वर्ष - 28
अंक - 44
19-10-2019

योगी सरकार में पुलिस बेलगाम हो गई है जिसके चलते मानवाधिकारों पर हमले बढ़े हैं. झांसी जिले में युवक की एनकाउंटर में हत्या और बदायूं जिले में बिजली बकायेदार की हिरासत में मौत जैसी हाल की घटनाएं इसका गवाह हैं.

झांसी के मोंठ थाना क्षेत्रा का एनकाउंटर पुलिस को ठांय-ठांय करने की दी गई छूट का नतीजा है. पुलिस की बताई कहानी पर जनता की ओर से सवाल उठ रहे हैं. पुष्पेंद्र यादव को एनकाउंटर में मार गिराने का पुलिस का दावा संदेह के घेरे में है. वहीं बदायूं की सहसवान तहसील में बिजली बकायेदार किसान ब्रजपाल की हिरासत में मौत ने दिखाया है कि मानवाधिकारों को ताक पर रख कर प्रशासन चलाया जा रहा है. एक तरफ पूंजीपतियों पर करोड़ों-अरबों रुपये के कर्जे माफ कर दिये जा रहे हैं, ऊपर से बेलआउट के नाम पर सरकारी खजाने से भारी-भरकम खैरात दी जा रही है, वहीं बकाया वसूली के लिए किसानों की हत्या की जा रही है. कहा कि किसान दोहरी मार से परेशान हैं. एक तरफ कर्जों के बोझ से वे आत्महत्या कर रहे हैं, वहीं प्रशासन भी बकाये के नाम पर उन्हें जीने नहीं दे रहा है.

भाकपा(माले) की उत्तरप्रदेश राज्य कमेटी ने झांसी और बंदायू की घटनाओं की न्यायिक जांच और दोषी पुलिसकर्मियों-अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की. कहा कि भाजपा शासन में मानवाधिकार और लोकतंत्र सुरक्षित नहीं रह गये हैं.