वर्ष - 33
अंक - 4
24-01-2024

विगत 16 जनवरी 2024 को झारखंड के विभिन्न हिस्सों में जननायक शहीद कामरेड महेंद्र सिंह का 19वां शहादत दिवस ‘भाजपा हटाओ-देश बचाओ जन संकल्प दिवस’ के रूप में मनाया गया. उस दिन बगोदर के ऐतिहासिक बस पड़ाव स्थित महेंद्र सिंह काम्प्लेक्स परिसर में आयोजित ‘भाजपा हटाओ-देश बचाओ जन संकल्प सभा’ में भारी जन सैलाब उमड़ा. सभा से 16 जनवरी से लेकर 30 जनवरी पखवारे भर तक जनसंकल्प अभियान चलाने का निर्णय लिया गया.

देश के हिंदी पट्टी में 16 जनवरी के खास मायने हैं। समूचे झारखंड और खासकर गिरीडीह-कोडरमा के इलाके में नया साल इसी दिन से शुरू होता है जब शहीद कामरेड महेंद्र सिंह के शहादत दिवस के मौके पर गरीब-गुरबों, वंचितों, दलितों तथा समाज के प्रबुद्ध व न्यायपसन्द लोगों का जन सैलाब उमड़ता है और आनेवाले साल में आम जन की दावेदारी को और भी ऊंचाईयों व बुलंदियों तक ले जाने का संकल्प दोहराया जाता है। शायद इस तरह का मौका व अवसर देश के किसी दूसरे कोने में न दिखता हो।

हर साल 18 दिसंबर जो भाकपा(माले) के दिवंगत महासचिव कॉ. विनोद मिश्र के स्मृति दिवस से 16 जनवरी तक पूरे एक महीने तक गिरीडीह और कोडरमा के ग्रामांचलों में शहीद कामरेड महेंद्र सिंह के शहादत दिवस की तैयारियां चलती हैं. इस दौरान जीबी बैठकों, सघन व व्यापक ग्राम सभाओं, यूथ असेंबली व कन्वेंशन का आयोजन होता है तथा पैदल मार्च, दीवाल लेखन, परचा वितरण, पोस्टरिंग, आदि के जरिये व्यापक प्रचार किया जाता है. यह शहादत दिवस सचमुच में आम जनता और पार्टी के जीवन में नई ऊर्जा का संचार करता है।

‘आपके जिंदगी के सारे सवाल हम हल कर देंगे, इसका कोई वायदा, कोई गारंटी हम आपसे नहीं करना चाहते हैं। लेकिन एक बात हम आपको जरूर बता देना चाहते हैं कि जब तक आप हमारे साथ हैं, हम जूते की तरह पार्टी नहीं बदलेंगे और कोई घड़ी, अटैची या उपहार लेकर आपको शर्मिंदा होने का कोई अवसर नहीं आने देंगे. - आत्मविश्वास से भरी ये बातें शहीद कामरेड महेंद्र सिंह ने अपनी शहादत के पांच दिन पहले 11 जनवरी 2005 को बगोदर स्टेडियम में आयोजित महती चुनावी रैली में कही थी. एक जननेता के रूप उन्होंने अपने क्षेत्र की जनता के साथ सिर्फ वोट लेने और देने का रिश्ता मात्र नहीं रखा बल्कि उससे कहीं आगे लोगों की जिंदगी और उनके घर-परिवार के हर सुख-दुख में भागीदार होते हुए अटूट सामाजिक रिश्ते को उन्होंने आगे बढ़ाया और भाकपा(माले) की राजनीति को बुलंद करते हुए उन्होंने बेखौफ शहादत दी। आज भी व्यापक जनसमुदाय और लोकतांत्रिक समाज को उनकी शहादत अदम्य पीड़ा और क्षोभ से भर देती है।

