वर्ष - 31
अंक - 48
02-12-2022

विगत 15 नवंबर 2022 को वीर विरसा मुंडा का 147 वीं जयंती के अवसर पर आदिवासी संघर्ष मोर्चा की ओर से घुटुआ, हेहल और अरगड्डा मोड़ स्थित बिरसा मुंडा चैक के समीप वीर योद्धा बिरसा मुंडा जयंती दिवस कार्यक्रम मनाते हुए केंद्र सरकार के द्वारा लाए जा रहे कारपोरेट पक्षधर वन संरक्षण नियम 2022 की प्रतियां जलाई गईं और ‘वन संरक्षण नियम 2022 रद्द करो’ तथा ‘कारपोरेट पक्षधर वन संरक्षण नियम 2022 वापस लो’ के जोरदार नारे लगाये गये.

इसके बाद वहां आयोजित सभाओं को संबोधित करते हुए आदिवासी संघर्ष मोर्चा के नेताओं ने उपस्थित लोगों से इस नियम के खिलाफ संघर्ष को तेज करने का आह्वान किया. नेताओं ने कहा कि भारत सरकार वनों और वन भूमि को बड़े कारपोरेट घरानों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को सौंपने के लिए वन भूमि के विशाल क्षेत्रों से आदिवासियों और अन्य वन्यजीवी समुदायों को उजाड़ने और विस्थापित करने के लिए एक हिंसक हमला शुरू करने की तैयारी कर रही है. इसके लिए उसने वन संरक्षण नियम 2022 को संसद के सामने रखा है. इसे बजट सत्रा 2023 के दौरान अनुमोदित कराने का षड्यंत्र व कोशिश चल रही है.

इन कार्यक्रमों में लाली बेदिया, कुलदीप बेदिया लालचंद बेदिया, रामवृक्ष बेदिया, लाका बेदिया, जयनंदन गोप, गोपाल बेदिया, कांति देवी, गीता देवी, प्रयाग बेदिया, कजरु व छोटेलाल करमाली आदि सैकड़ों लोग उपस्थित थे.

Demonstration against Forest Conservation Act 2022

कारपोरेट पक्षधर ’वन संरक्षण नियम 2022’ के खिलाफ धनबाद के गोविन्दपुर में भाकपा(माले) और झारखंड ग्रामीण मजदूर सभा (झामस) के बैनर तले जोरदार प्रदर्शन किया गया. सर्वप्रथम आमबोना मोड़ स्थित देवली में स्थापित धरती आबा बिरसा मुंडा के प्रतिमा पर सभी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने माल्यार्पण कर उनको दो मिनट का मौन रख कर श्रद्धांजलि दी और उसके बाद सभा आयोजित कर उनकी क्रांतिकारी विरासत पर चर्चा की. इस मौके पर केन्द्र सरकार द्वारा संसद में पेश होनेवाले कारपोरेट परस्त ’वन संरक्षण नियम 2022’ की प्रतियां भी जलाई गईं. कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा जिस जल, जंगल और जमीन को लेकर बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लड़ाई लड़ी, आज की सरकार उसे ही कारपोरेट के हाथों में सौपना चाहती हैं. अतः आज फिर से एक उल्गुलान की जरूरत है.

कार्यक्रम में मुख्य रूप से भाकपा(माले) के जिला सचिव कार्तिक प्रसाद, जिला कमिटी सदस्य नकुलदेव सिंह, श्रीराम विश्वकर्मा, रमेश सोरेन, सीताराम कुंभकार, शुकदेव हरि, निरंजन महतो, दिनेश सोरेन, दीपक गोप, विजय कुंभकार, अव्धेश कुमार, मुखिया शान्ति राम रजवार, संजीत टुडू , डिस्को कुमार समेत दर्जनों लोग शामिल हुए.

सिंदरी में इन्कलाबी नौजवान सभा (इनौस) के बैनर तले भाकपा(माले) कार्यालय से जुलूस निकाल कर बिरसा समिति मेदान मे स्थापित धरती आबा बिरसा मुंडा के प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया तथा दो मिनट का मौन रख कर्र उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. फिर वहां से जुलूस के शक्ल में शहरपुरा भुजा मोड़ पहुंच कर ’वन संरक्षण अधिनियम 2022’ की प्रतियां जलाई गईं. कार्यक्रम में भाकपा(माले) के वरिष्ठ नेता सुधीर महतो, कृष्णा प्रसाद महतो, किशोर महतो, एससी-एसटी काउंसिल के सचिव मदन प्रसाद भोजोहोरी, आदि समेत सैकड़ों नेता-कार्यकर्ता उपस्थित रहे.

