वर्ष - 32
अंक - 34
19-08-2023
ऐपवा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक पटना में संपन्न

16-17 अगस्त, 2023 को पटना में संपन्न हुई ऐपवा (अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन) राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो-दिवसीय बैठक से आगामी 30 सितंबर-1 अक्टूबर 2023 को नई दिल्ली में ऐपवा का 9 वां राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने का फैसला किया गया.

बैठक की समाप्ति के बाद पटना में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए ऐपवा की राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. रति राव ने कहा कि हमारा सम्मेलन महिलाओं पर बढ़ते फासीवादी शिकंजे के खिलाफ सावित्रीबाई फुले व फातिमा शेख की इंकलाबी विरासत को आगे बढ़ाते हुए पूरे देश में न्याय व बराबरी के हक में महिलाओं की व्यापक एकजुटता कायम करने के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है. वहीं, ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी ने कहा कि मोदी सरकार की दमनकरी नीतियों की सर्वाधिक मार महिलाओं पर ही पड़ रही है. सांप्रदायिक हिंसा की राजनीति का वे शिकार भी हो रही हैं और उन्हें मुहरा भी बनाया जा रहा है. मणिपुर में विगत 100 दिनों से जारी हिंसा में हम सबने देखा है कि किस प्रकार महिलाओं के शरीर का इस्तेमाल सांप्रदायिक राजनीति को बढ़ाने में किया जा रहा है. इसके पहले महिला पहलवानों के आंदोलन के दौरान भी हम सत्ता व भाजपा के असली चरित्र को देख चुके हैं. संवाददाता सम्मेलन में प्रो. सुधा चौधरी (राजस्थान), प्रतिमा इंग्पी (असम) और गीता मंडल (झारखंड) भी उपस्थित थीं.

ऐपवा नेताओं ने कहा कि सांप्रदायिक उन्माद की लड़ाई में महिलाओं पर होने वाली हिंसा का राजनीतिक संरक्षण बंद होना चाहिए तथा सभी प्रकार के पर्सनल लाॅ और स्पेशल मैरिज एक्ट में महिलाओं के लिए न्याय व बराबरी का सुधार होना चाहिए.

उन्होंने महिला आरक्षण बिल पारित करने और वंचित व अल्पसंख्यक वर्ग की महिलाओं को विशेष प्रतिनिधित्व देने की मांग की. ऐपवा नेताओं ने स्नातक तक लड़कियों की शिक्षा मुफ्त करने और महिलाओं के लिए सामाजिक सुरक्षा पेंशन का इंतजाम करने; स्कीम वर्करों का स्थायीकरण करने और स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के लिए रोजगार का प्रबंध करने तथा रसोई गैस की कीमत 500 रु. तय करने की मांग की. कहा कि मोदी राज में रसोई गैस की बढ़ती कीमतों ने लोगों की कमर तोड़ दी है.

उन्होंने धार्मिक प्रवचकों-बाबाओं का राजनीति में हस्तक्षेप बंद करने की पुरजोर मांग करते हुए कहा कि भाजपा शासन आजाद भारत का सबसे खौफनाक शासन है. बिलकीस बानो के बलात्कारियों को संस्कारी बताकर रिहा करना, लेव जेहाद का झूठा प्रचार, मनुस्मृति को वैधानिकता प्रदान करना आदि के जरिए महिला विरोधी कानूनों को जायज बताने की साजिश चल रही है.

मणिपुर दौरे में शामिल रहे ऐपवा की नेता: विगत दिनों मणिपुर पहुंची एक जांच टीम में ऐपवा की नेता प्रतिमा इंग्हपी, कृष्णा वेणी (तमिलनाडु) और सुचेता डे (दिल्ली) शामिल रहे. यह टीम जल्द ही वहां की रिपोर्ट पेश करेगी.

महिला अधिकारों पर गांव-गांव चल रहा अभियान: मोदी राज में महिलाओं पर लगातार बढ़ते हमले, हिंसा, बलात्कार, रसोई गैस के बढ़ते दाम आदि के खिलाफ ऐपवा की ओर से पूरे देश में गांव-गांव बैठकें आयोजित की जा रही हैं. बिहार में राष्ट्रीय सम्मेलन के पहले 2 लाख सदस्यता का लक्ष्य रखा गया है. वहीं, झारखंड में एक लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य है.

राष्ट्रीय सम्मेलन में लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए चलने वाले आंदोलनों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाएगा. मुख्य रूप से शाहीन बाग आंदोलन, महिला पहलवानों और स्कीम वर्कर्स आंदोलन की नेताओं समेत कई चर्चित महिलाओं के शामिल होने की संभावना है.

ऐपवा नेताओं ने बताया कि बिहार में आशाकर्मियों ने ऐतिहासिक आंदोलन किया और जीत हासिल की. उस आंदोलन में ऐपवा का लगातार समर्थन बना रहा. बिहार सरकार सभी आशाकर्मियों को मासिक 2500 रु. मासिक मानदेय को तैयार हुई है. आशा-रसाइेया व अन्य स्कीम वर्कर्स के चल रहे आंदोलन के प्रति ऐपवा मजबूती से अपनी एकजुटता जाहिर करती है.