इन अपराधियों को बचाने के लिए स्थानीय थाना व प्रशासन जी-जान से जुटा हुआ है. स्थानीय प्रशासन जिस प्रकार से अपराधियों के बचाव में खड़ा है उससे साफ तौर पर लगता है कि भाजपा के बड़े नेताओं का उस पर दबाव है. यह चर्चा इस भी है कि रूमान अहमद एक ‘सैक्स रैकेट’ का सरगना है.

बहरहाल, घटना पर एक निगाह डाल लें. पीड़िता स्वाति की मां फूलपरी देवी 23 सितंबर को अपनी बीमार मां को देखने मायके गई हुई थीं. स्वाति के पिता विनोद दास बड़ी बेटी की शादी में लदे कर्ज को चुकाने के लिए दिल्ली में दिहाड़ी मजदूर का काम करते हैं. 23 सितंबर की रात स्वाति अपने 9 वर्षीय छोटे भाई के साथ घर में अकेली थी. छोटा भाई बगल के कमरे में सोया हुआ था जबकि स्वाति बगैर दरवाजे के कमरे में. स्वाति के छोटे भाई ने 5 बजे सुबह के करीब अपनी बहन को फंदे से लटकता देखा. चिल्लाते हुए उसने अपने चाचा को बुलाया. ग्रामीणों ने देखा कि स्वाति का शरीर फांसी के फंदे से झूल रहा है. फंदे से लटकती हुई लड़की के गुप्तांगों और शरीर पर जख्म के गहरे निशान हैं. उसका एक पैर टूटा हुआ है और शरीर पर कीचड़ है. लड़की की पैंटी उसके मुंह में ठूंसी हुई है. उसके कान से खून भी निकल रहा है. जब मां आई तो उन्होंने मुंह में ठुंसे पैंटी को बाहर निकाला. इसका मतलब है कि लड़की ने अपने साथ हुई जबरदस्ती का जमकर विरोध किया था. उसकी मां ने थाने में सामूहिक बलात्कार व हत्या का मामला दर्ज कराया. उसी समय घटनास्थल पर भाकपा(माले) की टीम भी पहुंची.

स्वाति की मां ने पुलिस को बताया कि गांव के ही अपराधी मो. इम्तियाज ऊर्फ रिंकू, जो चौदह महीने के बाद हत्या के एक मामले में जमानत पर बाहर आया है, दो दिन पहले ही मोबाइल कॉल कर उनकी बेटी को बलात्कार की धमकी दे रहा था. कान्फ्रेन्सिंग पर रुमान अहमद सावरी ने भी धमकी दिया. स्वाति की मां उसी दिन करीब रात 9 बजे रिंकू के घर पहुंच गईं, लेकिन वहां रिंकू ने हंसी-मजाक की बात कहकर उनके मोबाइल से अपना नंबर डिलीट कर दिया. दरअसल, मो. रिंकू स्वाति पर शारीरिक संबंधों का दबाव बनाता था जिसे उसने इंकार कर दिया था. जांच टीम को यह भी पता चला कि गांव की अन्य लड़कियों पर भी मो. रिंकू ऐसा ही दबाव बनाते रहता है.

लेकिन स्थानीय थाने का रवैया देखिए. उजियारपुर थानाध्यक्ष लगातार गैंगरेप और हत्या के मामले को छुपाने का प्रयास करते रहे. उन्होंने पोस्टमार्टम के दौरान बिसरा टेस्ट कराना तक जरूरी नहीं समझा. नामजद एफआईआर होने के बावजूद अपराधियों की कोई गिरफ्तारी नहीं हो रही थी. दरअसल, थानाध्यक्ष के मुख्य नामजद अभियुक्तों से मधुर संबंध रहे हैं. पुलिस द्वारा साक्ष्यों को मिटाने और मामले की लीपापोती के प्रयासों के खिलाफ तब भाकपा(माले) ने हस्तक्षेप किया. उसके बाद डीएसपी सक्रिय हुए. लेकिन डीएसपी ने भी वही काम करना शुरू किया जो थाना प्रभारी कर रहा था. उन्होंने कहा कि मामला सामूहिक बलात्कार व हत्या का नहीं, बल्कि प्रेम प्रसंग में हुई आत्महत्या का है. डीएसपी द्वारा अपराधियों के पक्ष में दिए गए बयान से लोगों में आक्रोश पनपना स्वभाविक था.

