वर्ष - 28
अंक - 40
21-09-2019

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद काम में वापस नहीं लिए जाने के खिलाफ ग्रेफाइट माइंस के सैकड़ों मजदूर राजभवन के सामने विगत 5 सितंबर से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं. सरकारी अधिकारियों द्वारा अब तक कोई कार्रवाई नहीं करने पर माइंस मजदूरों ने आक्रोशित होकर इच्छामृत्यु के अधिकार की मांग की है. सोकड़ा ग्रेफाइट के मजदूर लंबे समय से आंदोलनरत हैं. 1984 में 455 मजदूरों को माइंस मालिक ने कम्पनी को दिवालिया बताकर छंटनी कर दिया था. मजदूरों के पक्ष में झारखंड हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट ने भी आदेश दिया है लेकिन, इस फैसले को लागू कराने में न तो सरकार और न ही उपायुक्त रुचि ले रहे हैं. इस परेशानी से आक्रोशित होकर मजदूरों ने सरकार से त्वरित कारवाई या इच्छामृत्यु की मांग की है.

यूनियन के अध्यक्ष सुदेश्वर सिंह ने बताया कि कम्पनी फरार है. सरकार बेखबर है और मजदूर त्रस्त हैं. हालत यह है कि मजदूरों के सामने भुखमरी के हालात पैदा हो गये हैं. उन्होंने कहा कि हम भूख से मरने के बजाय लड़कर जान देंगे और जब तक सरकार हमारी मांगें पूरी नहीं करेगी, हम राजभवन से घर वापस नहीं जाएंगे. धरना स्थल पर पहुंचकर ऐक्टू नेता भुवनेश्वर केवट ने मजदूरों के साथ एकजुटता प्रकट की. उन्होंने कहा कि ‘कानून के शासन’ में ‘कानून’ का ही खुल्लम खुल्ला मजाक उड़ाया जा रहा है. सरकार अगर मजदूरों के सवालों पर उदासीन रही तो उसे गम्भीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे. यूनियन के नेता रणजीत सिंह, परमदेव सिंह, ललन सिंह, ओम प्रताप सिंह और अशरफी राम आदि धरना का नेतृत्त्व कर रहे हें.

– रंजीत सिंह