वर्ष - 28
अंक - 52
14-12-2019

महिला हिंसा व नफरत की राजनीति के खिलाफ सुरक्षा, सम्मान, आजादी और रोजगार के लिए अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवाद) का आठवां उत्तर प्रदेश राज्य सम्मेलन 10 दिसंबर को लखनऊ के गंगा प्रसाद वर्मा स्मारक हाल (अमीनाबाद) में सम्पन्न हुआ. सम्मेलन से पहले, सुबह प्रदेश के विभिन्न जिलों से सैकड़ों की संख्या में आईं महिलाओं ने बलात्कार, हत्या की ताबड़तोड़ हो रही घटनाओं के खिलाफ चारबाग रेलवे स्टेशन से लाटूश रोड होते हुए अमीनाबाद तक आक्रोश रैली निकाली. इसका नेतृत्व ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी, राष्ट्रीय सचिव कविता कृष्णन व प्रदेश अध्यक्ष कृष्णा अधिकारी ने संयुक्त रूप से किया.

सम्मेलन की शुरुआत में हैदराबाद व उन्नाव की घटना में जानें गंवाने वाली बलात्कार पीड़िताओं को श्रद्धांजलि दी गई.

सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए का. कविता कृष्णन ने कहा कि देश में महिला अधिकारों के खिलाफ जैसे युद्ध छिड़ा हुआ है. कहीं बलात्कार पीड़िता को आग लगा दिया जा रहा है, कहीं उस पर तेजाब फेंका जा रहा है. उत्तर प्रदेश में तो स्थिति और भी बदतर है. यहां भाजपा के विधायक और पूर्व मंत्री बलात्कार के आरोपी हैं. उन्होंने कहा कि जब पूरा सत्ता तंत्र बलात्कारी को बचाने में लगा हो, तब कितनी पीड़ित महिलाएं अपने और परिवार पर जान का खतरा मोल लेकर न्याय मांगने आगे आयेंगी. पीड़िताओं का एफआईआर लिखने और अपहृता को तलाशने से इंकार करनेवाली पुलिस अपने ही गुनाह को ढंकने के लिए आरोपियों की एन्काउन्टर के नाम पर हिरासत में हत्या कर देती है. यह न्याय नहीं ढकोसला और क्रूर मज़ाक है.

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का. मीना तिवारी ने कहा कि भाजपा और संघ परिवार महिलाओं की आजादी और अधिकारों से डरते हैं व उन्हें खत्म करने पर आमादा हैं. देश की महिलाओं को एकजुट होकर बलात्कार और महिला उत्पीड़न रोकने की जिम्मेदारी से भागने वाली सरकार और तंत्र के खिलाफ हल्ला बोलना होगा. इस सत्र को का. कृष्णा अधिकारी, समाजसेवी व महिला अधिकार कार्यकर्ता नाईश हसन व का. विद्या रजवार ने भी सम्बोधित किया. अतिथियों व प्रतिनिधियों का स्वागत ऐपवा की लखनऊ संयोजक मीना ने किया और सम्मेलन का संचालन कुसुम वर्मा ने किया.

सांगठनिक सत्र में बिदाई राज्य कौंसिल द्वारा मसौदा दस्तावेज प्रस्तुत किया गया जिस पर महिला प्रतिनिधियों ने अपनी बातें रखीं. दस्तावेज पारित करने के बाद 45 सदस्यीय राज्य कौंसिल व 19 सदस्यीय कार्यकारिणी का चुनाव हुआ. कृष्णा अधिकारी को प्रदेश अध्यक्ष और कुसुम वर्मा को सचिव चुना गया. इनके अलावा दो उपाध्यक्ष – जीरा भारती व आरती राय – और तीन सहसचिव – मीना, गीता पांडेय व हंसा – भी चुनी गईं.

सम्मलेन से महिला हिंसा पर रोक लगाने, बलात्कार-हत्या के मामलों में फास्ट ट्रैक कोर्ट के जरिए त्वरित फैसला करने, महिलाओं को निःशुल्क शिक्षा, चिकित्सा और कुपोषण से बचाने के लिए पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने, मनरेगा व अन्य सरकारी योजनाओं के माध्यम से न्यूनतम पांच सौ रुपए दैनिक मजदूरी व साल भर रोजगार देने, सभी सरकारी प्रतिष्ठानों में महिला आरक्षण सुनिश्चित करने, आशा, आंगनबाड़ी, रसोइयों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा व 18 हजार रूपए न्यूनतम मानदेय देने, महिलाओं के नाम जमीन के पट्टे, आवास व शौचालय देने आदि मांगें की गईं.

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