बरहरहाल, केंद्र की मोदी-भाजपा सरकार के 10 साल पूरे हो रहे हैं। अपने पूरे शासन काल मे ये सरकार घोर जनविरोधी नीतियों, कार्यों और फैसलों के लिए कुख्यात हो चुकी है। अब 2024 के पहले पखवारे में लोकसभा चुनाव होने को है तो केंद्र की भाजपा सरकार को सत्ता से बेदखल करने की चहुंओर लोकप्रिय मांगे उठने लगी हैं। ठीक ऐसे ही समय में शहीद कामरेड महेंद्र सिंह शहादत दिवस आयोजित हुआ। ‘भाजपा हटाओ-देश बचाओ - शहीदों के सपनों का भारत बनाओ’ केंद्रीय नारे और संकल्प के साथ बगोदर, गिरीडीह और कोडरमा समेत झारखंड के विभिन्न हिस्सों में शहादत दिवस मनाया गया।

शहादत दिवस की शुरुआत दिन के 11 बजे से शहीद महेंद्र सिंह के पैतृक गांव खंभरा से शुरू हुई जहां स्कूली बच्चों ने सर्वप्रथम समूचे गांव में प्रभात फेरी निकाली और नारे लगाए। इससे भी पहले, अहले सुबह ऐक्टू से संबद्ध मोटर कामगार यूनियन के सचिव योगेश्वर साव व संरक्षक भाकपा(माले) के वरिष्ठ नेता पूरन महतो के नेतृत्व में बगोदर बाजार में प्रभात फेरी निकाली गई जो बगोदर बस पड़ाव से शुरू होकर समूचे बाजार तक गयी। मार्च में बड़ी संख्या में छोटी-बड़ी गाड़ियों के चालक, उप चालक व बाजार के प्रबुद्ध जन शामिल हुए।

खंभरा में आयोजित श्रद्धांजलि व माल्यार्पण कार्यक्रम में भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य, राज्य सचिव का. मनोज भक्त, पार्टी पोलित ब्यूरो के सदस्य, बगोदर के विधायक व शहीद कामरेड महेंद्र सिंह के पुत्र का. विनोद कुमार सिंह, राजधनवार के पूर्व विधायक व पार्टी नेता राजकुमार यादव, बगोदर के उपप्रमुख हरेंद्र कुमार सिंह, भाकपा(माले) के प्रखंड सचिव पवन महतो, राज्य कमिटी सदस्य परमेश्वर महतो व पूरन महतो, इनौस राज्य अध्यक्ष संदीप जायसवाल, मासस के महासचिव हलधर महतो के साथ ही डॉ. मुन्ना कुमार सिंह, कमलदेव सिंह, प्रो. अशोक कुमार यादव, सरवर खान, प्रकाश कुमार साव, राजेश जैन, प्रो. वसीम अहमद, अरुण डागा, डॉ. संतोष लाल समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित हुए। खंभरा-बनपुरा समेत आसपास के गांवों के सैकड़ों लोग वहां उपस्थित रहे।

दिन के 12 बजे सरिया रोड के किसान भवन के अहाते में स्थित शहीद का. महेंद्र सिंह की प्रतिमा स्थल और 1 बजे बगोदर बस पड़ाव (का. महेंद्र सिंह काम्प्लेक्स) स्थित उनकी आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया और शहीद महेंद्र सिंह को श्रद्धांजलि दी गयी।

डेढ़ बजे दिन से बगोदर के ऐतिहासिक बस पड़ाव में जन संस्कृति मंच की ‘कारवां’ टीम द्वारा ‘कामरेड महेंदर के हमिन के सलाम!’ गीत के साथ ‘भाजपा हटाओ-देश बचाओ जनसंकल्प सभा’ की शुरुआत हुई। सभा का संचालन आइसा जिला सचिव विभा, पुष्पा, दीप व अध्यक्षता जिला परिषद सदस्य व वरिष्ठ पार्टी नेता उस्मान अंसारी ने की।

कामरेड दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा

सभा के मुख्य वक्ता का. दीपंकर भट्टाचार्य ने हजारों की संख्या में उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि कामरेड महेंद्र सिंह के शहादत के 19 साल हो गए हैं. साल-दर-साल उनके शहादत दिवस आयोजन में आनेवाले लोगों की तादाद बढ़ती ही जा रही है. इसकी वजह यह है कि महेंद्र जी ने एक उदाहरण प्रस्तुत किया - जनसंघर्ष,  जनता की राजनीति, पहलकदमी और हितों को लेकर आगे बढ़ने का. आज हम सब लोग उसकी जरूरत को महसूस करते हैं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनता सरकार को चुनती है और चुनी हुई सरकार को जनता के हिसाब से चलना चाहिए, उसे जनता के सवालों का जबाब देना चाहिए और जनता की मांगें पूरी करनी चाहिए. कामरेड महेंद्र सिंह का मानना था कि सत्ता और जनता के बीच अगर लड़ाई हो तो जीत जनता की ही होती है.

