वर्ष - 32
अंक - 29
15-07-2023

कामरेड गोपाल सिंह ऊर्फ गोपी जी, 55 वर्ष, (विशुनपुरा, बिहटा, पटना) अब हमारे बीच नहीं रहे. 13 जुलाई 2023 को दिल्ली में इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई. वे लीवर की गंभीर बीमारी से पीड़ित थे.

का. गोपाल सिंह ने 2002 में बिहटा-मनेर एरिया कमिटी से जुड़ कर पार्टी कार्यकर्ता के बतौर काम करना शुरू किया था. बहुत ही मिलनसार और हंसमुख प्रकृति के गोपी सहज ही कार्यकर्ताओं व जनता के बीच घुलमिल जाते थे. बिहटा-सरमेरा फोर लेन की गलत योजना के कारण बिहटा बाजार के कुछ मुहल्ले सहित खुद उनके गांव विशुनपुरा के उजड़ जाने का खतरा बन गया था. उन्होंने योजना में संशोधन के लिए लंबा आंदोलन चलाया और जीत हासिल की.

बालू माफियाओं द्वारा जेसीबी से बालू निकासी के कारण बड़ी संख्या में सोन नदी के बालू मजदूर बेरोजगार हो रहे थे. सोन नदी के बालू मजदूरों को संगठित करने और उनका अनेक जुझारू आंदोलन खड़ा करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उनके नेतृत्व में चले आंदोलन के दबाव में सरकार को दिन में जेसीबी से बालू निकासी पर रोक की नीति बनानी पड़ी. उनके नेतृत्व में चले आंदोलन के दबाव में सरकार को दिन में जेसीबी से बालू निकासी पर रोक की नीति बनानी पड़ी. उनके नेतृत्व में बाद में राज्य स्तर पर बालू मजदूरों को संगठित करने का प्रयास किया गया और बालू मजदूरों का राज्य स्तरीय संगठन खड़ा किया गया जिसके वे राज्य सचिव बनाए गए. उन्होंने किसान महासभा और ट्रेड यूनियन मोर्चे पर भी काम किया और पटना जिला के नेता के बतौर उभरकर सामने आए. उन्होंने मनेर विधान सभा क्षेत्र से भाकपा(माले) के उम्मीदवार के बतौर चुनाव भी लड़ा. बाद में इनकी पत्नी का. पूनम देवी भी पार्टी में सक्रिय हुईं और जिला पार्षद भी बनीं. का. गोपाल जी लगातार पार्टीकी पटना जिला कमिटी के सदस्य रहे. अस्वस्थता के कारण कुछ वर्षों से उन्हें जिला कमिटी से मुक्त कर दिया गया था.

वे कुशल अभिनेता व नर्तक भी थे. पटना में आयोजित भगत सिंह की जीवनी पर आधारित नाटक में उन्होंने भगत सिंह के पिता की भूमिका निभाई थी.उनके निधन से पार्टी ने एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी नेता को खो दिया है. चार भाइयों में सबसे बड़े गोपाल जी अपने पीछे पत्नी सहित चार बेटियों और एक पुत्र समेत भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं.