वर्ष - 32
अंक - 16
15-04-2023

मजदूर अधिकारों पर बढ़ते फासीवादी हमले के खिलाफ विगत 4 अप्रैल 2023 (मंगलवार) को ऐक्टू के आह्वाान पर सैकडों महिला-पुरुष मजदूरों ने मुख्यमंत्री के समक्ष विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शन में शामिल होने के लिए राज्य के विभिन्न जिलों से असंगठित क्षेत्र के निर्माण आदि विभिन्न तबकों के सैकड़ों मजदूर सुबह से ही स्थानीय गेट पब्लिक लाइब्रेरी के पास इकट्ठा होते रहे. मजदूर विरोधी लेबर कोड कानून रद्द करो, संविधान-लोकतंत्र पर हमला बंद करो, साम्प्रदायिक उन्माद-उत्पात पर रोक लगाओ, फासीवाद हो बर्बाद, न्यूनतम मजदूरी की लूट बंद करो, समाजिक सुरक्षा की गारंटी करो, निकाय सहित सभी दैनिक कर्मियों को नियमित करो, आशा-रसोइया सहित सभी स्कीम वर्करों को न्यूनतम मजदूरी दो, निर्माण सहित सभी असंगठित मजदूरों के कल्याण बोर्ड को कारगर बनाओ, देय सामाजिक सुरक्षा लाभ में व्याप्त भ्रष्टाचार पर रोक लगाओ आदि नारों-मांगों को बुलन्द करते हुए मजदूरों ने गेट पब्लिक लाइब्रेरी के पास से झंडे-बैनर व मांग पट्टिकाओं से सुसज्जित जुलूस-प्रदर्शन निकाला.

जुलुस-प्रदर्शन का नेतृत्व ऐक्टू के राज्य अध्यक्ष श्यामलाल प्रसाद, महासचिव आरएन ठाकुर, एआईसीडब्ल्यूएफ के राष्ट्रीय महासचिव एसके शर्मा, ऐक्टू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शशि यादव व सरोज चौवे, राज्य सचिव मुकेश मुक्त व सुरेन्द्र प्रसाद सिंह, ट्रेड यूनियन नेता राजकुमार (पप्पू) शर्मा व जितेंद्र कुमार ने की. गर्दनीबाग थाना के पास पहुंच कर मजदूरों का प्रदर्शन सभा में तब्दील हो गया. सभा की अध्यक्षता ऐक्टू के राज्य अध्यक्ष श्यामलाल प्रसाद ने की जबकि संचालन राज्य सचिव मुकेश मुक्त ने.

ऐक्टू राज्य महासचिव आरएन ठाकुर ने प्रदर्शन-सभा को संबोधित करते हुए 10 सूत्री मांगों की विस्तृत चर्चा की. सामाजिक सुरक्षा की गारंटी व लेबर कोड कानून की प्रस्तावित नियमावली को रद्द करने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र की फासीवादी मोदी सरकार ने मजदूर विरोधी-मालिकपरस्त लेबर कोड कानून बनाकर मजदूरों को अधिकारहीनता की भयंकर आग में झोंक दिया है. चार लेबर कोड मजदूरों की गुलामी का दस्तावेज है. न्यूनतम मजदूरी को खत्म कर उसका आधा ‘फ्लोर लेवल’ मजदूरी लागू किया जा रहा है. सामाजिक सुरक्षा की सभी योजनाओं में उलटफेर-कटौती कर मजदूरों को जाल में फंसा कर तंग-तबाह किया जा रहा है.

एआईसीडब्ल्यूएफ के राष्ट्रीय महासचिव व ऐक्टू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एसके शर्मा ने कहा कि महंगाई-बेरोजगारी बढ़ाकर मजदूरों की बदहाली बढ़ाई जा रही है. इस भयावह स्थिति का मुकाबला करने के लिए मजदूरों की व्यापक एकजुटता कायम करनी होगी व धारावाहिक जुझारु आंदोलनों के साथ-साथ राजनीतिक गोलबंदी बढ़ानी होगी.

प्रदर्शन-सभा में पंहुचे भाकपा-माले विधायक दल के उपनेता व केंद्रीय कमिटी सदस्य सत्यदेव राम ने मजदूरों के साथ एकजुटता जाहिर करते हुए मागों का समर्थन किया. उन्होंने प्रदर्शन को सम्बोधित करते हुए कहा कि निर्माण मजदूर, आशा कार्यकर्ता, रसोइया आदि सभी असंगठित मजदूरों को बड़ी एकता बनानी चाहिए. उन्होंने कहा कि मजदूरों की सभी मांगों को जोरदार तरीके से सरकार के समक्ष उठाएंगे.

