वर्ष - 32
अंक - 39
23-09-2023

भाकपा(माले) के तीन सदस्यीय जांच दल ने विगत 17 सितंबर को कौशांबी जिले में संदीपन घाट थानाक्षेत्र के मोहद्दीनपुर गौस गांव का दौरा किया. इस गांव के पंडा चौराहा के निकट रहने वाले एक दलित (पासी जाति)  परिवार के तीन वयस्कों और एक अजन्मे बच्चे सहित चार व्यक्तियों की बीते 15 सितंबर की अहले सुबह बेरहमी से गोली मारकर हत्या कर दी गई, जब वे सो रहे थे. मृतकों में होरीलाल, उनका दामाद शिवशरण, बेटी बृजकली व उसके आठ माह के गर्भ का बच्चा शामिल हैं.

भाकपा(माले) की राज्य समिति के सदस्य व प्रयागराज के जिला प्रभारी सुनील मौर्य के नेतृत्व में गए जांच दल नेें जिसमें ऐक्टू से संबद्ध सफाई मजदूर एकता मंच के जिला सचिव संतोष कुमार और ऐक्टू राज्य कमेटी सदस्य व आशा वर्कर्स यूनियन के सुभाष कुशवाहा शामिल थे, घटनास्थल पहुंच कर पीड़ित परिवार के शेष सदस्यों से तिलकर शोक संवेदना व्यक्त की. अगले दिन जांच रिपोर्ट जारी की गई.

मृतक होरीलाल के दूसरे दामाद विषई ने जांच दल को हत्या की जगह दिखाई. यहां घर के नाम पर पाॅलिथीन से छाया हुआ छोटा-सा मड़हा (झोपड़ी नुमा घर) था, जिसमें रहकर मृतक व परिजन अपना गुजारा कर रहे थे. उन्होंने बताया कि हत्या के पीछे मुख्य वजह जमीन थी. बगल में रहने वाली बड़ी जातियों को यह बर्दाश्त नहीं था और वे नहीं चाहते थे कि पासी जाति के लोग यहां आकर रहें. हत्यारोपी यादव व चौहान जाति से आते हैं जो अपने आप को क्षत्रिय (ठाकुर) जाति से जोड़ते हैं.

मृतक होरीलाल की बड़ी बेटी ने बताया कि यह सरकारी जमीन है जिस पर हमारे परिवार के लोगों ने एक दशक से भी ज्यादा समय पहले पट्टा करवाया था. जिन लोगों ने हत्या की है, वे बिना पट्टे के ही पांच-पांच और छह-छह बीघे जमीन पर अवैध कब्जा कर रह रहे हैं. उनको यहां के भाजपा सांसद व अन्य कई प्रभावशाली लोगों का संरक्षण प्राप्त है. इसके चलते ही अपराधियों का मनोबल बढ़ा.

कक्षा सात में पढ़ने वाली होरीलाल की नातिन प्रतिमा ने जांच दल को बताया कि मेरी बुआ, फूफा और बाबा की हत्या करने वाले लोग हत्या करने के बाद भी आसपास ही रह रहे थे, लेकिन पुलिस प्रशासन उनको गिरफ्तार करने के बजाय उनको संरक्षण देने में लगा रहा. ऐसा लगता है कि वे हत्यारों को गिरफ्तार नहीं करना चाहते थे.

होरीलाल की पत्नी ने बताया कि बिटिया, दामाद व पति के पोस्टमार्टम के बाद उनकी लाश को प्रशासन ने घर वापस नहीं लाने दिया. प्रशासन ने जेसीबी से खुदवाकर गंगा किनारे लाश को खुद ही दफना दिया. घर के तमाम लोग मृतकों का मुंह भी नहीं देख पाए.

घटनास्थल के आसपास कई घर जले हुए दिखाई दिए जिसमें सामान वगैरह जले हुए मिले. पीड़ित परिवार का दावा है कि हत्याकांड से पूर्व अपने बचाव में ही हत्या करने वालों ने अपने घरों में आग लगा दी ताकि वे उल्टा केस बना सकें. दूसरी तरफ, प्रशासन की तरफ से घटना से गुस्साई भीड़ के द्वारा आग लगाने की बात सामने आ रही है.

हत्या की इस घटना से पहले भी, अलग-अलग मसलों पर दोनों पक्षों में विवाद चल रहा था. जमीन पर कब्जे को लेकर प्रशासन स्पष्ट रूख नहीं अख्तियार कर रहा था, जिसके चलते ये हत्याएं हुईं. अगर सही समय पर पूरे मामले को ठीक तरीके से हल कर दिया जाता, तो यह सामूहिक हत्याकांड नहीं होता.

इतनी बड़ी घटना के बावजूद भी सरकार का कोई मंत्री पीड़ित परिवार का हाल लेने नहीं पहुंचा, जबकि घटनास्थल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के क्षेत्र में है.

हत्याकांड की एफआईआर में गुडडु यादव पुत्र राममिलन, अमर सिंह पुत्र गुल्ता ऊर्फ शिवप्रसाद, अमित सिंह पुत्र सुग्रीव, अरविन्द सिंह पुत्र रोशनलाल, अनुज सिंह पुत्र सुग्रीव, राजेन्द्र सिंह, सुरेश और अजीत पुत्र राम खेलावन के नाम दर्ज हैं. दो आरोपी गिरफ्तार हुए हैं.

जांच दल ने कहा कि योगी सरकार में कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है. अपनी जमीन पर भी रहने के लिए दलितों को जान गंवानी पड़ रही है. दबंग अपराधी बेखौफ होकर हत्या कर रहे हैं और पुलिस प्रशासन सत्ता के दबाव में मूकदर्शक बना हुआ है. कौशांबी में हुई चार लोगों की हत्या एक बानगी भर है. जांच दल ने हत्या में शामिल सभी अपराधियों को शीघ्र गिरफ्तार करने की मांग की. इसके अलावा, पीड़ित परिवार को एक करोड़ रु मुआवजा व पुनर्वास, उसके दो सदस्यों को सरकारी नौकरी, लापरवाही बरतने वाले प्रशासन व पुलिस के अधिकारियों को दंड, अपराधियों को सत्ता का संरक्षण देना बंद करने और पट्टे की जमीन पर गरीबों का कब्जा दिलाने की मांग की.

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