वर्ष - 32
अंक - 13
25-03-2023

ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा की ‘रीढ’ आशाओं की कोरोना काल में सराहनीय भूमिका की तारीफ विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा पटना हाईकोर्ट ने भी की है. लेकिन, केंद्र की मोदी सरकार ने बार बार रखे जाने के बाद भी आशा कर्मियों व आशा फैसिलिटेटरों की मांगे पूरी नहीं की. उल्टे, बजट 2023 में आशाओं की चर्चा तक नहीं कर उनके साथ घोर विश्वासघात किया. बिहार में महागठबंधन के घोषणा पत्र में आशाओं को इंसाफ देने का ऐलान करने वाले युवा नेता तेजस्वी यादव आज खुद उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री हैं, लेकिन राज्य सरकार की ओर से आशाओं के हित में अभी तक कोई कदम नही उठाया गया है. इससे आक्रोशित आशाओं व फैसिलिटेटर ने 21 मार्च 2023 को हजारों की संख्या में गर्दनीबाग, पटना के धरनास्थल पर जुटकर व अपने हाथों में मांगों की तख्ती लिए प्रदर्शन और सभा आयोजित किया.

बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ (गोप गुट) और ऐक्टू से संबद्ध बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ के बैनर तले संघ की अध्यक्ष शशि यादव, महासचिव विद्यावति पांडे, कविता कुमारी, सुनैना, शबनम, शैव्या पांडे, मालती राम, सीता पाल, कुसुम, आशा, सुनीता, पूनम, संध्या, निर्मला, चंद्रकला, सुशीला, उर्मिला, तारा आदि के नेतृत्व में हजारों आशा व आशा फैसलिटेटर्स ने ‘पारितोषिक नहीं, मासिक मानदेय देना होगा’, ‘एक हजार में दम नहीं, 21 हजार से मासिक मानदेय से कम नहीं’, ‘आशा व फैसिलिटेटर्स को स्वास्थ्य विभाग का कर्मचारी घोषित करो’, ‘पेंशन योजना लागू करो’, ‘10 लाख का एकमुश्त रिटायरमेंट लाभ दो’, ‘कोरोना काल के बकाया का भुगतान करो’ की मांगों का पुरजोर नारा लगाते हुए गेट पब्लिक लायब्रेरी से प्रदर्शन निकाला और गर्दनीबाग, धरना स्थल पहुंच कर धरना व आम सभा संपन्न किया.

आम सभा को आशा कार्यकर्ता संघ की उपरोक्त नेताओं के अलावे बिहार विधान सभा में आशाओं के मांगों के समर्थन में आवाज उठाने वाले भाकपा(माले) विधायक दल नेता महबूब आलम, उप नेता सत्यदेव राम व विधायक महानंद सिंह ने खासतौर से संबोधित किया. उन्होंने आशाओं का आह्वान किया कि वे अपनी मांगों के लिए सड़कों पर संघर्ष तेज करें, भाकपा(माले) विधायक विधान सभा में सरकार से इन मांगों को पूरा करवाने की लड़ाई लड़ेंगे.

उन्होंने कहा कि कोई भी सरकार हो, एकजुट संघर्ष से ही जीत हासिल होगी. करते रहना होगा तभी कोई सरकार आपकी मांगें पूरा करेगी. उन्होंने बताया कि विधानसभा में उनके आवाज उठाने के बाद मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप से आगामी 23 मार्च 2023 को सरकार संघ नेताओं के साथ वार्ता करने को बाध्य हुई है. भाकपा(माले) विधायकों ने मोदी सरकार पर जोरदार हमला करते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत आशाओं से काम लिया जाता है लेकिन आशाओं का मेहनताना बढ़ाने व सेवा सुरक्षा प्रदान करने को लेकर मोदी सरकार न सिर्फ लापरवाह है बल्कि विश्वासघात कर रही है. मोदी सरकार अडानी-अंबानी के हित में काम कर रही है. साथ ही, देश के मेहनतकश समुदाय व आम नागरिकों को हिंदू-मुस्लिम में बांट कर नफरत का कारोबार कर रही है.

प्रदर्शन के बाद आयोजित सभा को संबोधित करते हुए संघ की अध्यक्ष और स्कीम वर्कर्स की राष्ट्रीय संयोजक शशि यादव ने कहा कि आशा व आशा फैसिलिटेटर्स दिन-रात काम करेंगी और उनका परिवार इस भीषण मंहगाई में तंगहाली में रहेगा, ऐसा नही होगा. बिहार सरकार को ‘पारितोषिक’ को बदल कर ‘मासिक मानदेय’ करना होगा और 1000 रूपये के बजाए सम्मानजनक मानदेय देना होगा.

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने आशा सहित देश के सभी स्कीम वर्करों के साथ विश्वासघात किया है, वे इस विश्वासघात के खिलाफ लड़ रहे हैं और मोदी सरकार को जरूर सबक सिखाएंगे. बिहार सरकार को भी मोदी सरकार के खिलाफ सिर्फ गाल बजाने के बजाए आशाओं के साथ किया वादा पूरा करना होगा और अन्य राज्यों जैसे – केरल, त्रिपुरा, आंध्र, कर्नाटक, तेलांगना, राजस्थान व बंगाल की तरह बिहार की आशा को भी नियत मासिक मानदेय देना होगा. आशा की सेवा और मेहनत के बल पर ही राज्य के ग्रामीण अस्पताल और स्वास्थ्य अभियान चल रहे हैं. अगर हमारी मांगों को विधानसभा के बजट सत्रा में पूरा नही किया गया तो अप्रैल महीने के किसी भी दिन से आशा व आशा फैसिलिटेटर्स सामूहिक अवकाश-हड़ताल पर चली जायेंगी.

बिहार विद्यालय रसोइया संघ की महासचिव सरोज चौबे, ऐक्टू राज्य सचिव रणविजय कुमार, राज्य उपाध्यक्ष एसके शर्मा, नेता जितेंद्र कुमार, मुर्तजा अली, महासंघ (गोप गुट) के नेता कृष्णनंदन सिंह व सुदिष्ट नारायण झा, आदि ने भी सभा को संबोधित करउअपनी एकजुटता जाहिर की.

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