उन्होंने कहा कि आज महेंद्र सिंह का शहादत दिवस है और अगले 30 जनवरी को महात्मा गांधी का शहीदी दिवस है। हमें महेंद्र सिंह की शहादत दिवस से लेकर महात्मा गांधी की शहादत दिवस तक पखवारे भर का जन संकल्प अभियान चलाना है। 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जयंती है. यह वर्ष सामाजिक न्याय के महान नेता व बिहार के पूर्व मुख्यमत्री कर्पूरी ठाकुर की जन्मशती का वर्ष है और 24 जनवरी को उनका जन्मदिन है. 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस है. बाबा साहेब अंबेडकर के बनाये संविधान में ये वायदा किया गया था कि जनता को सामाजिक न्याय मिलेगा, उसे समानता का अधिकार मिलेगा। सबके लिए आजादी, सबके लिए स्वतंत्रता और सबके लिए बराबरी के लिए जो संविधान लागू हुआ था, उसके 74 साल पूरे हो रहे हैं, हमें इस अवसर पर संकल्प लेना है कि लोकतंत्र, संविधान और जनता के मुद्दे को आगे बढ़ाना है। आज सरकार जनता के तमाम सवालों से भाग रही है। देश जब आजाद हुआ तब देश मे बड़े-बड़े कल कारखाने बन रहे थे. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने तब कहा था कि ये जो बड़े-बड़े कल-कारखाने हैं, जहां हज़ारों लोगों को काम मिलेगा, ये आधुनिक भारत के मंदिर हैं. पर आज हम देख रहे हैं कि ये कल-कारखाने बन्द हो रहे हैं. कल-कारखानों को अम्बानी-अडानी जैसों को बेचा जा रहा है और सरकार ने मंदिर बनाने का काम अपने हाथ ले लिया है। इस देश में सैकड़ों सालों से इतने मंदिर बने हुए हैं. मंदिर बनाने का काम कभी किसी सरकार का नहीं रहा है. मंदिर लोगों की आस्था का प्रतीक है. वह कभी सत्ता का प्रतीक रहा है क्या? मंदिर को सत्ता और सरकार से जोड़ देने का यह काम जो मोदी की भाजपा सरकार कर रही है उस पर पूरे देश में सवाल उठ गया है। हमने पहली बार ये देखा कि यह सवाल सिर्फ हमलोग नहीं उठा रहे हैं बल्कि देश के चारों शंकराचार्य कह रहे हैं कि मंदिर का काम अगर सरकार करेगी तो फिर हमलोग क्या करेंगे? मंदिर अभी पूरा बना नही है, अधूरा है. उस अधूरे मन्दिर में प्राण-प्रतिष्ठा के लिए प्रधानमंत्री जा रहे हैं, यह शास्त्र के अनुरूप नहीं है. जल्दबाजी फिर क्यों हो रही है? इसका सीधा जबाब है कि सामने 2024 में चुनाव है। तो क्या चुनाव के लिए राम मंदिर का उद्घाटन करने प्रधानमंत्री जा रहे हैं. यह आस्था रखनेवाले, धर्म की बात करनेवाले, धर्म का संचालन करनेवाले देश के सारे शंकराचार्य कह रहे हैं और सवाल उठा रहे हैं। राजनीति अलग है, धर्म अलग है। हम लोगों ने बार-बार कहा है कि दोनों को मत मिलाओ. दोनों को अलग अलग रहने दो और आज जब दोनों को मिलाने और घालमेल करने की कोशिश हो रही है तो आज पूरे देश के अंदर और धर्म के अंदर से भी सवाल उठ रहा है कि ये घालमेल नहीं चाहिए। इस देश के भीतर जो सवाल जनता से जुड़े हैं, जैसे शिक्षा, रोजगार व इलाज के सवाल, सरकार की जिम्मेदारी होनी चाहिए कि वह इन सबको हल करे. सबके लिए शिक्षा व स्वास्थ्य की गारंटी हो ये सरकार का काम है। लेकिन जो सरकार का काम था उसको उन्होंने छोड़ दिया और जो काम लोगों को करना  था - मंदिर बनाना, मस्जिद बनाना, पूजा करना - उसे उसने अपना लिया है। जो सरकारी था वे उसका निजीकरण कर रहे हैं और जो निजी था उसका सरकारीकरण. ये मोदी सरकार की उल्टी दिशा है।

