वर्ष - 32
अंक - 38
15-09-2023
पूरे देश की शिक्षा व्यवस्था लचर है, एकजुट होने की जरूरत – विनोद सिंह

पलामू प्रमंडल के जीएलए काॅलेज में ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) का प्रमंडल-स्तरीय छात्र कन्वेंशन संपन्न हुआ. कन्वेशन की शुरूआत में एक मार्च निकाला गया जिसमें लचर शिक्षा व्यवस्था और नई शिक्षा नीति के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई. कन्वेंशन में सर्वप्रथम छात्र आंदोलन में शहीद हुए सभी छात्र नेताओं को श्रद्धांजलि दी गई. कन्वेंशन का स्वागत भाषण राज्य अध्यक्ष तरुण कुमार ने पेश किया और सम्मेलन का संचालन रंजीत कुमार सिंह ने किया.

कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि भाकपा(माले) के बगोदर विधायक विनोद कुमार सिंह ने कहा कि शिक्षा के मामले सरकार गंभीर नहीं है. पूरे देश में बुनियादी सुविधाओं की घोर कमी है. छात्र लगातार परेशानियों का सामना कर रहे हैं. पिछली भाजपा सरकार ने राज्य में लगभग 12000 स्कूलों को बंद कर दिया था जिसके कारण राज्य के गरीब और वंचित लोग ही इस निर्णय के शिकार हुए. माॅडल स्कूल बनाकर भी सरकार जनता को धोखा दे रही है. एक स्कूल को माॅडल बनाने के बजाय सभी स्कूलों को ठीक करने की जरूरत है. हमने लगातार छात्र-युवाओं के मुद्दे को सदन में उठाया है. आज दौर में वैज्ञानिक शिक्षा को बढ़ावा देने के बजाय नफरती माहौल तैयार किया जा रहा है. केंद्र सरकार बाकी सारी सरकारी कंपनियों के साथ-साथ शिक्षा को भी निजी हाथों में सौंप रही है. सारे काॅलेजों में अध्यापकों को घोर कमी है. शिक्षा किसी पार्टी के घोषणा पत्र में मुद्दा नहीं बन पा रहा है. आज शिक्षा बचाने के लिए बड़े छात्र आंदोनल की जरूरत है.

आइसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीलाशीष बोस ने कहा कि केंद्र सरकार नई शिक्षा नीति लाकर गरीब व मध्यम वर्ग के छात्रों को सीधे तौर पर बाहर करने का प्रयास कर रही है. सरकारी स्कूलों और काॅलेजों में शिक्षा को जानबूझ कर बर्बाद किया जा रहा है ताकि बड़े-बड़े ऑनलाइन प्लेटफाॅर्म मोटी रकम वसूली कर सकें. नीलांबर पीतांबर विश्वविद्यालय जैसे संस्थान में सीयूईटी लागू नहीं होना चाहिए, क्यूंकि ये इलाका अत्यंत पिछड़ा हुआ इलाका है जहा छात्रों का ड्राॅप आउट रेट सबसे ज्यादा है. सीयूईटी ने सीधे तौर पर फीस के साथ-साथ कई तरह की परेशानियों को बढ़ा दिया है. 300 किलोमीटर दूर एग्जाम सेंटर रहा. झारखंड के अधिकांश छात्र 12वीं के बाद कंप्यूटर शिक्षा प्राप्त करते हैं, और एग्जाम कंप्यूटर बेस्ड हुआ. इससे सुदूरवर्ती इलाके के छात्र सूचना और संसाधन के अभाव में परीक्षा देने से छूट गए हैं.

उन्होंने आगे कहा कि सरकार शिक्षा को महंगी कर गरीब तबके के छात्रों को शिक्षा के अधिकार से वंचित कर रही है. शिक्षकों और अन्य सुविधओं के अभाव में विश्वविद्यालयों का सत्र काफी पीछे है. चार वर्षीय स्नातक कोर्स वैसे भी अनुचित है. इससे छात्रों का ड्राॅप आउट रेट बढ़ेगा. आइसा सस्ती व गुणवतापूर्ण शिक्षा, महिला सुरक्षा तथा सम्मानजनक रोजगार गारंटी हेतु संघर्षरत है. आप सभी आइसा के जुड़ें और छात्र हित में आवाज को मजबूती प्रदान करें. आइसा के राज्य सचिव त्रिलोकी नाथ ने कहा कि झारखंड सरकार ने पिछले 2018 से ही साइकिल योजना बंद कर दी है. छात्रवृत्ति भी समय से नहीं मिल पा रही है जिस कारण छात्रों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने छात्रों से अपील किया कि आप आइसा के साथ आएं और शिक्षा के अधिकार नियम के अनुसार आवाज को आगे बढ़ाएं.

इस मौके पर भाकपा(माले) जिला सचिव आरएन सिंह, पलामू के आइसा जिला सचिव गौतम दांगी, अध्यक्ष गुड्डू भुइयां, लातेहार जिला सचिव नागेंद्र राम, गढ़वा प्रभारी संजना मेहता, ममता कुमारी, विभा पुष्पा दीप, अजरानी निशानी पांकी मध्य जिला परिषद सदस्य खुशबू कुमारी आदि ने भी छात्र कन्वेंशन को संबोधित किया.

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