वर्ष - 28
अंक - 44
19-10-2019

सोनभद्र के उम्भा कांड में दूसरे पक्ष पर मुकदमा लिखने के स्थानीय अदालत के निर्देश पर निराशाजलक है. इसके लिए योगी सरकार पूर्णतः जिम्मेदार है. यह दिखाता है कि भाजपा और उसकी सरकार वास्तव में किसके साथ खड़ी है. उन्नाव कांड से लेकर चिन्मयानंद प्रकरण और उम्भा कांड तक में वह आतताइयों के साथ खड़ी दिखती है, भले ही दिखावा कुछ और करती हो। गांधी जयंती पर उ.प्र. विधानसभा का विशेष सत्र बुला कर महात्मा गांधी को याद करना भाजपा सरकार का ढकोसला है. उसकी कार्रवाइयां हत्यारों और बलात्कारियों को संरक्षण देने की हैं.

11 आदिवासी महिला-पुरुषों की हत्या करने वाले भूमाफिया पक्ष की ओर से अदालत में दाखिल आवेदन के खिलाफ यदि राज्य सरकार ने गंभीरता से पैरवी की होती तो यह नौबत नहीं आती. हत्यारे पक्ष की ओर से यह मुकदमा जिसमें 90 व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया है, स्पष्ट रूप से हत्या के शिकार पीड़ित पक्ष – आदिवासी गरीबों – पर समझौते के लिए दबाव बनाने के वास्ते किया गया है. इस पर योगी सरकार का मौन रहना बहुत कुछ कहता है. न्याय की बाट जोह रहे मृतकों के परिजनों का अब दोहरा उत्पीड़न शुरू होगा. इससे योगी सरकार का असली चेहरा पुनः उजागर हुआ है.

 उम्भा कांड के बाद मुख्यमंत्री योगी काफी जनदबाव के बाद उम्भा गांव पहुंचे थे और पीड़ित आदिवासियों को न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया था. लेकिन ताजा घटनाक्रम से स्पष्ट है कि पलटी मारने में उन्हें ज्यादा देर न लगी. आखिर अब किस मुंह से वे 11 जानें गंवाने वाले आदिवासी परिवारों को न्याय दिलाने की बात करेंगे. यदि भूमाफिया को योगी सरकार का संरक्षण नहीं होता, तो उम्भा कांड ही नहीं होता.