वर्ष - 32
अंक - 36
02-09-2023

15 जिलों के 350 प्रतिनिधियों की उपस्थिति में आयोजित पंजाब किसान यूनियन का दो दिवसीय पांचवा राज्य सम्मेलन पूरे जोश खरोश के साथ 25-26 अगस्त 2023 को बरनाला के तर्कशील भवन में सम्पन्न हो गया. सम्मेलन ने फिर से रुलदू सिंह मानसा को अध्यक्ष और गुरनाम सिंह भिखी को महासचिव चुना. कुल 16 कार्यकारिणी सदस्य और उनमें से 11 पदाधिकारी चुने गए. जबकि संगठन के संविधान के अनुसार इनके अलावा सभी जिलों के निर्वाचित अध्यक्ष व सचिव भी राज्य कार्यकारिणी के पदेन सदस्य होंगे.

सम्मेलन का उद्घाटन अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव कामरेड राजाराम सिंह ने किया. ऐतिहासिक किसान आंदोलन में पंजाब की अगुवा भूमिका की सराहना करते हुए कामरेड राजाराम सिंह ने कहा कि मोदी राज में खेती, जमीन और अन्न के भंडारों पर कारपोरेट कब्जा कराने की जिन साजिशों का पर्दाफाश आज हो रहा है, उसे पंजाब के किसानों ने 2020 में ही समझ लिया था. पंजाब के किसानों द्वारा इस बड़े हमले को रोकने के लिए लिया गया संकल्प ‘या तो जीत के लौटेंगे या शहीद बनकर’, किसानों की जीत का आधार बना. उन्होंने उम्मीद जतायी कि देश पर हो रहे कारपोरेट फासीवाद के हमले के खिलाफ भी पंजाब के किसान देश की अगुवाई करेंगे.

उन्होंने कहा कि आज हमारा आंदोलन और भी विस्तर कर रहा है. अभी कल ही दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में एसकेएम और 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का साझा सम्मेलन हुआ है. हमने यह ऐतिहासिक फैसला किया है कि कारपोरेट फासीवादी हमलों का मुकाबला अब देश के किसान व मजदूर मिलकर करेंगें. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार जमीन व आसमान सब कुछ बेचने पर लगी है. इसरो के चन्द्रयान-3 के साढ़े छः सौ करोड़ के खर्च में भी मोदी सरकार ने कारपोरेट की भागीदारी करा दी.

सम्मेलन में किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रेमसिंह गहलावत ने संयुक्त किसान मोर्चा में एआइकेएम की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला. फूलचंद ढेवा ने किसानों के सामने मौजूद चुनौतियों पर बोलते हुए इस किसान मजदूर विरोधी सरकार के खिलाफ चौतरफा आंदोलन चलाने का आह्वान किया. सम्मेलन को किसान महासभा के बिहार राज्य उपाध्यक्ष व विधायक सुदामा प्रसाद ने भी संबोधित किया. उन्होंने बिहार में अपने संघर्षों के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि सड़क और खेत-खलिहान में लड़ी जा रही लड़ाई को संसद व विधानसभा तक पहुंचाना होगा. उन्होंने अपनी लगातार दो बार की जीत के लिए अपने विधान सभा क्षेत्र के किसानों और ग्रामीण गरीबों की संगठित आंदोलन की ताकत को महत्वपूर्ण कारक बताया. भाकपा(माले) जिला सचिव गुरप्रीत रुडके, आरवाइए के राज्य संयोजक विन्दर अलख व आइसा के कार्यकर्ता राजदीप ने सम्मेलन की व्यवस्था व सजावट में लगे किसान नेताओं के साथ आयोजन को कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