आजादी के बाद मिले नए संविधान में, जिसे डॉ. अंबेडकर ने लिखा, कहा गया कि देश के किसी नागरिक के साथ धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होगा। आज भाजपा के लोग कह रहे हैं कि संविधान को अंबेडकर ने नहीं बनाया. वह अंग्रेजों का संविधान था. वे इस संविधान को बदल देना चाहते हैं, देश के कानूनों को बदल कर वे कह रहे हैं कि देश में अब कोई भी आंदोलन होगा तो उसको हम अपराध मानेंगे। अपने हितों के लिए किसानों ने जो बड़ा आंदोलन किया वे उसे आर्थिक अपराध बोल रहे हैं। नौजवान सड़क पर उतर कर रोजगार मांग रहे हैं तो उन्हें जेलों में डाल दिया जा रहा है। देश के बुद्धिजीवी व दलित-आदिवासी अधिकार की बात कर रहे हैं तो उनको भी जेल में डाल दिया जा रहा है। ये अंग्रेजों की नीति थी। अंग्रेजों का मानना था कि वे सत्ता के बल पर राज करेंगे और जो विरोध करेगा, उसे फांसी चढ़ा दिया जाएगा या जेल में डाल दिया जाएगा। तब भगत सिंह ने कहा था कि अगर गोरे अंग्रेज की जगह भूरे अंग्रेज सरकार चलाने लगे तो आजादी बेमानी होगी। उनकी चेतावनी आज सामने दिख रही है। डॉ. अंबेडकर ने कहा था कि संविधान अगर गलत लोगों के हाथों में चला जाएगा तो वे देश को बर्बाद करके रख देंगे। आज संविधान के साथ खिलवाड़ हो रहा है। सामने जो 2024 का लोकसभा चुनाव है वह जनता के मुद्दों पर हो। बेलगाम मंहगाई जिसने मेहनतकश लोगों जो दिन-रात खटते हैं, का जीना दूभर कर दिया है, लोगों के पास रोजगार नहीं है, जीने लायक वेतन नहीं है. कल-कारखाने बन्द हो रहे हैं. झारखंड के कोयला व अभ्रक उद्योग का निजीकरण कर उन्हें खत्म किया जा रहा है. न कोयला रहेगा, न मायका और न कल-कारखाने तो झारखंड के लोग कहां जाएंगे? वे पलायन को मजबूर होंगे।

आदिवासी महिला के राष्‍ट्रपति बनने से देश के लोगों को खुशी तो है पर जमीन पर आदिवासियों की हकमारी हो रही है। देश मनुस्मृति के हिसाब से चल रहा है जहां आदिवासियों, दलितों व पिछड़ों को दोयम दर्जे का नागरिक समझा जा रहा है। इनके खिलाफ सामाजिक बराबरी और आजादी का झंडा अंबेडकर ने बुलंद किया था। आज यह हमारे सामने सबसे बड़ा सवाल है.

