वर्ष - 32
अंक - 27
02-07-2023

1857 की क्रांति की महान वीरांगना लक्ष्मीबाई के शहादत दिवस के अवसर पर विगत 18 जून 2023 को पटना के आइएमए हॉल में ऐपवा की ओर से महिला अधिकार कन्वेंशन का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में पूरे राज्य से महिला कार्यकर्ताओं के साथ-साथ स्कूली छात्राओं की भी अच्छी-खासी संख्या ने हिस्सा लिया.

इस कन्वेंशन को मुख्य रूप से ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी, राष्ट्रीय सचिव शशि यादव, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरोज चौबे व प्रो. भारती एस कुमार, फुलवारीशरीफ विधायक गोपाल रविदास, ऐपवा नेत्री अफ्शा जबीं, माधुरी गुप्ता, आसमां खान, कहकशां परवीन, ममता, प्रतिभा, संगीता सिंह, शोभा मंडल, सावित्री देवी, संध्या पाल, जमीला खातून, लीला वर्मा, इंदू सिंह और आइसा की प्रीति कुमारी, पूनम कुमारी, सोनाक्षी कुमारी, स्वीटी, निधि कुमारी आदि ने संबोधित किया.

ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी ने लक्ष्मीबाई सहित 1857 की क्रांति की अन्य नायिकाओं – अजीजन बाई, मोहसिना, झलकारी बाई आदि के संघर्षों व शहादत को याद करते हुए कहा कि आज एक बार फिर से उसी तरह की लड़ाई की जरूरत है क्योंकि मोदी सरकार महिलाओं के साथ अंग्रेजों की ही तरह व्यवहार कर रही है.

उन्होंने कहा कि यह कैसी विडंबना है कि आजादी के 75 वर्षों में दुनिया में देश का नाम रौशन करने वाली महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़कों को मोदी सरकार बचाने में लगी हुई है. एक नाबालिग पहलवान को यौन उत्पीड़न का मामला वापस लेने के लिए धमकाया जा रहा है. पॉक्सो ऐक्ट लगा होने के बावजूद भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह लगातार खुलेआम रैलियां कर रहा है. हमें एक बार फिर इस स्थिति को बदलने का संकल्प लेना होगा और अपने अधिकारों के लिए लड़ाई को तेज करना होगा. देश की बेटियां लक्ष्मीबाई के संघर्षों से लड़ने की प्रेरणा लेती रहेंगी.

ऐपवा की राष्ट्रीय सचिव शशि यादव ने कहा कि मोदी शासन में आम महिलाएं रसोई गैस, महंगाई, आवास, दवा, पेंशन आदि की समस्याओं से जूझ रही हैं. मानदेय-स्कीम वर्कर्स को न तो सरकारी कर्मी का दर्जा दिया जा रहा है और न ही उचित मानदेय. दहेज प्रताड़ना, ऑनर किलिंग, बलात्कार, अश्लील वीडियो बनाकर लड़कियों का ब्लैकमेल, बाल विवाह आदि प्रवृतियां बढ़ती ही जा रही हैं. भाजपा पूरी तरह से महिला विरोधी पार्टी है. जब से केंद्र में भाजपा की सरकार आई है महिलाओं पर हमले में नई तेजी आई है.

प्रो. भारती एस कुमार ने कहा कि आजाद देश की भावनाओं के विपरीत आज महिलाओं के जीवन की समस्यायें बढ़ती ही जा रही हैं. मोदी सरकार द्वारा जो नई शिक्षा नीति लाई गई है वह उच्च शिक्षा के निजीकरण का दस्तावेज है. बेटियों को पढ़ाना गरीबों के लिए लगातार मुश्किल होता जा रहा है. एक तरह से गरीब-दलित वंचित समुदाय के बच्चे-बच्चियों को शिक्षा से बेदखल ही कर दिया गया है.

अन्य वक्ताओं ने कहा कि आज महिलाओं के बीच धार्मिक व सांप्रदायिक नफरत व विभाजन का जहर फैलाने की साजिशें लगातार जारी हैं. लेकिन रोजगार व अधिकार के प्रति हमारी सरकारें बेपरवाह हैं. इस स्थिति को बदलने का संकल्प आज हम सबको मिलकर लेना है.

