वर्ष - 31
अंक - 8
19-02-2022

पटना में फैज अहमद फैज की रचनाओं की सांगीतिक पेशकश

“फैज पर आज बात करना बहुत जरूरी है. यह सही है कि उन्होंने कई मशहूर रचनाएं पाकिस्तान के गहरे संकट के दौर में लिखी, पर भारत में आज का जो समय है, उससे भी गंभीर है. फैज केवल पाकिस्तान के नहीं, बल्कि बांग्लादेश और भारत के भी अपने ही हैं. जिस मुल्क में उन्होंने जन्म लिया था वह तो तब एक ही था. दरअसल फैज पूरे भारतीय उपमहाद्वीप के शायर हैं.” उर्दू-हिन्दी के चर्चित कवि और आलोचक सफदर इमाम कादरी ने मशहूर इंकलाबी शायर फैज अहमद फैज की 111वीं जयंती पर विगत 13 फरवरी 2022 को पटना के प्रेमचंद रंगशाला में आयोजित कार्यक्रम ‘फैज अहमद फैज की रचनाओं की सांगीतिक पेशकश’ में ये विचार व्यक्त किये.

प्रो. सफदर इमाम कादरी ने कहा कि फैज काॅलेज लाइफ में ही लेखक के रूप में स्थापित होने लगे थे. उन्होंने उस समय नये अदब का परचम उठाया. 1936 में वे प्रगतिशील लेखक संघ में आ गये थे. उन्होंने उसी धारा को ऊंचाई पर पहुंचाया. अरबी और अंगरेजी के ज्ञान ने उनकी कविता को दुनिया में मकबूल बनाने में भूमिका निभायी. उन्होंने अपनी मातृभाषा पंजाबी में भी लिखा.

सफदर इमाम कादरी ने कहा कि फैज पहले आधुनिक शायर हैं जिनकी रचनाएं गजल गायिकी के जरिये और ज्यादा लोकप्रिय हुई. संगीत फैज की पंक्तियों में अंतःसलिला की तरह है. उनकी कविता में जो लय है उसने उन्हें सार्वभौमिक बनाया. रावलपिंडी केस के दौरान जेल से उनकी जो रचनाएं बाहर आती थीं, उनकी पंक्तियों को अदीबों ने सैकड़ों किताबों का शीर्षक बनाया.

सफदर साहब ने कहा कि आज हर शहर में फैज को याद किया जा रहा है, उनके सैकड़ों शेर लोगों की जुबान पर हैं. यह हमारे वक्त के लिए बड़ी उम्मीद की तरह है.

आयोजन में नीलांबर ;कोलकाताद्ध के रितेश पांडेय, विमलेश त्रिपाठी, विशाल पांडेय मनोज झा और भरत साव ने फैज की रचनाओं – ‘नहीं निगाह में मंजिल तो जुस्तजू ही सही’, ‘कब ठहरेगा दर्दे दिल’, ‘निसार मैं तेरी गलियों पर’, ‘बोल की लब आजाद हैं तेरे’ और ‘मुझसे पहली सी मुहब्बत मेरे महबूब न मांग’ का गायन किया. तबले पर संगत धर्मवीर ने की.

हिरावल (पटना) के संतोष झा, विशाल, राजभूमि और राजन ने फैज की नज्म ‘इंतिसाब’, ‘कुत्ते’, ‘हम मेहनतकश जग वालों से’, ‘दरबार-ए-वतन’ और ‘हम देखेंगे’ की सांगीतिक प्रस्तुति की. खंजरी पर अरविंद जी और नाल पर संतोष कुमार टुन्नी ने संगत की.

यह आयोजन ‘हम भारत के लोग: आजादी 75 जन अभियान’ की एक कड़ी था. आयोजन का संचालन करते हुए सुधीर सुमन ने कहा कि हर तरह के विभाजन और नफरत के खिलाफ इस मुल्क और इंसानियत को बचाने के संघर्ष में फैज हमारे साथी हैं. हमें इस उपमहाद्वीप की मिली-जुली तहजीब को बचाना होगा. उन्होंने भी फैज की रचना ‘गर्मी-ए-शौक-ए-नजारा का असर तो देखो’ को गाकर सुनाया.

– राजेश कमल

111th birth anniversary of Faiz Ahmed