वर्ष - 32
अंक - 16
15-04-2023

पुलिस जुल्म के खिलाफ भाकपा(माले) आहूत गिरीडीह जिला बंद के दौरान 4 अप्रैल 2002 को पुलिस की गोली से शहीद कामरेड लालधन महतो के 21वें शहादत दिवस के अवसर पर बगोदर में जन संकल्प सभा का आयोजन किया. बगोदर के पूर्वी जोन के भंडार टोला स्थित बिरसा मुंडा विद्यालय परिसर में आयोजित संकल्प सभा से पूर्व जीटी रोड, घंघरी स्थित शहीद कामरेड लालधन महतो की आदमकद प्रतिमा पर शहीद लालधन महतो की पत्नी और पार्टी प्रखण्ड कमिटी सदस्य व पंचायत समिति सदस्य हेमिया देवी, भाकपा(माले) विधायक विनोद कुमार सिंह, भाकपा(माले) राज्य कमिटी सदस्य परमेश्वर महतो, पुरन महतो, पूनम महतो, गजेंद्र महतो, इनौस नेता संदीप जायसवाल, मुश्ताक अंसारी, हरेंद्र कुमार सिंह, प्रदीप महतो, भुनेश्वर महतो, पूर्व जिला परिषद सदस्य सरिता महतो, खगिया देवी, भोला महतो, रज्जाक अंसारी, कुमोद यादव आदि समेत कई अन्य नेताओं, गणमान्य लोगों तथा ग्रामीणों के द्वारा माल्यार्पण किया गया और उनके अधूरे सपनों को पूरा करने के संकल्प के साथ उनकी स्मृति में दो मिनट का मौन रखा गया. उसके बाद जीटी रोड घंघरी से लेकर बेको भंडार टोला तक जुलूस निकाला गया जिसमें सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल हुए.

जन संकल्प सभा को संबोधित करते का. विनोद कुमार सिंह ने कहा कि देश की आजादी के 75वें साल में हम सभी शहीदों को याद कर रहे हैं. अभी हाल ही में हमने शहीद भगत सिंह, जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष व आइसा नेता चंद्रशेखर, दिवंगत नेता डोमन महतो और तिलकधारी राय को याद किया और आज 21 साल पहले पुलिस जुल्म के खिलाफ लड़ते हुए शहीद हुए का. लालधन महतो जो शिक्षक व भाकपा(माले) नेता थे, की की स्मृति में एकजुट हुए हैं और उनके अधूरे सपनों को पूरा करने का संकल्प ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि जन विरोधी रघुवर-भाजपा सरकार की झारखंड विरोधी व रोजगार विरोधी नीतियों की वजह से उन्हें सत्ता से बेदखल होना पड़ा, पर वर्तमान झारखंड सरकार की नीतियों से भी नौजवान निराश हैं.

मौजूदा हेमंत सोरेन की सरकार जहां एक ओर प्रवासी श्रमिक, यूनिवर्सल पेंशन, किशोरी  समृद्ध योजना, राशन कार्ड के क्षेत्र में बेहतर प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी ओर नियोजन और नियुक्ति के क्षेत्र में नतीजा सिफर रहा है. बचे हुए समय में यदि सरकार नियुक्तियों के मसले पर त्वरित उपाय नही कर पायी, तो युवाओं की निराशा व आक्रोश अन्य कार्यां पर भी भारी पड़ेगा.

उन्होंने बताया कि झारखंड विधानसभा ने 1932 के खतियान आधारित स्थानीय/नियोजन नीति तथा दलितों,आदिवासियों व पिछड़ों के आरक्षण के दायरे को बढ़ाने का प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार व संसद को भेजा है, पर केंद्र की भाजपा सरकार उसकी मंजूरी रोके हुए है. झारखंड से भाजपा के बारह सांसद हैं लेकिन वे लोकसभा में 1932 खतियान आधारित स्थानीयता व आरक्षण के दायरे को बढ़ाने के सवाल पर चुप्पी क्यों साधे हुए हैं. इस पर सवाल उठना चाहिए. इधर झारखंड विधानसभा से 1932 खतियान आधारित स्थानीयता का प्रस्ताव पारित होता है और उधर देश के गृह मंत्री अमित शाह चाईबासा में आकर कहते हैं कि 1932 खतियान आधारित स्थानीयता नीति झारखंड में नही बन सकती है और हालिया सम्पन्न विधानसभा सत्र में भाजपाई विधायक उक्त नीति के पक्ष में होने का स्वांग रचते हैं. हमें इस अवसर पर भाजपा के इस दोहरे चरित्र को बेनकाब करने का संकल्प लेना चाहिए.

उन्होंने कहा कि आज देश की बेशकीमती संसाधनों को अडानियों को सौंपा जा रहा है. गांव से लेकर शहर तक ऊर्जा मित्रों, कृषि मित्रों, रसोईया, सहिया दीदी, जल सहिया जैसे अनेक अनुबंध कर्मियों की फौज खड़ी की जा रही है, पर उनके वेतन, मानदेय व अन्य जरूरी सुविधाएं गायब हैं. यह मानव अधिकारों का घोर उल्लंघन है. उन्होंने जनविरोधी-रोजगार विरोधी सरकारों के खिलाफ मुक्कमल मोर्चाबंदी के आम लोगों को गोलबंद करने की अपील की. जन संकल्प सभा को भाकपा(माले) राज्य कमिटी सदस्य पूनम महतो, परमेश्वर महतो, पूरन महतो, इनौस प्रदेश अध्यक्ष संदीप जायसवाल, गजेंद्र महतो, पूरन कुमार महतो, बगोदर उप प्रमुख हरेंद्र कुमार सिंह आदि ने भी संबोधित किया.

जन संकल्प सभा का संचालन पोखरिया के मुखिया प्रदीप महतो व अध्यक्षता भुनेश्वर महतो ने किया. मौके पर तेजनारायण पासवान, मुखिया रामचंद्र यादव, अख्तर अंसारी, महेश कुमार महतो, लालजीत मरांडी, हिरामन प्रसाद, इसराईल अंसारी, लालमोहन महतो, प्रीतम साव, खिरोधर महतो, चंदन कुमार, रामचंद्र मंडल, राजू रजक, शम्भू कुमार महतो, अशोक प्रमाणिक, राजेन्द्र महतो, लाखो मिर्धा, त्रिलोकी महतो, कारूलाल महतो समेत सैकड़ो ग्रामीण महिलाएं, बच्चे, नौजवान व नागरिक उपस्थित थे.

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