प्रशासन द्वारा अपराधियों के बचाव में लगातार खड़े रहने से आक्रोश का भड़कना स्वभाविक था. इस आक्रोश को संगठित करते हुए 9 अक्टूबर को उजियारपुर थाने का घेराव करने का निर्णय लिया गया. थाना का घेराव कर रहे भाकपा(माले) कार्यकर्ताओं पर थाने में पहले से बुलाकर रखे गए गुंडों द्वारा संगठित हमला करवाया गया. अपराधियों, शराब के धंधेबाजों और पुलिस गठजोड़ का नंगा नाच थाना परिसर में हुआ. बाजार में लगे सभी सीसीटीवी कैमरे बंद करवा दिए गए. मुंह ढकने के लिए अपराधियों को काला गमछा और शराब के धंधेबाजों को मास्क दिया गया. सब को शराब पिलाया गया. सबके हाथ में लाठी व बांस का फट्टा था. महिला पुलिस रहने के बाबजूद भी कॉ. मंजू प्रकाश के साथ पुरुष सिपाहियों एवं भाड़े पर बुलाए गए नकाबपोशों ने बदसलूकी की कोशिशें कीं. पता चला कि समस्तीपुर के पार्टी के चर्चित नेता फुलबाबू सिंह को जान से मारने की साजिश रची गई थी लेकिन जनता ने अपनी सूझबूझ से उसे नाकाम कर दिया. डीएसपी ने ठंडे दिमाग से इसकी योजना बनाई थी. यहां तक कि उसने भाजपाई मुखिया से भी भाकपा(माले) के विरोध को कुचलने के लिए सहयोग मांगा था. घटना के बाद पार्टी नेताओं ने समस्तीपुर एसपी से बात कर उन्हें पूरे मामले की जानकारी दी. एसपी ने आश्वासन तो जरूर दिया लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है.

भाकपा(माले) इसे बेहद संगीन अपराध मानते हुए बिहार के मुख्यमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप करने डीएसपी व स्थानीय थाना प्रभारी को तत्काल निलंबित करने, पीड़िता के परिजनों की सुरक्षा की गारंटी करने, पोस्टमार्टम रिपोर्ट सार्वजनिक करने, पीड़िता के परिजन को उचित मुआवजा देने तथा पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की भी मांग की है.

भाजपा की बिहार की सत्ता से विदाई ने देश में एक नई उम्मीद जगाई है. लेकिन, यह भी सच है कि प्रशासिनक व्यवस्था का बहुत हद तक भाजपाईकरण हो चुका है. महिला व बाल विकास विभाग की एमडी के वक्तव्य को हम सब ने देखा है जिसमें वे किसी प्रशासनिक पदाधिकारी के बजाय भाजपा की प्रवक्ता की तरह बोल रही थीं. यह गंभीर चुनौती हम सबके सामने है. केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय के संरक्षण में समस्तीपुर को उन्माद-उत्पात की प्रयोगशाला बनाने की साजिशों को महागठबंधन को गंभीरता से लेना होगा. साथ ही, भाजपाइयों के उन्मादी-उत्पाती अभियान के खिलाफ सामाजिक स्तर पर भी कमर कस लेना होगा.

स्वाति को न्याय दो आंदोलन पर एक नजर

26 सितंबर 2022 : भाकपा(माले) सातनपुर चौक पर विरोध सभा आयोजित की. पार्टी नेताओं ने फिर से पोस्टमार्टम कराने की मांग उठाते हुए कहा कि पुलिस बलात्कार व हत्या के साक्ष्यों को मिटाने में लगी हुई है.
27 सितंबर 2022 : का. फूलबाबू सिंह के नेतृत्व में भाकपा(माले) की जांच टीम ने पीड़ित परिवार व ग्रामीणों से मुलाकात कर पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली.
28 सितंबर 2022 : ऐपवा के बैनर तले सातनपुर चौक पर प्रदर्शन कर 9 अक्टूबर 2022 को उजियारपुर थाना का घेराव करने की घोषणा की गई.
1 अक्टूबर 2022 : मालती चौक पर थाना अध्यक्ष का पुतला दहन कर सभा आयोजित की गई. चांदचौर पश्चिमी मंगल चौक पर नुक्कड़ सभा कर थानाध्यक्ष का पुतला दहन कर रहे उजियारपुर प्रखंड सचिव गंगा प्रसाद पासवान पर शराब कारोबारियों व लंपटों के एक गिरोह ने हमला कर उन्हें घायल कर दिया.
9 अक्टूबर 2022 : भाकपा(माले) ने स्वाति के लिए न्याय की मांग को लेकर उजियारपुर थाना घेरा. थाना प्रभारी द्वारा जुटाये गये अपराधियों ने कार्यक्रम पर हमला किया.
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