इस सम्मेलन की खासयित यह रही कि इसमें सांगठनिक रिपोर्ट के अलावा दो सत्र प्रतिनिधियों के राजनीतिक शिक्षण से जुड़े थे. एक सत्र में ‘दुनिया के लिए संकट बनता पर्यावरण का सवाल और खेती पर उसका प्रभाव’ था. इस पर भाकपा(माले) चंडीगढ़ के सचिव व केंद्रीय कमेटी सदस्य कंवलजीत सिंह और किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव व पार्टी के पंजाब प्रभारी पुरुषोत्तम शर्मा ने विस्तार से अपने वक्तव्यों को रखा. कामरेड कंवलजीत सिंह ने पर्यावरण में बढ़ते असुंतलन और उससे पृथ्वी के लिए बढ़ते खतरे पर विस्तार से अपनी बात रखी. उन्होंने बताया कि औद्योगिक क्रांति के बाद पिछले डेढ़ सौ वर्षों में पृथ्वी का तापमान 1.1 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है. इससे बर्फ के ग्लेशियर और दक्षिणी व उत्तरी धरुव पर बर्फ तेजी से पिघल रही है. अगर यह .4 डिग्री सेल्सियस और बढ़ा तो समुद्र के बीच स्थित दुनिया के कई छोटे देश व समुद्र किनारे के शहर पानी में डूब जाएंगे. उन्होंने विकसित राष्ट्रों और कारपोरेट कंपनियों की अति मुनाफे पर आधारित नीतियों को इसका जिम्मेदार बताया. उन्होंने कहा कि पर्यावरण असंतुलन इतना बढ़ गया है कि उसने फसल चक्र पर भी प्रभाव डाला है. आज बेमौसम बारिश, सूखा, अति बृष्टि, समुद्री तूफान और बादल फटने की घटनाएं बढ़ रही हैं. उन्होंने कार्यकर्ताओं को खेती पर इसके विपरीत परिणामों से आगाह करते हुए पर्यावरण संरक्षण को किसान आंदोलन के एजेंडे में शामिल करने की बात की.

कामरेड पुरुषोत्तम शर्मा ने पृथ्वी के बढ़ते तापमान के कारणों पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि 1 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ने से दुनिया में गेहूं की पैदावार 4 से 5 करोड़ टन घट गई. हर दशक में 0.2 डिग्री सेल्सियस की रफ्तार से बढ़ रहे तापमान के कारण प्रति एकड़ 3 क्विंटल गेहूं की पैदावार घट रही है. इसकी पूर्ति के लिए किसान रासायनिक खादों, कीट नाशकों व खरपतवार नाशकों का उपयोग ज्यादा कर रहे हैं. इससे न सिर्फ हमारी फसल जहरीली हो रही है बल्कि हवा पानी और मिट्टी भी जहरीली हो रही है.

उन्हींने बताया कि आज विश्व पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाने वाले देश व कारपोरेट कम्पनियां इस नुकसान की भरपाई अविकसित व विकासशील देशों के गरीबों, आदिवासियों, किसानों व पर्वतीय जनों की तरक्की को रोक कर करना चाहते हैं. इसके लिए वे ग्रीन बोनस और कार्बन ट्रेडिंग जैसी लालची व लुभावनी योजना लेकर आ रहे हैं. हमारी साम्राज्यवाद परस्त और कारपोरेट परास्त सरकारें उनके दबाव में जनता के सभी परंपरागत हक-हकूक भी छीन रही हैं. पंजाब में वर्तमान बाढ़ की तबाही और हिमाचल की तबाही के लिए कामरेड पुरुषोत्तम शर्मा ने कारपोरेट लूट पर आधारित हिमालयी विकास नीति को जिम्मेदार बताया. उन्होंने कहा कि हमारा हिमालय दुनिया का सबसे नया, सबसे कच्चा और अति संवेदनशील पहाड़ है. इसके साथ की जा रही यह विनाशकारी छेड़छाड़ पूरे भारत व दुनिया के पर्यावरण संतुलन को बिगाड़ देगी. ऐसे में पर्यावरण का सवाल पृथ्वी के अस्तित्व व जीवन के अस्तित्व से जुड़ा है. किसानों को इसे अपनी प्राथमिक मांगों में शामिल करना चाहिए.