कन्वेंशन का संचालन ऐपवा की राज्य सचिव अनीता सिंह ने किया.


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महिलाओं को निर्णायक लड़ाई लड़नी होगी

मुजफ्फरपुर में आयोजित ‘महिला अधिकार कन्वेंशन’ को संबोधित करती हुई ऐपवा के राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी ने कहा कि आजादी, न्याय व अधिकार के लिए अंग्रेजों के खिलाफ ऐतिहासिक जंग में शहीद लक्ष्मीबाई से देश की महिलाएं व बेटियां प्रेरणा लेती रहेंगी. न्याय व आजादी की साझी लड़ाई देश में आज भी जारी है. महिला पहलवानों के न्याय की लड़ाई के साथ देश की महिलाएं और बेटियां खड़ीं हैं. नये संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर उन महिला पहलवानों के साथ अंग्रेजी राज की तरह शर्मनाक पुलिसिया बर्बरता ढाई गई और बेटी बचाओ का बढ़-चढ़ कर नारा देने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र चुप्पी साध बैठे हैं.

विगत 17 जून 2023 को दिवान रोड स्थित किरणश्री भवन में संपन्न हुआ यह कन्वेंशन अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (येपवा) द्वारा आयोजित था. इस कन्वेंशन में मुफ्फरपुर, दरभंगा, समस्तीपुर और चंपारण से सैकड़ों महिला कार्यकर्ताओं और छात्राओं ने भाग लिया. इस अवसर पर अंग्रेजी राज के खिलाफ 1857 के विद्रोह में शहीद लक्ष्मीबाई सहित बेगम हजरत महल, उदा देवी, झलकारी बाई, जीनत महल, अजीजन बाई, सुंदर-मुंदर, मोहसिना, शाह देवी, मंजू, महावीरी देवी, आशा देवी, मैम कौर और जमीला जैसी अनगिनत गुमनाम महिला शहीदों को याद किया गया तथा तथा उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई.

कन्वेंशन को संबोधित करती हुई ऐपवा महासचिव ने आगे कहा कि अंग्रेजी राज से आजादी के लिए हर धर्म और हर तबके की महिलाएं – रानियां, दासियां, तवायफें, अतिपिछड़े व दलित समुदाय की किसान-मजदूर महिलाएं, युवा लड़कियां, नई  बहुएं – सब की सब आंदोलन में कूद पड़ी थीं. आज भी आजादी के 75 वर्षों के बाद सभी महिलाओं को न्याय, आजादी ,अधिकार और रोजी-रोटी के लिए संघर्ष में कूद पड़ना है. आज महिलाओं के बीच भी धार्मिक-सांप्रदायिक उन्माद, विभाजन, नफरत और हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर जहर फैलाने की साजिश जारी है. लेकिन उनके रोजगार व अधिकार के प्रति सरकार बेपरवाह बनीं हुई हैं.

महिला कन्वेंशन को समस्तीपुर से आईं महिला नेत्री वंदना सिंह व मनीषा, दरभंगा की रानी सिंह और शनीचरी देवी, मुजफ्फरपुर की शारदा देवी, रानी प्रसाद, प्रो मीरा ठाकुर, शर्मिला देवी,व गायघाट से जिला पार्षद विजनेश यादव, रसोइया नेत्री अनारसी देवी, शबनम खातुन, चंद्रकला देवी, प्रमिला देवी, निर्मला सिंह व शंकर देवी, आंगनबाड़ी सेविका चिंता देवी और छात्राओं प्रियंका, अनुराधा, मनीषा, मुस्कान, स्नेहा सहित अन्य लोगों ने भी संबोधित किया.

उन्होंने कहा कि आजाद देश की भावनाओं के विपरीत आज महिलाओं के जीवन की समस्याएं बढ़ती ही जा रहीं हैं. शिक्षा महंगी होती जा रहीं हैं. महंगाई और बेरोजगारी की मार की शिकार सबसे ज्यादा महिलाएं हो रहीं हैं. मानदेय-स्कीम वर्कर्स-रसोइया को न तो सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जा रहा है और ही उचित मानदेय. आजादी के 75वें वर्ष में भी न्याय, आजादी व अधिकार के लिए महिलाओं को आरपार की लड़ाई लड़नी होगी.