वर्ष - 32
अंक - 25
17-06-2023

भाकपा(माले) का राजस्थान राज्य सम्मेलन विगत 9-10 जून 2023 को कुमारामंद हाॅल, जयपुर में सम्पन्न हुआ. पहले दिन, 9 जून को भाकपा(माले) पार्टी का झंडातोलन और शहीदों को शहादत देने के बाद सम्मेलन का खुला सत्र आयोजित किया गया. झंडातोलन पार्टी के वरिष्ठ नेता कामरेड शंकरलाल त्रिवेदी द्वारा किया गया. खुले सत्रा को भाकपा(माले) के अलावा वाम दलों – माकपा, भाकपा, एमसीपीआइ (यूनाइटेड) के नेताओं के साथ अलग-अलग लोकतांत्रिक जनसंगठनो के पदाधिकारियों ने भी संबोधित किया.

भाकपा(माले) पोलित ब्यूरो सदस्य का. संजय शर्मा ने सम्मेलन के खुले सत्र को संबोधित करते हुआ कहा कि देश में फासीवादी ताकतें लंबे संघर्ष से जीते हुए जन अधिकारों और संवैधानिक अधिकारों को पलटने को तैयार है. जन आंदोलन के दम पर ही अपने अधिकारों को बचाया जा सकता है. इसके लिए सभी लोकतांत्रिक ताकतों को पहल करनी होगी. भाकपा के राज्य सचिव नरेंद्र आचार्य ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी पर लगातार हमले हो रहे हैं आम नागरिकों को अपना वजूद बचाने के लिए एकजुट होना होगा. एमसीपीआई (यूनाइटेड) के महेंद्र नेह के कहा कि लोकतंत्र पर जो हमला हो रहा हैं उसको रोकने के लिए वाम दलों को महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी. प्रतिक्रियावादी ताकतें इतिहास को पलटने को तैयार हैं. मजदूरों, किसानों व शोषितों की एकता के आधार पर काॅर्पाेरेट ताकतों से लड़ा जा सकता हैं, जो आज फासिवाद के स्वरूप में सत्ता में हैं. सीपीएम नेत्री सुमित्रा चोपड़ा ने कहा कि महिलाओं के साथ अत्याचार के हर मामले में खुलकर बोलने की जरूरत हैं. इस तरह के सब संघर्ष आपस में जुड़े हुए है. पीयूसीएल से कविता श्रीवास्तव ने कहा कि आज जो ताकतें हिंदू राष्ट्र की बातें उठा रही है उन्होंने आम जनमानस के दिमाग में सांप्रदायिक विचारों को बैठा दिया है. इसलिए आज के संघर्ष में रोजी-रोटी के सवालों के साथ-साथ सांप्रदायिकता के खिलाफ वैचारिक संघर्ष को भी शामिल करना होगा.

सम्मेलन को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) केंद्रीय कमेटी के सदस्य का. प्रभात कुमार चौधरी ने कहा कि जनता के आन्दोलन के बल पर ही फासीवाद को हराया जा सकता. फासीवादी ताकतें पूंजीपतियों को मदद करने के लिए मजदूरों-किसानों पर लगातार हमले कर रही हैं. अधिकारों के लिए और महंगाई, बेरोजगारी और चौपट होती जा रही खेती-किसानी के सवाल पर जनांदोलन ही समाज में वह माहोल बना पाएगा जिसके बल पर काॅर्पाेरेट समर्थित फासीवादी तोकतों –आरएसएस और भाजपा को आगामी चुनावो में देश व प्रदेश में हराया जा सकता है.

खुले सत्र की अध्यक्षता कर रहे भाकपा(माले) केंद्रीय कमिटी के सदस्य और किसान महासभा के नेता का. फूलचंद ढेवा ने कहा कि आज गोलवलकर के विचारों और भगत सिंह-अंबेडकर के विचारों के बीच संघर्ष चल रहा हैं. आरएसएस ने सारे संस्थानो पर कब्जा कर लिया हैं. मोदी सरकार सीबीआई व ईडी का इस्तेमाल कर विपक्ष की आवाज को दबा रही है. किन्तु इस सबके बाद हिमाचल व कर्नाटक के विधानसभा और दिल्ली एमसीडी चुनावों में भाजपा की हार इस ओर इशारा कर रही है कि जनता उसके खेल को समझ गई हैं.

