विगत 17 जुलाई 2023 को आइसा ने चार सालाना स्नातक कोर्स, फीस वृद्धि व बिहार के विश्वविद्यालयों में व्याप्त शैक्षणिक अराजकता के खिलाफ राजभवन मार्च निकाला. राजभवन मार्च कारगिल चौक से निकला जिसे जेपी गोलंबर के पास पुलिस ने बैरिकेडिंग के सहारे रोक दिया. आइसा कार्यकर्ता राज्यपाल से मिलने की मांग पर अड़े रहे एव करीब एक घंटे तक सड़क को जाम रखा. राज्यपाल बिहार में नहीं थे. बाद में प्रशासन से हुई बातचीत के बाद आइसा के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल के ओएसडी संजय कुमार से मिल कर ज्ञापन सौंपा.

प्रतिनिधि मंडल में आइसा के राष्ट्रीय कार्यकारी महासचिव प्रसेनजीत कुमार, राज्य सचिव सबीर कुमार और   अध्यक्ष विकास यादव, उपाध्यक्ष प्रीति कुमारी तथा सह सचिव कुमार दिव्यम, मयंक कुमार व प्रिंस कुमार शामिल थे.

आइसा ने पांच सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में चार सलाना स्नातक कोर्स वापस लेने, फीस वृद्धि वापस लेने, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा में निवर्तमान कुलसचिव व कुलपति के कार्यकाल की जांच कराने, तिलका मांझी विश्वविद्यालय के आइसा नेता प्रवीण कुशवाहा की बिना शर्त रिहाई और साथ ही पटना विश्वविद्यालय में व्याप्त शैक्षणिक अराजकता एवं हिंसक घटनाओं पर राजभवन को संज्ञान लेने की मांग रखी गई थी.

आइसा के राष्ट्रीय कार्यकारी महासचिव प्रसेनजित कुमार ने कहा कि बिहार केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा अलोकतांत्रिक ढंग से लाई गई नई शिक्षा नीति जिसका विरोध देश भर में हो रहा है, उसको बिहार में अब थोपा जा रहा है. उसके तहत चार साल का स्नातक कोर्स लागू किया गया है. बिहार के सभी कैम्पसों में बेतहाशा फीस वृद्धि हो रही है. बिहार जैसे आर्थिक एवं सामाजिक रूप से पिछड़े राज्य के लिए नई शिक्षा नीति एवं चार सालाना स्नातक कोर्स घातक है. यह नीति मजदूर, रिक्शा चालक, एवं अन्य निम्न वर्ग के लोगों को ध्यान में रख कर बनी ही नहीं है. गरीब दलित, पिछड़े एवं वंचित समुदायों को यह उच्च शिक्षा से बाहर कर देगी.

आइसा बिहार राज्य अध्यक्ष विकास यादव एवं सचिव सबीर कुमार ने कहा कि बिहार में हमने नारा दिया है – ‘नियमित सत्र-नियमित कक्षा, दुरुस्त करो बिहार की शिक्षा’. बिहार के विश्वविद्यालयों में बुनियादी संसाधनों की कमी है, सेशन लेट चल रहे हैं. पटना विश्वविद्यालय, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय व ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय सहित तमाम विश्वविद्यालयों में शिक्षकों-कर्मचारियों के पद रिक्त पड़े हुए हैं. पटना विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर इतिहास विभाग में एक भी स्थाई शिक्षक नहीं हैं. इन सब को ठीक करने के बजाए राज्यपाल चार साल का स्नातक कोर्स लाकर और फीस वृद्धि कर कैंपस से एवं उच्च शिक्षा से बाहर करने वाली नीति  ला रहे हैं. मल्टिपल इंट्री एक्जिट की व्यवस्था ड्राॅप आउट को बढ़ाएगा. महिलाओं का ड्राॅप आउट सबसे ज्यादा बढ़ेगा. तिलका मांझी विश्वविद्यालय, भागलपुर में आइसा नेता प्रवीण कुशवाहा को फर्जी मुकदमे में गिरफ्तार किया गया है. हम उनकी बिना शर्त रिहाई की मांग करते हैं.