दूसरा विषय था ‘देश के सामने मौजूद राजनीतिक चुनौतियां और उसमें किसानों की भूमिका.’ इस विषय पर भाकपा(माले) राज्य सचिव गुरिमीत सिंह बख्तपुरा और कामरेड पुरुषोत्तम शर्मा ने विस्तार से अपना वक्तव्य रखा. इसमें भारतीय मार्का फासीवाद और लोकतंत्र व संविधान पर उसके हमले के बारे में विस्तार से चर्चा की गई. आज के दौर के राजनीतिक संघर्ष में पंजाब के किसानों के सामने आ रही बड़ी जिम्मेदारियों पर भी प्रकाश डाला गया. पंजाब किसान यूनियन और भाकपा(माले) के रिश्ते को लेकर भी इस सत्र में खुलकर चर्चा हुई. साथ ही, किसान-मजदूर एकता के बल पर फासीवाद से मुकाबला करते हुए एक नई कम्युनिस्ट लहर को खड़ा करने की जरूरत पर जोर दिया गया.

इन दोनों विषयों पर विस्तार से हुई चर्चा ने और इस विषय को छूते हुए कामरेड रुलदू सिंह मानसा और कामरेड राजा राम सिंह द्वारा रखी गई बातों ने प्रतिनिधियों के राजनीतिक व नीतिगत सवालों पर शिक्षण में बड़ी भूमिका निभाई.

पहले दिन का अध्यक्ष मंडल निर्वाचित 11 जिलों के जिलाध्यक्षों को लेकर गठित किया गया. दूसरे दिन का अध्यक्ष मंडल निर्वाचित 11 जिला सचिवों और 3 महिला डेलीगेटों को लेकर बनाया गया. सम्मेलन का संचालन कामरेड गुरनाम सिंह भिखी ने किया. सम्मेलन ने रुलदू सिंह मानसा को प्रदेश अध्यक्ष और गोरा सिंह भैणी बाघा, डाॅ. चरन सिंह राजकोट, सुखदेव सिंह भागोकावा व भोला सिंह समाऊँ को उपाध्यक्ष तथा गुरनाम सिंह भीखी को प्रदेश महासचिव चुना. गुरजंट सिंह मानसा को वित्त सचिव, बलवीर सिंह जलूर को संगठन सचिव, अशोक महाजन को संयुक्त सचिव तथा जगराज सिंह मलोट को प्रेस सचिव चुना गया. जरनैल सिंह मुक्तसर, जसबीर कौर, दलजीत सिंह, मेजर सिंह, कर्मजीत सिंह व बलरराज फरीद सदस्य चुने गए.

सम्मेलन के अंत में पांचवी बार प्रदेश अध्यक्ष बने रुलदू सिंह ने सम्मेलन के प्रवन्ध व प्रचार की जिम्मेदारी संभालने वाले आरवाइए, आइसा व किसान यूनियन के कार्यकताओं को सम्मानित किया और उपस्थित प्रतिनिधियों को धन्यवाद देते हुए नवगठित कमेटी को बधाई दी और पूरी कमेटी ने किसानों को गुलाम बनाने वाली नीतियां बनाने वाली केंद्र सरकार को उखाड़ फेंकने का संकल्प लेने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि इस कारपोरेट लूट के खिलाफ साम्यवाद की विचारधारा पर चलकर ही हम देश और किसानों को सही दिशा पर ले जा सकते हैं. कामरेड रुलदू सिंह मानसा ने बताया कि पंजाब की किसान संगठनों के सम्मेलनों से एकदम अलग हमारे इस शानदार और शिक्षाप्रद सम्मेलन के आयोजन की प्रेरणा व दिशा हमारी पार्टी भाकपा(माले) से मिलती है. इसके साथ ही सम्मेलन सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ.

– गुरनाम सिंह भिखी/नरेंदर कौर

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