देश में एक बड़ी एकता बननी चाहिए. हमने पूरी कोशिश की और हम सब की कोशिश से देर से ही सही एक गठबंधन बना - ‘इंडिया गठबंधन’. इंडिया गठबंधन को हम मजबूती प्रदान करेंगे। आनेवाले चुनाव में सही ढंग से सीटों का बंटवारा हुआ तो मोदी की भाजपा सरकार को करारी शिकस्त मिले - हिंदुस्तान के जन-जन की इस ख्वाहिश को पूरा किया जा सकता है। हमने 2019 के चुनाव में जो गलतियां की उसे दोहराना नहीं है. झारखंड के कोडरमा से बाबूलाल मरांडी ने जेवीएम बनाकर जनता को धोखा दिया. विपक्षी गठबंधन ने भाकपा(माले) के बजाय उसी बाबूलाल मरांडी को समर्थन दिया और परिणाम सामने है. जनता का वोट लेकर और विपक्ष का समर्थन पाकर वही बाबूलाल मरांडी आज भाजपा की गोद में चले गए। समय की मांग है कि आने वाले चुनाव में इंडिया गठबंधन में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस, भाकपा(माले), राजद व अन्य वामपंथी पार्टियों के बीच एक निर्णायक एकता बने।

का. दीपंकर ने उपस्थित पार्टी कार्यकर्ताओं व आम जनता से पूरी तैयारी में जुट जाने की अपील करते हुऐ कहा कि भाकपा(माले) और महेंद्र सिंह के रास्ते को बुलंद करके ही कोडरमा से भाजपा को हराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ईवीएम के साथ वीवीपैट की व्यवस्था की जाये और उसकी भी पूरी गिनती हो। आनेवाले 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस है. 75 साल से इस देश में चुनाव करवा रहे राष्ट्रीय चुनाव आयोग को देखना चाहिए कि चुनाव को लेकर जनता के मन में कोई संशय नहीं हो. इस दिशा में सुप्रीम कोर्ट के वकीलों ने जो पहल की है वह अच्छी बात है. इसे लेकर देश मे एक बड़ा आंदोलन खड़ा होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि किसानों के आंदोलन से काले कृषि कानून वापस तो जरूर हो गए लेकिन उनकी मांगें अब तक पूरी नहीं की गई। किसानों को फसल की उचित कीमत मिलने की कोई गारंटी नहीं हुई है।

पूरे देश में ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल को समर्थन देते हुए और उन्हें बधाई व सलाम पेश करते हुए उन्होंने कहा कि ड्राइवरों ने नए काले कानूनों को सही तरीके से पहचान लिया। ये नया कानून जनता को सताने वाला व परेशान करने वाला है।

उन्होंने 16 जनवरी - 30 जनवरी तक चलनेवाले जन संकल्प अभियान को जन-जन का अभियान बनाने का आह्वान करते हुए कहा कि मनरेगा में काम व मजदूरी की चोरी हो रही है। सरकार एक तारीख से मनरेगा को आधार कार्ड से जोड़ने की बात कह रही है जबकि राशन कार्ड को आधार से जोड़ने के बाद भूख से हुई मौतें जगजाहिर है। आने वाले दिन हम सबके लिए बड़ी लड़ाई के दिन होंगे. आधी आबादी के लिए कानून तो पारित हो गया लेकिन महिला आरक्षण 2024 में नहीं मिलेगा। आरक्षण शायद 2029 में भी नहीं मिलने वाला है। यह कब मिलेगा, किसी को पता नहीं है। इस नाम पर महिलाओं को धोखा दिया जा रहा है।

महिलाओं के सम्मान व सुरक्षा के साथ सबसे ज्यादा खिलवाड़ भारतीय जनता पार्टी वाले कर रहे हैं। 2014 में ‘बहुत हुआ नारी पर वार, अबकी बार मोदी सरकार’ का नारा देकर भाजपा सत्ता में आई पर आज मोदी के अपने चुनाव क्षेत्र में बनारस में बीएचयू आईआईटी में बीटेक की छात्रा के साथ कैंपस में बलात्कार व यौन हिंसा होती है। तीन महीनों के बाद जब गिरफ्तारी होती है तो तीनों गिरफ्तार अपराधी भाजपा के आईटी सेल के सदस्य निकले। मोदी के अपने चुनाव क्षेत्र में बीटेक की एक छात्रा जब असुरक्षित है तो महिला सुरक्षा की बात बेमानी है। विदेशों से ओलम्पिक में पदक जीतनेवाली हमारे देश की महिला पहलवानों को भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष व भाजपा सांसद बृजभूषण सिंह से अपने न्याय व सम्मान के लिए लड़ना पड़ रहा है। भाजपा के सांसद, विधायक, आईटी सेल व उनके कार्यकर्ताओं की लंबी फेहरिस्त है जो दलितों, कमजोरों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर हिंसा व उत्पीड़न के लिए सीधे तौर पर दोषी हैं। इसलिए भाजपाई सता और उसकी राजनीति से इस देश को छुटकारा चाहिए।

