वर्ष - 32
अंक - 19
06-05-2023
सांप्रदायिकता के जरिए आदिवासियों में फूट डालने की संघी कोशिश को नाकाम करो!
आदिवासी संघर्ष मोर्चा के आह्वान पर 6 मई 2023 को राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिवाद दिवस मनाएं!

आदिवासियों और उनके जीवन के अधिकार पर हमले तेज हो गए हैं. अभी पिछले महीने देश भर में आदिवासियों पर राज्य दमन और इसके खिलाफ आदिवासियों के प्रतिवाद की लहर चली है. महाराष्ट्र के पालघर जिले में, वड़ोदरा-मुंबई एक्सप्रेसवे के लिए आदिवासी परिवारों की पुश्तैनी जमीन और उनके घर छीन लिए गए. विरोध करने वाले आदिवासियों को विशाल पुलिस बल और भाजपा राज्य सरकार के क्रूर राज्य-दमन का सामना करना पड़ा. कुछ दिनों पहले, मणिपुर के चूरणचंदपुर में, आरक्षित वन क्षेत्रों से कुकी ग्रामीणों की बेदखली का विरोध कर रहे आदिवासियों को फिर से राज्य दमन का शिकार होना पड़ा. इसके अलावा, दक्षिण गुजरात में वापी से शामलाजी तक एनएच -56 को चौड़ा करने के नाम पर अपनी जमीन से बेदखली का आदिवासी विरोध कर रहे हैं. इस बीच, छत्तीसगढ़ में राज्य और माओवादियों के बीच जारी युद्ध के एक मामले में, दंतेवाड़ा में माओवादी हमले में 10 पुलिसकर्मियों और 1 नागरिक की जान चली गई. इस युद्ध में मोटे तौर पर आदिवासी नियमित रूप से इसके शिकार हो रहे हैं. पश्चिमी सिंहभूम के कई इलाकों में झारखंड के आदिवासी पुलिस और अर्धसैनिक बलों के अत्याचारों से पीड़ित हैं. शिकायतों के बावजूद राज्य और केंद्र सरकार दोषी जवानों और अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. आदिवासी संघर्ष मोर्चा की स्पष्ट समझ है कि काॅरपोरेट लूट और राजकीय दमन की नीतियों का विरोध करने के लिए सामूहिक राजनीतिक प्रतिरोध ही एक मात्र कारगर रास्ता है.

दूसरी ओर, आरएसएस अपने सांप्रदायिक एजेंडे का इस्तेमाल कर अन्य तबकों के साथ-साथ आदिवासी समुदायों में दरार डालने की अपनी खास साजिश में लगा हुआ है. छत्तीसगढ़ और असम में, आरएसएस से जुड़े संगठन धर्मांतरित आदिवासियों को एसटी सूची से बाहर करने की मांग पर अन्य आदिवासियों की गोलबंदी कर रहे हैं. वास्तव में छत्तीसगढ़ में धर्मांतरित आदिवासियों का आरएसएस से जुड़े संगठनों के जरिए उत्पीड़न जारी है. यह स्पष्ट है कि धर्मांतरण के नाम पर ईसाई समुदाय को निशाने पर लेकर पूरे आदिवासी समुदाय का हिंदूकरण आरएसएस की परियोजना का हिस्सा है. हमें इसका मुकाबला करना होगा.

इन स्थितियों के मद्देनजर आदिवासी संघर्ष मोर्चा 6 मई 2023 को बेदखली, काॅरपोरेट भूमि-लूट और राज्य दमन को समाप्त करने की मांग करते हुए विरोध दिवस मनाने का आह्वान करता है. साथ ही, आदिवासी संघर्ष मोर्चा यह भी अपील करता है कि आदिवासी समुदायों को विभाजित करने की आरएसएस की परियोजना को आदिवासी एकजुट होकर विफल कर दें.