वर्ष - 32
अंक - 39
23-09-2023

विगत 16-17 सितम्बर को वाराणसी में आइसा, उत्तर प्रदेश द्वारा दो दिवसीय राजनीतिक व वैचारिक कार्यशाला का आयोजन किया गया. राज्य में छात्र राजनीति व विश्वविद्यालयों में जारी फासीवादी दमन के स्थिति में एक क्रांतिकारी छात्र संगठन के बतौर अपनी जिम्मेदारियों के निर्वहन को मद्देनजर रखते हुए कार्यकर्ताओं की राजनैतिक व वैचारिक समझदारी को सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से यह कार्यशाला आयोजित की गई.

कार्यशाला के पहले दिन पहले सत्र में ‘भारत में फासीवाद व उसके विरोधाभास’ विषय पर चर्चा की गई. इस सत्र को सम्बोधित करते हुए का. आकाश भट्टाचार्य ने भारतीय फासीवाद की विशेषताओं, उसकी राजनीति व समाजिक कार्यक्रमों व उसके खिलाफ प्रतिरोध की कार्यनीति पर अपनी बात रखी. दूसरे सत्र में ‘भारतीय राज्य व समाज’ विषय पर सारगर्भित संवाद किया गया. इस दौरान का. आकाश ने भारतीय राज्य के बदलते चरित्र व भारतीय समाज से उसके अंतर्सम्बंध व परिणामों के सन्दर्भ में बात की.

पहले दिन के अंतिम सत्र में ‘महिला उत्पीड़न की ऐतिहासिक जड़ें व महिला मुक्ति के संघर्ष’ विषय पर बातचीत हुई. इस सत्र को ऐपवा की राज्य सचिव का. कुसुम वर्मा व का. वंदना चौबे ने सम्बोधित किया. इस दौरान महिला उत्पीड़न की ऐतिहासिकता व उससे खिलाफ संघर्ष के मार्क्सवादी कार्यक्रम पर बातचीत की गई.

कार्यशाला के दूसरे दिन के पहले सत्र में का. गोपाल प्रधान ने ‘मार्क्सवाद के मूलभूत सिद्धांत’ विषय पर  कार्यकर्ताओं को सम्बोधित किया. उन्होंने मार्क्सवादी दर्शन व उसके सामाजिक पहलुओं पर विस्तार से बात की. दूसरे सत्र में उन्होंने आइसा की स्थापना के बाद से उसके संघर्षों के क्रांतिकारी इतिहास को रेखांकित करते हुए बदली हुई राजनीतिक स्थिति में सांगठनिक कार्यनीति पर बातचीत की.

अंतिम सत्र में का. रामायण राम ने ‘अस्मिता की राजनीति व दलित प्रश्न’ पर कार्यशाला में बात की. का. रामायण राम ने जाति व्यवस्था के उदय व उसमें निहित दलित उत्पीड़न पर ऐतिहासिक तौर पर बात करते हुए इस प्रश्न पर हमारे संघर्षों की दिशा को रेखांकित किया. इस दौरान उन्होंने अस्मिता आधारित राजनीतिक दलों की सीमाओं को भी चिन्हित किया.

कार्यशाला में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद विश्वविद्यालय, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय व बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि छात्र कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया. कार्यकर्ताओं ने कार्यशाला में अलग-अलग विश्वविद्यालय में उनके समक्ष प्रस्तुत राजनीति चुनौतियों के सन्दर्भ में प्रश्न पूछे व बातचीत की.