उन्होंने कहा कि आनेवाले कुछ दिनों के बाद देश में चुनाव होनेवाले हैं, अपनी तैयारी को तेज करें और 2024 में पूरे कोडरमा में लाल झंडा को फैलाने व इंडिया गठबंधन को झारखंड सहित पूरे देश में बड़ी जीत दिलाने और पूरे देश को आरएसएस-भाजपा व अम्बानी-अडानी जैसों से बचाने के काम मे जुट जाएं। इसी उम्मीद के साथ, कामरेड महेंद्र सिंह जी को और उनकी पत्नी शांति सिंह जिनकी मृत्यु भी 16 जनवरी को ही हुई, को याद करते हुए उन्होंने महेंद्र जी के रास्ते, भगत सिंह और अंबेडकर के रास्ते पर देश को आगे ले जाने का आह्वान किया।

सभा को संबोधित करते हुए विधायक कामरेड विनोद कुमार सिंह ने कहा कि शहीदों को याद करने का मतलब वर्तमान समय की चुनौतियों से साहसपूर्ण लड़ने का है। दो दशक के बाद भी समूचे झारखंड, गिरीडीह व बगोदर विधानसभा के लोग कामरेड महेंद्र सिंह को याद कर रहे हैं. उनके नेतृत्व में बगोदर के टोलों, मुहल्लों व कस्बों में लोगों ने अपने हक-अधिकार के लिए लड़ना और बोलना सिखाया और सामूहिक संसाधनों में जनता के अधिकार व मान-सम्मान के लिए और गलत के खिलाफ खड़ा होना सिखाया. यह शहादत दिवस एक ऐसे मौके पर हो रहा है जब इस देश में तानाशाही और मनमानी की सरकार चल रही है। इस संकल्प सभा में कामरेड महेंद्र सिंह के आंदोलनों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चलने वाले शामिल हैं और उनके आंदोलनों को सुनते-समझते हुए बड़े हुए नौजवानों की नई पीढियां भी शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि महेंद्र सिंह ने ग्रामसभा के अधिकार की लड़ाई को आगे बढ़ाया। आजादी के 75वें साल में इस देश की मौजूदा हुकूमत एक-एक कर ग्रामसभा के अधिकारों को खत्म कर रही है और उन्हें संकुचित कर रही है। इस देश की हुकूमत कोयला, लोहा, रेल जैसी सार्वजनिक संपत्तियों को अम्बानी-अडानी जैसों को बेच रही है। ‘एक देश, एक कानून’ की बात करने वाली केंद्र सरकार आज नदी से बालू उठाने नहीं दे रही है और उस पर ग्राम सभा के अधिकार भी खत्म कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि झारखंड के विभिन्न कोयला खदानों से रेलों और जीटी रोड से ट्रकों से हजारों-हजार टन कोयला प्रतिदिन बाहर जा रहा है लेकिन बीसीसीएल, सीसीएल और ईसीएल की जो लूट है उनके लिए कोई कानून नहीं है. लोग अगर पत्थर व गिट्टी तोड़ रहे हैं तो वह कानून संगत नहीं है।

