वर्ष - 32
अंक - 13
25-03-2023

एक लंबे अंतराल के बाद विगत 22 मार्च 2023 को डुमरांव नगर के कलावती लाॅज सभागार में ऐपवा का बक्सर जिला सम्मेलन आयोजित हुआ. सम्मेलन का उद्घाटन ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव कामरेड मीना तिवारी ने किया. सम्मेलन की शुरुआत सभी प्रतिनिधियों व अन्य नेताओं द्वारा सावित्रीबाई  फुले और फातिमा शेख के चित्र पर पुष्पांजलि के साथ हुई.

सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए मीना तिवारी ने कहा कि ऐपवा ने महिलाओं के हक व सम्मान की अनेक लड़ाईयां लड़ी हैं और सरकारों और महिला विरोधी ताकतों को झुकाने का काम किया है. उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की नीतियों व निर्णयों की वजह से बढ़ती महंगाई के चलते घर चलाना मुश्किल हो गया है. रसोई गैस के हर रोज बढ़ रहे दाम ने अलग कहर बरपा रखा है. आज के समय में काम की खोज में आजकल महिलाएं गांव शहर से बाहर निकल रही है आज के समय में हर परिवार से महिलाएं घर से बाहर निकलने लगी हैं, लेकिन उनको हजार-दो हजार रूपये की नौकरी मिलनी भी मुश्किल हो गई है. 

उन्होंने कहा कि देश की आजादी की लड़ाई में सभी को समान अवसर और बराबरी का हक दिलाने की सोची गई थी. लेकिन आजादी मिलने के इतने दिनों बाद आज के समय में भी ऐसा माहौल नहीं बन पाया है और देश में मोदी सरकार के आने के बाद तो स्थिति और भी बदतर हो चली है. पहले जो शोषण जमींदार द्वारा किया जाता है, वह काम आज सरकार खुद ही करने लगी है. गरीबों का शोषण करके बड़े पूंजीपतियों का खजाना भरा जा रहा है. सरकारी स्कूलों की पढ़ाई को खत्म हो रही है और काॅलेज की पढ़ाई को दिन-ब-दिन महंगी होती जा रही है. उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार लड़कियों की पढ़ाई को मुफ्त क्यों नही कर रही है?

ऐपवा की राज्य सह सचिव इन्दु देवी ने कहा कि महिलाओं को रोजगार के दिशा में जाने की जरूरत है. सरकारों ने महिलाओं को कर्ज की जाल में उलझा रखा है, जबकि महिलाओं के लिए कुटीर उद्योग के व्यवस्था करने की जरूरत है. महिलाओं पर हुई अत्याचार और इसे बढ़ावा देने वाली फासीवादी ताकतों का विरोध करते हुए तथा महिलाओं के हक-अधिकार की आवाज को उठाते हुए सड़क पर उतरने की जरूरत है.

महिला नेता पूनम कुमारी ने कहा कि अब महिलाओं को आगे बढ़ना होगा और मान-सम्मान और इज्जत हासिल करना होगा. औरत आवाज उफंची कर बात करने से ‘कलंकिनी’ नहीं हो सकती है. समाज में बेटियों के साथ हुए अन्याय व अत्याचार को सहने की जरूरत नहीं है, बल्कि उस अत्याचार के खिलाफ लड़ने की जरूरत है.

जिला सम्मेलन में महिला आजादी, बराबरी व दावेदारी बढ़ाने तथा गरीब दलित मुस्लिम महिलाओं पर अत्याचार, दहेज प्रथा, महंगाई और महिला श्रम के शोषण का विरोध करने की रणनीति पर चर्चा हुई.

अंत में जिला सम्मेलन में 45 सदस्यीय जिला कमिटी चुनी गई जिसमें रेखा देवी को अध्यक्ष, संध्या पाल को सचिव, गीता देवी, सुशीला देवी, बुधिया देवी को उपाध्यक्ष और शैल देवी, पूजा व रूबी शर्मा को सह सचिव चुना गया.

सम्मेलन का समापन महिला मार्च के साथ किया गया जो नगर के मुख्य मार्ग से होते हुए गुजरा. 

सम्मेलन व महिला मार्च के प्रस्ताव व प्रमुख मांगें

  • 1. बिहार में विधवा पेंशन व वृद्धावस्था पेंशन 3000 रूपये करना होगा!

  • 2. रसोई गैस की कीमत 500 रू. प्रति सिलिंडर निर्धारित करो!

  • 3. मनरेगा से महिलाओं को बाहर करने की साजिश बंद करो!

  • 4. मनरेगा में महिलाओं को 200 दिन काम और 600 रू. दैनिक मजदूरी दो!

  • 5. सभी स्वयं सहायता समूह के रोजगार की गारंटी करनी होगी!

  • 6. सभी मानदेय और स्कीम वर्करों को स्थाई करो!

  • 7. बलात्कार व दहेज उत्पीड़न की घटनाओं पर रोक लगाओ!