झारखंड के क्रांतिवीर, आबा बिरसा मुंडा के जयंती व झारखंड स्थापना दिवस के अवसर पर भाकपा(माले) की ओर से जुनकुदर ब्रह्मस्थान में उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण कर, दो मिनट मौन रखकर उन्हे याद किया गया. मौके पर उपस्थित भाकपा(माले) नेता नागेन्द्र कुमार ने शहीद बिरसा मुंडा के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 15 नवंबर 1875 में एक गरीब किसान परिवार में जन्मे शहीद बिरसा बचपन से ही साहसिक और लड़ाकू प्रवृति के थे. विद्यार्थी जीवन के दौरान ही उन्होंने अंग्रेजी सरकार के आदिवासी व किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ विद्रोह करने का मन बना लिया और युद्ध छेड दिया. इस लडाई में आदिवासी समाज, खासकर नौजवानों की शानदार भागीदारी रही थी. दर्जनों बार उन्होंने अंग्रेजों को धूल चटाने का काम किया. अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया और महज 25 वर्ष की अवस्था में ही वे शहीद हो गये. यह बहुत ही दुखद बात है कि केन्द्र की मोदी सरकार अंग्रेजों की तरह ही जल-जंगल-जमीन व किसान विरोधी कानून बनाने का काम कर रही है. केन्द्र सरकार के कारपोरेट पक्षधर वन संरक्षण नियम 2022 की प्रतियां जलाई गईं और जल-जंगल-जमीन की लडाई लड़ कर शहीद बिरसा मुंडा के सपनो को साकार करने का संकल्प लिया गया.

– देवकीनंदन बेदिया

birth anniversary of Shaheed Birsa Munda


शहीद बिरसा मुंडा जयंती पर सलूम्बर में रैली

15 नवंबर 2022 को बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर आदिवासी संघर्ष मोर्चा एवं अखिल भारतीय किसान महासभा के संयुक्त तत्त्वधान में सलूम्बर (राजस्थान) में जन अधिकार रैली व प्रदर्शन किया गया. रैली का मुख्य उद्देश्य वन संरक्षण कानून 2022 को वापिस करवाने तथा सलूम्बर उपखण्ड के 4 ग्राम पंचायतों – सरवणी, मोरीला, मालपूर व बनोडा को पुनः सलूम्बर पंचायत समिति व तहसील मे सम्मिलित किया जाना था.

सैकड़ों कार्यकर्ताओं की रैली सेलिंग तालाब, सलूंबर से प्रारंभ होकर मुख्य बाजार होते हुए उपखंड कार्यालय के सम्मुख पहुंची. उपखंड कार्यालय के समक्ष ही सभा आयोजित की गई और वन संरक्षण कानून 2022 की प्रतियां जलाकर उसका विरोध किया गया.

सभा को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) के जिला सचिव चन्द्रदेव ओला ने कहा कि वन संरक्षण कानून 2022 कारपोरेट परस्त है और पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने वाला है, यह कानून बनने के बाद आदिवासियों को जंगल से बेदखल करने का काम होगा. भारत सरकार वनों और वन भूमि को बड़े कारपोरेटों और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को सौंपने के लिए वनभूमि के विशाल क्षेत्रों से आदिवासियों और अन्य वनजीवी समूदायों को उखाड़ फेंकने और विस्थापित करने के लिए वन संरक्षण नियम 2022 को संसद में पारित करने में जुटी है. उन्होंने इसे वापस लेने और वन अधिकार कानून के तहत सभी वन भूमियों पर काबिज किसानों को वन भूमि के पट्टा दिए जाने और व पहले से दिये गये पट्टों में जो अनियमिततायें हैं उन्हें तत्काल दूर करने की मांग की.

सभा को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) के प्रतापगढ़ जिला सचिव कामरेड शंकर लाल चौधरी ने कहा कि यहां का प्रशासन जनता को परेशन करता है और इसका जीता-जागता उदाहरण सरवणी, मोरीला, मालपूर व बनौड़ा ग्राम पंचायतों का मामला है, इन पंचायतों के निवासियों को पंचायत समिति व तहसील कार्यों के लिए सलूम्बर से होते हुए झल्लारा जाना पड़ता है जिसका आर्थिक बोझ इन गरीब लोगों की जेब पर पड़ता है. कामरेड गौतम लाल मीणा ने कहा कि 2014 से, जबसे मोदी सरकार आई है, वह लगातर सार्वजनिक संपदाओं को बेचने का काम कर रही है. मंहगाई की मार ने आम जनता की कमर तोड़ दी है. कामरेड पूरनमल मीणा ने कहा कि मोदी सरकार कारपोरेट परस्त सरकार है जो जंगल से आदिवासी को उखाड़ फेंकने का काम कर रही है. उड़ीसा, झारखंड और छत्तीसगढ़ में यह देखा जा सकता है. यह सरकार पूंजीपतियों को पालने का काम कर रही हैं और देश के सार्वजनिक संस्थानों को उनके हवाले कर रही है. रैली के पश्चात देश के राष्ट्रपति व मुख्यमंत्री के नाम उपखंड अधिकारी के मध्यम से दो ज्ञापन सौंपे गये जिसमें एक मांगपत्र स्थानिय जन समस्याओं को भी लेकर था. सभा में वक्ताओं ने सलूम्बर को जिला बनाए जाने, रीको औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए जाने व वाना को सलूंबर रेलवे स्टेशन के रूप में विकसित किए जाने पर भी जोर दिया.

रैली व प्रदर्शन के दौरान सामूहिक गीत गायन के सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया. उसमें भी वन संरक्षण अधिनियम के खिलाफ संघर्ष को तेज करने का आह्वान किया गया.

– डा. चन्द्रदेव ओला

Demonstration against Forest Conservation Act