सभा को आशा कार्यकर्ता संघ के महासचिव व भाकपा(माले) पोलित ब्यूरो की सदस्य शशि यादव, बिहार राज्य विद्यालय रसोईया संघ के राज्य महासचिव व भाकपा(माले) केंद्रीय कमिटी की सदस्य सरोज चौबे, असंगठित कामगार महासंघ के राज्य महासचिव मुकेश मुक्त, बिहार राज्य निर्माण मजदूर यूनियन के राज्य सचिव सुरेन्द्र प्रसाद सिंह, बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ - गोपगुट के राज्य महासचिव प्रेमचंद सिन्हा, विभिन्न जिलों के ऐक्टू नेता रामचंद्र दास (मधेपुरा), शिवशंकर प्रसाद (जहानाबाद), मुकेश कुमार (सहरसा), पुरुषोत्तम प्रसाद सिंह (सारण), राजकुमार (पप्पु) शर्मा (पटना), जवाहर प्रसाद (बेतिया), रामचंद्र दास (बांका), मनोज कुमार यादव व अशोक राय (मुजफ्फरपुर),  विष्णुदेव यादव, भाग्यनारायण चौधरी व रजेश कुमार (मोतिहारी), संगीता देवी (वैशाली), विष्णु कुमार मंडल (भागलपुर), मकसूदन शर्मा (नालंदा), रामलाल दास (समस्तीपुर), बालमुकुंद चौधरी (भोजपुर), अशोक सिंह (रोहतास) आदि ने भी संबोधित किया.

अंत मे ऐक्टू की ओर से एक प्रतिनिधिमंडल ने नियुक्त मजिस्ट्रेट के माध्यम से मुख्यमंत्री को एक 10 सूत्री मांगपत्र सौंप कर उस पर शीघ्र कार्रवाई की मांग की. प्रतिनिधिमंडल में ऐक्टू के राज्य अध्यक्ष श्यामलाल प्रसाद, राज्य महासचिव आरएन ठाकुर, राज्य सचिव एसके शर्मा, असंगठित कामगार महासंघ के राज्य महासचिव मुकेश मुक्त, ऐक्टू के राज्य सचिव सुरेन्द्र प्रसाद सिंह व राज्य उपाध्यक्ष सरोज चौबे शामिल रहे. राज्य अध्यक्ष श्यामलाल प्रसाद के धन्यवाद ज्ञापन के साथ प्रदर्शन समाप्त हुआ.


निराशाजनक है नई शिक्षक नियोजन नियमावली

भाकपा(माले) राज्य सचिव कुणाल ने नई शिक्षक नियमावली 2023 को सातवें चरण के शिक्षक बहाली के अभ्यर्थियों और वर्षा से बिहार सरकार में अपनी सेवा दे रहे नियोजित शिक्षकों के लिए निराशाजनक बताया है. उन्होंने कहा कि सातवें चरण के शिक्षक अभ्यर्थियों को इस प्रक्रिया से मुक्त रखा जाना चाहिए और उन्हें पुराने तरीके से नियोजित किया जाना चाहिए. सातवें चरण के शिक्षक अभ्यर्थी तो उम्मीद कर रहे थे कि सरकार उनके लिए नोटिफिकेशन जारी करेगी, लेकिन अब वह एक और परीक्षा की बात कर रही है जो उन अभ्यर्थियों से विश्वासघात है.

वदित हो कि सरकार ने 2019 में एसटीईटी परीक्षा को एक प्रतियोगी परीक्षा के बतौर आयोजित किया था, लेकिन बाद में वह उसे महज पात्रता परीक्षा कहने लगी. इसके कारण सातवें चरण के शिक्षक अभ्यर्थियों में पहले से ही काफी आक्रोश है. इस बीच सीटीईटी, एसटीईटी,और बीटीईटी की और परीक्षाएं भी ली गई हैं.

का. कुणाल ने कहा कि नई शिक्षक नियमावली 2023 में बीपीएससी द्वारा परीक्षा लेने और शिक्षकों को सरकारी कर्मी का दर्जा दिए जाने का प्रावधान है. शिक्षकों को सरकारी कर्मी का दर्जा दिये जाने का निर्णय तो अच्छा है, लेकिन विगत कई वर्षों से स्कूलों में कार्यरत नियोजित शिक्षकों पर भी इसे लागू कर देना कहीं से जायज नहीं है. नियमावली में यह प्रावधान है कि सरकारी कर्मी का दर्जा हासिल करने के लिए नियोजित शिक्षकों को भी यह परीक्षा पास करनी होगी.

बीपीएससी से परीक्षा लेने के बाद भी शिक्षकों को नियमित शिक्षक की भांति वेतनमान और सेवा शर्त की व्यवस्था देने का मामला स्पष्ट नहीं है. उन्होंने कि नियोजित शिक्षकों के पूर्ण समायोजन के साथ पुराने शिक्षकों की भांति सेवा शर्त और वेतनमान देने की मांग की है.


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