उन्होंने कहा कि विपक्ष के सांसदों को लोकसभा से निलंबित कर और ग्राम सभा के अधिकार को खत्म कर जो  कानून लाये गए हैं उनके जरिये जंगलों व पहाड़ों में बड़ी-बड़ी कंपनियों का प्रोजेक्ट काम करेगा और उस पर आम जनता का कोई अधिकार नहीं होगा। छत्तीसगढ़ में भाजपा की नई सरकार के आते ही वहां जंगलों को बेतहाशा काटा जा रहा है। 75 प्रतिशत स्थानीय लोगों को काम मिलने की बात बीसीसीएल-सीसीएल पर लागू नहीं होगी। काम के स्थायी प्रकृति को खत्म कर ठेके पर काम हो रहे हैं। मनरेगा को स्मारक बना देने का स्वांग रचनेवाले मोदी मजदूरों के ही स्मारक बना रहे हैं। झारखंड में मनरेगा मजदूरों को प्रतिदिन 300 रुपये भी मजदूरी नहीं मिल रही है। आज भारत के विश्व गुरु बनाने का ढोंग रचनेवाले मोदी सरकार का सऊदी अरब जैसे किसी भी ऐसे देश से कोई समझौता नहीं है जिससे कि रोजी-रोटी और घर-परिवार का भरण-पोषण के लिए विदेश गए प्रवासी मजदूरों को  घटना-दुर्घटना या सामान्य घटना पर हुई मौत या मजदूरी आदि सवालों पर उन्हें सहूलियत मिले। अभी सऊदी अरब में गिरीडीह, हजारीबाग और बोकारो जिले के प्रवासी मजदूर फंसे हैं लेकिन भारत सरकार और स्थानीय भाजपा सांसद की तरफ से कोई पहल महीनों बीत जाने के बाद भी नहीं हो रही है. यह बेहद शर्मनाक है। मोदी सरकार स्पेशल ट्रेन और वंदे भारत जैसी ट्रेनों का खूब प्रचार करती है पर दक्षिण भारत के राज्यों में और मुम्बई जानेवाले हजारों-हजार प्रवासी मजदूरों के लिए किसी नई ट्रेन की व्यवस्था नहीं. उन्होंने कहा कि सिर्फ कहने के लिए गिरीडीह जिले को आकांक्षी जिले में शामिल किया गया है जबकि इसे 2022 से 2024 तक तीन साल में पीएम आवास योजना का तीन रुपया भी नहीं दिया गया है। बगोदर समेत जिले के अन्य धार्मिक स्थलों में नागरिक सुविधाओं को बहाल करने में भाजपा की कोई रुचि नही है। कोडरमा में भाजपा के प्रतिनिधि सर्वाधिक 9 बार से जीत रहे हैं. चेहरे जरूर बार-बार बदल जा रहे हैं पर जनता के सुख-दुख के साथ और विकास समेत अन्य कार्यों में इनका योगदान हमेशा से सिफर रहा है। कोडरमा में लाल झंडे को और भी बुलंद करना कामरेड महेंद्र सिंह के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

सभा को धनवार के पूर्व विधायक राजकुमार यादव, राज्य कमिटी सदस्य राजेश यादव, राज्य कमिटी सदस्य अशोक पासवान, पूर्व जिला पार्षद व ऐपवा नेत्री जयंती चौधरी, बिरनी प्रखंड सचिव सीताराम सिंह, राज्य कमिटी सदस्य मुस्तकीम अंसारी, सरिया प्रखंड सचिव भोला मंडल, बगोदर प्रखंड सचिव पवन महतो, इनौस के राज्य अध्यक्ष संदीप जायसवाल, राज्य कमिटी सदस्य परमेश्वर महतो समेत अन्य ने संबोधित किया। पूर्व जिला परिषद सदस्य व माले गिरीडीह जिला कमिटी सदस्य मनोज पांडेय ने राजनीतिक प्रस्ताव पेश किए।

जन संकल्प सभा के प्रस्ताव

1. लोकतंत्र और संविधान की रक्षा एवं रोजगार के लिए 16 से 30 जनवरी 2024 तक चलने वाले ‘भाजपा हटाओ-देश बचाओ जन संकल्प अभियान’ को सफल किया जाए। इसे हर गांव के हर घर तक पहुंचाया जाए।

2. गाजा पर इजरायली हमले और बच्चों व महिलाओं के जनसंहार के खिलाफ एकजुट होकर विरोध की आवाज को बुलंद किया जाए. मोदी सरकार नेतन्याहू सरकार को समर्थन देने के बजाय इसके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पहल करे.

3. ईवीएम वोटों की गिनती के साथ-साथ वीवीपैट की पर्चियों की भी गिनती करने की गारंटी की जाए।