वर्ष - 28
अंक - 45
26-10-2019

भाकपा(माले) का दो-दिवसीय 11वां जहानाबाद जिला सम्मेलन 21-22 अक्टूबर 2019 को दिवंगत का. दीनानाथ दास सभागार (शालीमार रेस्ट हाउस) जहानाबाद में संपन्न हुआ. सम्मेलन का उद्घाटन पार्टी के राज्य सचिव का. कुणाल ने किया. पार्टी के पोलित ब्यूरो सदस्य का. अमर, केंद्रीय कंट्रोल कमीशन के पूर्व चेयरमैन का. रामजतन शर्मा, राज्य स्थायी समिति के सदस्य का. महानंद तथा राज्य कमेटी की ओर से सम्मेलन के पर्यवेक्षक का. निरंजन पासवान भी सम्मेलन में मौजूद रहे.

जिले के वरिष्ठ पार्टी नेता का. वसी अहमद द्वारा झंडोत्तोलन और तमाम शहीदों को मौन श्रद्धांजलि देने के साथ सम्मेलन शुरू हुआ.  का. रामाधार सिंह, का. रामबली सिंह यादव, का. कुंती देवी, का. विनोद कुमार भारती, का. प्रदीप कुमार को लेकर गठित पांच-सदस्यीय अध्यक्ष मंडल ने जिला सम्मेलन की कार्यवाही का संचालन किया. का. संतोष केशरी, का. अशोक कुमार, का. वरूण पासवान, का. योगेंद्र यादव, का. राम प्रवेश बिंद को लेकर गठित पांच-सदस्यीय टेक्निकल सेल ने अध्यक्ष मंडल को इस काम में सहयोग किया.

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तीन दर्जन से भी ज्यादा प्रतिनिधियों ने विदाई जिला कमेटी की ओर से प्रस्तुत कामकाज की रिपोर्ट, जिसे जिला सचिव का. श्रीनिवास शर्मा ने सदन में रखा था, पर बहस में भाग लिया. पिछले दिनों दूर्गापूजा के अवसर पर जहानाबाद में भाजपा-संघ के द्वारा भड़काई गई सांप्रदायिक हिंसा की पृष्ठभूमि में आयोजित हो रहे इस सम्मेलन में भाजपा की उन्माद-उत्पात की राजनीति को परास्त करने के मुख्य एजेंडे पर विस्तार से चर्चा हुई. सम्मेलन के दूसरे दिन बहस को “दंगा की राजनीति और पार्टी की भूमिका” विषय पर केन्द्रित किया गया. सम्मेलन के अतिथियों – का. रामजतन शर्मा, का. महानंद, का. अमर और का. कुणाल – आदि ने भी विषय पर रोशनी डाली. इस तरह से सम्मेलन ने सांप्रदायिकता समेत भाजपा की राजनीति के विभिन्न बिंदुओं और पहलुओं पर व्यापक चर्चा की. पंचायत प्रतिनिधियों के कामकाज, स्थानीय आंदोलनों की जटिलता, पार्टी संगठन के विस्तार व मजबूती तथा पार्टी नीतियों व उसूलों के पालन में आई कमजोरियों पर भी खुलकर चर्चा हुई. कामकाज की रिपोर्ट को स्वीकार करने और संगठन को और मजबूत बनाने और संघर्ष तेज करने के संकल्प के साथ प्रतिनिधि सत्र का समापन हुआ.

अगले सत्रा में सम्मेलन ने 31 सदस्यीय जिला कमेटी का निर्वाचन किया जिसने सर्वसम्मति से का. श्रीनिवास शर्मा को पुनः जिला सचिव चुना. जिला कमेटी में चुने गए नेताओं में का. रामाधार सिंह, का. रामबली यादव, का. कुंती देवी, का. विनोद कुमार भारती, का. श्याम पांडेय, का. प्रदीप कुमार, का. वितन मांझी, का. अरूण बिंद, का. ललन किशोर आजाद, का. मुन्ना देवी, का. मुकेश पासवान, का. बुद्धदेव यादव, का. रेणू देवी, का. सत्येंद्र रविदास, का. हसनैन अंसारी, का. वसी अहमद आदि प्रमुख हैं. नयी कमेटी में दो महिला साथियों समेत कुल चार नये नाम शामिल हैं. नई कमेटी में कुल 4 महिला साथी है.

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राज्य सचिव का. कुणाल ने सम्मेलन का समापन वक्तव्य दिया. उन्होंने कहा कि सांप्रदायिकता लोकतांत्रिक समाज के लिए कोढ़ है. संघ-भाजपा ने नफरत व घृणा की खेती कर पूरे देश के माहौल को जहरीला बना दिया है. महिलाओं, युवाओं व बच्चों तक को उन्मादी बनाने का अपराध संघ परिवार कर रहा है. गंभीर आर्थिक संकट और महा-बेरोजगारी आदि ज्वलंत समस्याओं से ध्यान भटकाने का संघी षड्यंत्र है – दंगा. लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा-संघ परिवार बिहार को दंगे की आग में झोंकने व राजनीतिक विमर्श ही बदलने का प्रयास कर रही है. शासक वर्ग ने जहानाबाद को हमेशा ही दमन की प्रयोगशाला बनाने की कोशिश की है, जबकि यहां की जनता ने शासक वर्ग की मंसूबों के खिलाफ लड़ते हुए मजदूर किसानों के हक – अधिकार व मान-सम्मान की लड़ाई को आगे बढ़ाया है. सामंतवाद, विरोधी संघर्ष को दिशा देने वाले वर्ग संघर्ष की भूमि है जहानाबाद. यहां की जनता दंगाइयों के मंसूबों को चकनाचूर कर सामाजिक सद्भाव को कायम करने के लिए संकल्पित है.

का. कुणाल ने पूरे नवंबर माह में गांव-गांव में सांप्रदायिकता विरोधी जन अभियान चलाने का आह्वान करते हुए जिले के नागरिकों से दंगा भड़काने वाला अपराधियों का सामाजिक बहिष्कार करने की अपील की. उन्होंने दंगाइयों की गिरफ्तारी, दंगे के सूत्रधार भाजपा व संघ के नेताओं को चिह्नित कर कानूनी कार्रवाई करने, बिना भेदभाव के सभी दूकानदारों को मुआवजा देने और दंगे की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच कराने तथा निर्दोष लोगों की रिहाई आदि के लिए आंदोलन चलाने का कार्यक्रम प्रतिनिधियों के समक्ष रखा. इंटरनेशनल गीत के साथ जोरदार नारों के बीच सम्मेलन समाप्त हुआ.

विदित हो कि विगत 10 अक्टूबर को (दुर्गापूजा के दौरान) जहानाबाद में भारी दंगा भड़क उठा था. दंगे के दौरान 200 दुकानों में अगलगी, तोड़फोड़ और लूट की घटनाएं हुईं थीं. शहर में दंगाइयों की दहशतगर्दी और पुलिसिया दमन का खौफनाक मंजर था. शहर में कई दिनों तक धारा 144 व एक दिन के लिए कर्फ्यू भी लगा था. इस दौरान पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं चौतरफा पहलकदमी ली और बेहद साहस दिखाते अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय की दूकानों, घरों व जानमाल की रक्षा की. ऐसी स्थिति में जिला सम्मेलन आयोजित हुआ जिसकी शुरूआत 21 अक्टूबर को शहर में एक विशाल मार्च निकालकर की गई.