वर्ष - 32
अंक - 25
17-06-2023

बिहार में आशा कार्यकर्ता व आशा फैसिलिटेटरों का 9 सूत्री मांगों पर 22 जून से आंदोलन और 12 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू होनेवाली है. 10 हजार प्रतिमाह मानदेय करने की मांग प्रमुख है. आशा संयुक्त संघर्ष मंच ने आंदोलन की घोषणा की है. बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ (गोप गुट) की अध्यक्ष शशि यादव, मुख्य संरक्षक रामबली प्रसाद, ऐक्टू के राष्ट्रीय सचिव रणविजय कुमार, बिहार राज्य आशा-आशा फैसिलिटेटर संघ की अध्यक्ष मीरा सिन्हा, विश्वनाथ सिंह, मोहम्मद लुकमान ने पिछले दिनों एक प्रेस वार्ता में यह घोषणा की.

संघ के नेताओं ने कहा कि बिहार की ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा की बुनियाद के रूप में करीब एक लाख आशा कार्यकर्ता व आशा फैसिलिटेटर 17 वर्षों से सेवा देती आ रही हैं. इनकी सेवाओं का ही परिणाम है कि आज बिहार में संस्थागत प्रसव के दौरान मातृ-शिशु मृत्यु दर में भारी कमी आई है. परिवार नियोजन से लेकर रोग निरोधी टीकाकरण तक के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर की उपलब्धियां हासिल हुई हैं. कोरोना महामारी के दौरान भी इन्होंने बड़ी सेवा की. लेकिन उनकी उक्त भूमिका और योगदान की अनदेखी करते हुए तथा लगातार आंदोलन करने के बावजूद केंद्र सरकार से लेकर बिहार सरकार तक उनकी बुनियादी मांगों को पूरा करने में टाल मटोल कर रही है.

सरकार के इस रवैया से राज्य की आशा में भारी असंतोष व्याप्त है और वे निर्णायक आंदोलन शुरू करने को बाध्य हैं.

उन्होंने आशा कार्यकताओं व फैसिलिटेटरों को राज्य निधि से 1000 रू. मासिक संबंधित सरकारी संकल्प में अंकित ‘पारितोषिक’ शब्द को बदलकर अन्य राज्यों की तरह ‘नियत मासिक मानदेय’ करने और इसे बढ़ाकर 10000 रू. करने की मांग की है.

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