खुले सत्र को गांधीवादी विचारक सवाई सिंह, समाजवादी नेता अनिल गोस्वामी एवं अन्य वक्ताओं ने संबोधित करते हुए इस बात पर जोर दिया कि अनेकता में एकता के विचार को आगे लाकर ही भारत को फासीवादी रंग में रंगने की कोशिशों को हराया जा सकता है. उन्होंने कहा कि फासीवादियों द्वारा फैलाए जा रहे झूठ और नफरत के प्रति आम जन को सचेत करना होगा. इस सत्र का संचालन का. शंकरलाल चौधरी ने किया. और धन्यवाद प्रस्ताव का. फरहत बानू ने रखा.

खुले सत्र के बाद सम्मेलन का प्रतिनिधि सत्र शुरु हुआ. सदन में शोक प्रस्ताव रखाने के बाद के बाद का. शंकरलाल चौधरी द्वारा पार्टी कामकाज की रिपोर्ट पेश की गई.

दूसरे दिन की कार्यवाही राजनीतिक सांगठनिक रिपोर्ट पर चर्चा के साथ शुरू हुई. इस चर्चा में 20 से ज्यादा प्रतिनिधियों ने अपनी बात रखी. यह बात सामने आई कि फासीवादी ताकतों से निपटते के लिए राज्य में जनता को उनके मुद्दों पर एकजूट कर व्यापक व बड़ी वैचारिक गांलबंदी कायम करने की जरूरत हैं. वामपंथी विचारधारा सामाजिक-आर्थिक न्याय और धार्मिक सौहार्द पर आधारित एक ऐसे भारत का सपना देखती हैं जो समानता, न्याय और बंधुता पर आधारित हो. इस बात को जनांदोलन के दौरान आम जनता के बीच कारगर तरीके से ले जाने की जरूरत हैं. निर्वतमान राज्य कमिटी की ओर से चर्चा का जवाब देते हुए का. शंकरलाल चौधरी ने कहा कि हमें जनता के बीच अपने कार्यों को राजनीतिक दिशा देने की जरूरत है. हमारे राजनीतिक काम में वैचारिक पहलू को प्रधानता मिलनी चाहिये. पार्टी संगठन को मजबूत बनाने के लिए सभी पार्टी सदस्यों, कार्यकर्ताओं व नेताओं को अपनी भूमिका बढ़ानी होगी. उन्होनें कहा कि अब जनता केंद्र की भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों को समझ रही है. लेकिन हम यह भी देख रहे हैं कि राज्य की कांग्रेस सरकार ने भी किसानों के साथ किये गये सभी वादे पूरे नहीं किए हैं. उन्होनें पार्टी संगठन की कमियों को चिन्हित करते हुए प्रतिनिधियों के द्वारा उठाए गए सवालों पर विस्तृत जवाब दिया.

पार्टी कामकाज की रिपोर्ट को ध्वनि मत से सवीकार कर लेने के बाद सदन की ओर से राज्य कमिटी का चुनाव हुआ. 25 सदस्यीय नई राज्य कमिटी चुनी गई और तत्काल संपन्न हुई राज्य कमिटी की पहली बैठक में कामरेड शंकरलाल चौधरी को सर्वसम्मति से राज्य सचिव चुना गया.

सम्मेलन के समापन सत्रा को संबोधित करते हुए सम्मेलन के केन्द्रीय पर्यवेक्षक और भाकपा(माले) पोलित ब्यूरो के सदस्य कामरेड संजय शर्मा ने सबसे पहले सम्मेलन को पार्टी सविधान के नियमों का हिसाब से सम्मेलन को मान्यता प्रदान करने की घोषणा की. उन्होंने अपनी बात रखते हुए इस बात पर जोर दिया कि पार्टी संगठन को धरातल पर सक्रिय करके ही आरएसएस-भाजपा की सांप्रदायिक व नफरती राजनीति के असर को रोका जा सकता है.

का. प्रभात कुमार चौधरी ने कहा कि सम्मेलन और नई राज्य कमेटी को आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए अन्य वाम दलों व लोकतांत्रिक ताकतों के साथ मिलकर कारगर भूमिका निभाने का संकल्प लेना होगा. की पार्टी की राजस्थान इकाई.

चुनी हुईं राज्य कमेटी ने 9 सदस्यीय स्थाई कमिटी का भी चुनाव किया जिसमें राज्य सचिव का. शंकरलाल चौधरी के अलावा का. फरहत बानू, का. चन्द्रदेव ओला, का. सुधा चौधरी शामिल हैं.

सम्मेलन में उदयपुर, प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़, अजमेर, झुंझुनू, दोसा, चुरू आदि जिलों से करीब 100 प्रतिनिधियों ने, जिनमें से अधिकांश मजदुर-किसान तबके से थे, सक्रिय व उत्साहपूर्ण भागीदारी की. जोशीले नारों के साथ सम्मेलन का समापन हुआ.

– चन्द्रदेव ओला

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